शहर की दीवारें बनीं कैनवास, रंगों से खिली राजधानी कर रही है स्वागत, देखें तस्वीरें
बिहार की मधुबनी पेंटिंग का नजारा पटना के गंगा घाट से लेकर हाट तक और जंक्शन की दीवार से लेकर पानी की टंकी तक दिख रहा है। इससे पूरा शहर की छटा बदल गई है।
पटना, जेएनएन। शहर की दीवारें कैनवास बन गई हैं। गंगा घाट से लेकर हाट तक और जंक्शन की दीवार से लेकर पानी की टंकी तक, सभी जगह रंगों की छटा बिखरी है। पुरानी और पारंपरिक कलाएं जैसे मधुबनी, टिकुली आर्ट के जरिए दीवारें जैसे बोल उठी हैं।
पटना शहर ऐतिहासिक तो है ही, कला और संस्कृति इसकी मूल विरासत रही है। प्राचीन समय से ही कलाकारों व इतिहासकारों की शहर में दिलचस्पी रही है। एक बार फिर कला के जरिए पटना शहर को नया लुक दिया गया है। आप पटना जंक्शन पर ट्रेन से उतरे या पाटलिपुत्र जंक्शन पर, गांधी मैदान के चारों ओर घूमे या पटना के गंगा घाटों पर, रंगों की दुनिया आपका स्वागत करती हैं।
गौरवशाली बिहार की झांकी
शहर के रेलवे स्टेशन, गंगा घाट, विद्यापति भवन कई ऐसी प्रमुख जगहें हैं, जहां पर पुराने ऐतिहासिक गौरवशाली बिहार की झांकी कला के माध्यम से जान सकते हैं। मिथिला की प्राचीन कलाओं में शुमार मधुबनी पेंटिंग एवं पटनासिटी का टिकुली आर्ट के जरिए शहर को स्मार्ट बनाने के साथ कलाओं के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है। भवनों पर उकेरी गई कलाकृतियां न केवल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं, बल्कि बिहार के गौरवशाली इतिहास की कहानी भी बयां कर रही है। दीवारों पर उकेरी कलाकृतियों में सम्राट अशोक, भगवान बुद्ध, आचार्य चाणक्य, यक्षिणी, राजगीर की छटा के साथ-साथ बिहार के पारंपरिक पर्व त्योहारों को भी दीवारों पर जगह दी गई है। इन दीवारों पर कलाकृतियों को विभिन्न रंगों से सजाने वाले कलाकार शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के साथ-साथ कला की बारीकियों से अवगत कराने में लगे हैं।
मधुबनी पेंटिंग ने बदला जंक्शन का स्वरूप
पूर्व मध्य रेलवे स्टेशनों में से एक पटना जंक्शन पूरे बिहार के लिए गौरव की बात है। यहां से हजारों-लाखों की संख्या में यात्री देश के विभिन्न राज्यों में ट्रेन से यात्रा करने के लिए जंक्शन पर आते रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न राज्यों से आने वाले लोग भी यहां आकर पटना के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करने आते हैं। लोगों को ध्यान आकर्षित करने एवं कला के जरिए बिहार के इतिहास को बयां करने के लिए कलाकारों की मदद से रेलवे ने पूरे जंक्शन का स्वरूप बदल दिया है। पटना जंक्शन के अंदर प्लेटफॉर्म एक पर मधुबनी पेंटिंग के जरिए आकर्षक बनाया गया है तो दूसरी ओर जंक्शन के बाहरी परिसर में स्टील की सरंचना पर विनाइल मेटेरियल से दीवार बनाई गई है। जंक्शन के अंदर दीवार पर मधुबनी पेंटिंग पर बनाई गई कलाकृतियों के जरिए कलाकार पर्यावरण सरंक्षण का भी संदेश देने में लगे हैं।
विनाइल मैटेरियल का किया है प्रयोग
पटना जंक्शन के सौंदर्यीकरण के बारे में वरीय मंडल अभियंता सुजीत कुमार झा की मानें तो यह पूरी अवधारणा मंडल रेल प्रबंधक की है। कम खर्च में जंक्शन को सुंदर बनाने के लिए एक विशेष प्रकार के विनाइल मैटेरियल जिसे डब्लूपीसी कहा जाता है इसका प्रयोग किया गया है। ये प्लास्टिक के साथ लकड़ी मिली होती है। जो की पूरी तरह वाटर एवं फायर प्रूफ प्लास्टिक होती है। इन दीवार पर एक सीरीज में महात्मा गांधी, आर्यभट्ट, चाणक्या, चंद्रगुप्त मौर्या, गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक, यक्षिणी के साथ-साथ पुरातन धार्मिक परंपरागत छठ पर्व को बखूबी दिखाया जा रहा है।
इन दीवारों पर कहीं नालंदा विवि की छटा तो कहीं बोधगया के मंदिर की झलक भी देखने को मिल रही है। वही मगध साम्राज्य के केंद्र पुरातन राजगीर की कहानी को बयां की जा रही है। इनकी खूबसूरती में चार-चांद लगाने के लिए स्मार्ट लाइटिंग लगी है जो रात में अपने प्रकाश से सभी लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। इन लाइटिंग की सबसे बड़ी खास बात है कि हर पांच मिनट पर इसकी लाइटिंग का रंग बदल जाता है। इसकी सबसे बड़ी बात है कि इसे पानी से धो भी सकते हैं।
