रिकॉर्ड बुक में पटना के 'कैलेंडर मैन', उम्र को नहीं आने दिया आड़े
कहते है अगर कुछ कर गुजरने की हो बात तो उम्र भी कम पड़ जाते है। ऐसे ही एख व्यक्ति ने बैंक में अपनी सेवा देने के बाद जब वह रिटायर्ड हुए फिर से अपनी पढ़ाई शुरू कर दी लेकिन कुछ हटकर।
पटना [जेएनएन]। कहते हैं दिल में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो उम्र भी आड़े नहीं आती है। ऐसे ही एक शख्स हैं नाला रोड के रहने वाले नरेश चद्र माथुर। 68 साल के नरेश चद्र माथुर ने अब तक सात बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है। इस बार वे अपने अनोखे कैलेंडर को लेकर चर्चा में हैं। इस कारण उन्हे 'कैलेंडर मैन' भी कहा जा रहा है।
शराबबदी और योग पर इन्होंने एक ए4 साइज ट्विन कैलेंडर का निर्माण किया है, जिसमें शराब को ना कहने का मनमोहक चित्रण है। 21 जनवरी 2017 को मानव श्रृंखला वाले कार्यक्रम में इनके कैलेंडर की लॉचिग मुख्यमत्री नीतीश कुमार ने की थी। इसके अलावा इन्हें इसी साल 'अपना गोविन्द' कैलेंडर के लिए भी रिकॉर्ड बुक में जगह मिली। वह देश के ऐसे पहले नॉन सिख हैं जिन्होंने सिख धर्म की ऐसी कैलेंडर बनाई है। 350वें प्रकाश पर्व पर इन्होंने सिख धर्म के गुरु गोविद सिह पर एक ऐसा ही कैलेंडर बनाया जिसमें उनके जीवन और उनके जन्मस्थल पटना सिटी पर कई अमूल्य जानकारिया दी गई हैं।
अभी वे नालदा ओपन यूनिवर्सिटी से क्रिश्चियन स्टडीज की पढ़ाई कर रहे हैं। वे बताते हैं कि इस्लामिक स्टडीज और सिख धर्म को जानने के बाद मैं इसाई धर्म को करीब से जानना चाहता हूं इसलिए इसमें प्रवेश भी लिया है। वे बताते हैं कि सिख धर्म के बारे में लिखना इतना भी आसान नहीं था क्योंकि मैंने सिर्फ इसकी पढ़ाई की थी। इसके लिए मैं लदन में पाच महीने रहा जिसके बाद काफी रिसर्च किया। इसके बाद उन्होंने अपना गोविन्द कैलेंडर बनाई। इसके लिए उन्हें 1948 बैच के आइएएस सरदार शरण सिह ने तीन एप्रिसिएशन लेटर भी अपने हाथों से सौंपा। शराबबदी और योग को बढ़ावा देने के लिए भी उनके कैंलेंडर की सराहना खुद मुख्यमत्री कर चुके हैं। उनकी पत्नी कल्पना माथुर बताती हैं कि इनके अध्ययन में मैं डिस्टर्ब नहीं करती हूं। इनकी चारों धर्मो के बारे में जानने की अनूठी इच्छा का मैं सम्मान करती हूं और साथ देती हूं। इनके अजूबे कैलेंडर को रिकार्ड्स में जगह मिली यह बड़ी बात है।
रिटायरमेंट के बाद शुरू की चार धर्मो की पढ़ाई
एसबीआइ के सहायक महाप्रबधक रह चुके नरेश चद्र माथुर 2011 में रिटायर हुए। वे नालदा ओपन यूनिवर्सिटी से अब तक जर्नलिज्म, सस्कृत, इस्लामिक स्टडीज और सिखिज्म की पढ़ाई कर चुके हैं। वे बताते हैं कि मुझे हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई चारों धर्मो को जानना था इसलिए मैंने विधिवत पढ़ाई रिटायरमेंट के बाद शुरू कर दी।