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देश-विदेश में लहरा रहा पटना विवि का परचम, बस फहराने को अपना ध्वज नहीं

पटना विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। स्थापना के 100 साल पूरे होने के बाद भी विश्वविद्यालय के पास फहराने के लिए अपना झंडा नहीं है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 10:07 AM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 03:31 PM (IST)
देश-विदेश में लहरा रहा पटना विवि का परचम, बस फहराने को अपना ध्वज नहीं

पटना [जयशंकर बिहारी]। पटना विश्वविद्यालय के विद्यार्थी देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहे हैं। यह बात अलग है कि स्थापना के 100 साल पूरे होने के बाद भी विश्वविद्यालय के पास फहराने के लिए अपना झंडा नहीं है। हाल ही में यूनिवर्सिटी को अपने झंडे की जरूरत महसूस हुई, तब इसको लेकर तलाश शुरू हुई। एक माह तक सीनेट और सिंडिकेट की फाइलें खंगाली गईं कि विश्वविद्यालय के पास अपना कोई झंडा है या नहीं। खोजने के बाद भी झंडे को लेकर कोई जानकारी नहीं मिली।  

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दरअसल 31 अक्टूबर से प्रारंभ होने वाली अंतर-विश्वविद्यालय सांस्कृतिक प्रतियोगिता 'तरंग' में भाग लेने वाली टीमों को अपने साथ विश्वविद्यालय का झंडा भी लाने का निर्देश दिया गया है। जब इस संबंध में विश्वविद्यालय को पत्र मिला तो ध्वज की खोज शुरू हुई और यह मामला सामने आया। अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने झंडा तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है।  

डीएसडब्ल्यू प्रो. एनके झा ने बताया कि झंडे के लिए कई डिजाइन प्राप्त हुए हैं। चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। विश्वविद्यालय के ध्वज में कुलगीत और भौगोलिक स्थिति के भी दर्शन होंगे। सूत्रों के अनुसार झंडे का चयन लगभग हो चुका है। विश्वविद्यालय का ध्वज दो रंगों का होगा। ध्वज के निचले भाग में गंगा की अविरल धारा तथा ऊपरी हिस्से में नीले आसमान को दर्शाया जाएगा।

बीच में विश्वविद्यालय का 100 साल पुराना लोगो होगा। ध्वज कमेटी के चयन के बाद इसे इस्तेमाल में लाया जाएगा। इस मुद्दे पर गुरुवार को ध्वज कमेटी की बैठक होनी है। सीनेट और सिंडिकेट की मंजूरी बाद में ली जाएगी।

स्पोर्ट्स और सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए अलग-अलग झंडे 

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 31 अक्टूबर से 'तरंग' प्रतियोगिता का आयोजन होना है। इसमें पटना विश्वविद्यालय अपने 100 साल के सफर को झांकी के माध्यम से दर्शाएगा। रजिस्ट्रार कर्नल मनोज मिश्रा ने बताया कि स्पोर्ट्स व सांस्कृतिक आयोजनों में अलग-अलग ध्वज का उपयोग किया जाता था।

इस कारण कुलपति के आदेश पर विश्वविद्यालय का ध्वज तैयार करने का निर्णय लिया गया। 'तरंग' और 'एकलव्य'प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय अपने ध्वज के साथ जाएगा। 

एक दर्जन से अधिक डिजाइन मिले 

ध्वज को तैयार करने के लिए कमेटी का गठन किया गया है। इसमें प्रोवीसी प्रो. डॉली सिन्हा, डीएसब्ल्यू प्रो. एनके झा, रजिस्ट्रार कर्नल मनोज मिश्रा, एनएसएस कोऑर्डिनेटर डॉ. अतुल आदित्य पांडेय, आर्ट कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजय पांडेय आदि हैं। डॉ. अतुल आदित्य पांडेय और आर्ट कॉलेज प्राचार्य ने कई डिजाइन कमेटी को सौंप दिए हैं। इसी में से किसी का चयन होगा।  

हर क्षेत्र में मानक हैं पूर्ववर्ती छात्र 

पिछले साल 14 अक्टूबर को शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पीएमओ में सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक करता हूं तो अधिसंख्य बिहार और पटना विश्वविद्यालय से जुड़े होते हैं।

विश्व में सुलभ शौचालय की अवधारणा देने वाले डॉ. बिंदेश्वर पाठक, एटॉमिक एनर्जी कमिशन के पूर्व चेयरमैन रतन कुमार सिन्हा, जंतु विज्ञान विभाग के पूर्व छात्र एवं वैज्ञानिक डॉ. अखौरी सिन्हा (जिनके नाम पर अमेरिका ने एक पर्वत का नामकरण 'माउंट सिन्हा' रखा), अरिस्टो फॉर्मा के मलिक और राज्यसभा सदस्य महेंद्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र, अल्केम फॉर्मा के कार्यकारी अध्यक्ष वासुदेव प्रसाद सिंह सहित पीयू के सैकड़ों पूर्ववर्ती छात्र अपने-अपने क्षेत्र में मजबूती से खड़े हैं। 

 कहा- डीएसडब्ल्यू, ने 

विश्वविद्यालय का प्रामाणिक ध्वज 31 अक्टूबर के पहले मिल जाएगा। इसी का उपयोग स्पोट्र्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम, एनएसएस आदि की टीम करेगी। ध्वज कुलगीत, गौरवशाली इतिहास और भौगोलिक स्थिति को ध्वज दर्शाएगा। 

- प्रो. एनके झा, डीएसडब्ल्यू, पटना विश्वविद्यालय 


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