विद्यापति भवन की दीवारों पर मिथिला की लोकसंस्कृति
मिथिला की लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने को लेकर शहर के विद्यापति मार्ग में विद्यापति भवन मौजूद हैं। यहां पर मिथिला की लोक संस्कृति से जुड़ी धरोहर मौजूद है। कपड़ों से लेकर दर-ओ-दीवार पर अपनी छाप छोडऩे वाली मिथिला पेंटिंग की कलाकृतियां विद्यापति भवन को खास बनाने में लगी है। विद्यापति भवन की दीवारों पर मधुबनी जिले के जितवारपुर गांव के कलाकारों ने अपनी कलाकृतियों से न केवल भवन को आकर्षक बनाया है बल्कि मिथिला की लोक संस्कृति के साथ मां जानकी की जीवन यात्रा को सलीके से उकेरा है।
विद्यापति भवन की दीवार को रंग रंगोन करने वाले कलाकारों ने रंगों का समावेश कर कूचियों से कई आकृतियां बनाई हैं, जिसमें जनक नंदिनी मां सीता के साथ मिथिला कवि विद्यापति की जीवन यात्रा, राजा सलहेस के साथ मिथिला की लोक संस्कृति को बयां कर रही है। वर्ष 1954 में स्थापित विद्यापति भवन शहर में मिथिला की संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाने के साथ एक धरोहर के रूप में पहचान बनाई है। भवन के बाहरी हिस्सों पर विद्यापति का जीवन तो सीढिय़ों पर मां सीता का जन्म दर्शाया गया है। वही भवन के दीवारों पर मिथिला की पारंपरिक कला अरपन के जरिए कोहबर आदि की पेंटिंग भवन की सुंदरता में चार-चांद लगा रही है।
चेतना समिति के सचिव उमेश मिश्रा की मानें तो मधुबनी पेंटिंग के द्वारा अपनी संस्कृति को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें सीता के जन्म से लेकर धरती में समाहित होने तक की क्रिया (सीतायन), विद्यापति के जीवन आरंभ से लेकर अंत तक की कहानी तथा प्रकृति की छवि को पेंटिंग के जरिए दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है।
गंगा घाट की खूबसूरती में चार-चांद लगा रही पेंटिंग
पटना की सड़कों से लेकर भवनों तक मधुबनी पेंटिंग की कलाकृतियां शहर की सुंदरता में चार-चांद लगा रही है। वही शहर के गंगा घाटों को रंग-रोगन कर आकर्षक पेटिंग के जरिए घाट की खूबसूरती देखते बन रही है। कलेक्ट्रेट घाट, रिवर फ्रंट से लेकर करीब चार किलोमीटर तक पब्लिक आर्ट का खूबसूरत नजारा दिखाई पड़ रहा है। रिवर फ्रंट को आकर्षक बनाने के लिए एक से बढ़कर एक कलाकृति बनाई गई है।
हर घाट पर अलग-अलग थीम पर पेंटिंग बनाई गई है। कलेक्ट्रेट घाट के पास रिवर फ्रंट की दीवारों पर पेंटिंग के जरिए गंगा आरती को उकेरा गया है। इन कलाकृतियों का निर्माण करने वाले अधिकतर कलाकार पटना कला शिल्प महाविद्यालय के छात्र हैं। घाटों पर पेंटिंग के जरिए बनारस के गंगा घाट की गंगा आरती को भी बनाया गया है। वही पेंटिंग के जरिए कलाकार गंगा को स्वच्छ रखने का भी संदेश दे रहे हैं। इसके अलावा जगह-जगह पर पाटलिपुत्र का प्राचीन इतिहास, सम्राट अशोक, मौर्या के समय की कलाकृतियों को बनाया गया है।
पेंटिंग के जरिए दिख रहा बिहार की समृद्ध विरासत
पाटलिपुत्र जंक्शन पर मधुबनी, टिकुली आर्ट एवं भोजपुरी आर्ट के जरिए बिहार की विरासत बयां की जा रही है। दानापुर मंडल के पीआरओ रंजीत कुमार ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत रेलवे स्टेशनों को सुंदर बनाने का प्रयास किया गया है। जंक्शन पर ऐतिहासिक विरासत को दर्शाने वाली पेंटिंग बनाई गई जिससे लोग कलाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। प्लेटफॉर्म की ऊपरी दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग बनाई गई है।
इसमें खासतौर पर बिहार के लोक पर्व छठ का दृश्य, पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्ति के लिए तपस्या में लीन गौतम बुद्ध, भगवान महावीर के जन्म स्थान, राजगीर की वादियों समेत बिहार की विरासत को भी दिखाया गया है। वही राजेंद्र नगर टर्मिनल पर टिकुली आर्ट के जरिए मगध की विरासत जैसे वैशाली स्तूप, अशोक स्तूप, अशोक स्तंभ, भगवान बुद्ध का जीवन दर्शन आदि को बयां किया जा रहा है।
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