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पटना के लोग आज भी याद करते हैं बक्‍सर वाले मामाजी की रामलीला, दुर्गा पूजा में बिस्‍म‍ि‍ल्‍ला खां भी आए थे

वक्त के साथ बदलती रामलीला का मंचन आज भी बरकरार। 1986 से 2018 तक नागाबाबा ठाकुरबाड़ी में होता था रामलीला का मंचन। बक्सर के रामजानकी मंदिर से जुड़े लोग करते थे मंचन दशहरा कमेटी व बिहार आर्ट थियेटर की ओर से 2020 से रंगालय में मंचन।

By prabhat ranjanEdited By: Shubh Narayan PathakPublished: Tue, 04 Oct 2022 09:28 AM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 11:00 PM (IST)
पटना के लोग आज भी याद करते हैं बक्‍सर वाले मामाजी की रामलीला, दुर्गा पूजा में बिस्‍म‍ि‍ल्‍ला खां भी आए थे
पटना में रामलीला का पुराना इतिहास। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

प्रभात रंजन, पटना। दशहरा के मौके पर पटना में रामलीला के आयोजन का अतीत काफी पुराना है। यहां पर रामलीला की खास परंपरा रही है। पटना में बीते 35  वर्षो से रामलीला का आयोजन होता रहा है। समय के साथ रामलीला का मंचन भले हीं आधुनिक हो गया हो, लेकिन आकर्षण बरकरार रखने के साथ रामलीला ने परंपराओं को जीवित रखा है।

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रंगमंच के मंझे कलाकार पेश करते रामलीला 

रंगमंच के मंझे हुए कलाकार श्री दशहरा कमेटी ट्रस्ट व बिहार आर्ट थियेटर के संयुक्त तत्वावधान में कालिदास रंगालय परिसर में 2020 से रामलीला का मंचन प्रेक्षागृह में कर रहे हैं। कलाकारों की मानें तो रामलीला आज भी पारंपरिक तरीकों से ही होता रहा है। बीते दो वर्षो में कोरोना के कारण सरकार की ओर से सार्वजनिक अनुमति नहीं मिली इसके बावजूद कलाकारों ने प्रतीक रूप में इस परंपरा को अनवरत जारी रखा है।

कालिदास रंगालय में देख सकते रामलीला 

दशहरा कमेटी व बिहार आर्ट थियेटर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित होने वाली रामलीला का मंचन मंगलवार को कालिदास रंगालय में शाम छह बजे से होगा। वहीं भरत मिलाप छह अक्टूबर को शाम छह बजे कालिदास रंगालय में होगा। रामलीला व भरत मिलाप का जीवंत प्रस्तुति इंटरनेट मीडिया पर भी साझा किया जाएगा। 

रामजानकी मंदिर से आए थे कलाकार 

राजधानी में रामलीला मंचन के बारे में दशहरा कमेटी के अधिकारियों की मानें तो बक्सर के राम जानकी मंदिर से सात लोगों की टीम पटना रामलीला करने आई थी। रामजानकी मंदिर के संस्थापक मामाजी महाराज की अगुआई में नागा बाबा ठाकुरबाड़ी में रामलीला का मंचन किए थे। 1986 से लेकर 2018 तक लगातार रामलीला का मंचन नागा बाबा ठाकुरबाड़ी परिसर में होता रहा।

भीड़ बढ़ी तो बदलनी पड़ी जगह 

श्री दशहरा कमेटी के अध्यक्ष कमल नोपानी की मानें तो पहले नागाबाबा ठाकुरबाड़ी परिसर में रामलीला का मंचन होता था वहीं लोगों की भीड़ बढऩे और जगह की कमी के कारण बीते दो वर्षों से बिहार आर्ट थियेटर के सहयोग से रामलीला का मंचन कालिदास रंगालय में होने लगा है। 

दो वर्षों बाद होगा भव्य आयोजन 

कोरोना संक्रमण के कारण दो वर्षो बाद बड़े स्तर पर कालिदास रंगालय में रामलीला व भरत मिलाप कार्यक्रम का आयोजन होगा। बिहार आर्ट थियेटर के सचिव अभिषेक रंजन ने बताया रामलीला को लेकर रंगालय परिसर में हर दिन कलाकार अभ्यास करने में लगे हैं। चार अक्टूबर को रंगालय में लगभग चार घंटे का संपूर्ण रामलीला का मंचन कलाकार करेंगे। 50 से अधिक कलाकार रामलीला में विभिन्न किरदार निभाएंगे।

इन कलाकारों को मिली प्रमुख भूमिकाएं

भगवान श्रीराम की भूमिका में बिहार आर्ट थियेटर के राज पटेल, सीता की भूमिका में उज्जवला गांगुली, लक्ष्मण की भूमिका में आशुतोष निर्भय, हनुमान की भूमिका में विक्रांत और रावण की भूमिका में आरजे शशि, भरत की भूमिका में सूरज कुमार, सुग्रीव शत्रुघ्न की भूमिका में अंकित कुमार, कैकेयी की भूूमिका में सिमरन सिंह, अंगद की भूमिका में विभूति भूषण, केवट की भूमिका में मनोहर कुमार, विभीषण की भूमिका में आदिल रजा, मेघनाद की भूमिका में अनुज कुमार  किरदार निभाएंगे। रामलीला का निर्देशन बिहार आर्ट थियेटर के महासचवि अभिषेक रंजन करेंगे। 

दुर्गापूजा में रात भर जगता था शहर 

दुर्गापूजा के मौके पर शहर में विभिन्न जगहों पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे। दुर्गापूजा के दौरान देश के नामचीन कलाकरों की प्रस्तुति को देखने को पूरा शहर रात भर जगता था। 1944 में दुर्गापूजा में शास्त्रीय संगीत के जलसे की नींव गोविंद मित्रा रोड में रखी गई थी। दुर्गापूजा के दौरान भीमसेन जोशी, किशन महाराज, गुदई महाराज, बिस्मिल्ला खान जैसे नामचीन कलाकारों को सुनने के लिए लोगों की भीड़ खूब उमड़ती थी। 


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