Chhath Puja 2020: श्रद्धा और उत्साह में डूबा पटना, गूंज रहा 'कांच ही बांस के बहगिंया...ऊगली हे सुरुज देव...
पूरा शहर छठ गीतों से गूंज रहा है। पूजा समितियों की ओर से लाउडस्पीकर बजाया जा रहा है। घरों में भी मोबाइल टीवी पर सिर्फ छठ गीत ही सुनाई दे रहा है। अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए व्रती तैयारी कर रहे हैं।
पटना, जेएनएन। नहाय खाय के तीसरे दिन शुक्रवार को पूरा शहर छठ गीतों से गूंज रहा है। पूजा समितियों की ओर से लाउडस्पीकर बजाया जा रहा है। घरों में भी मोबाइल, टीवी पर सिर्फ छठ गीत ही सुनाई दे रहा है। अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए व्रती तैयारी कर रहे हैं। मंडी से प्रसाद लाने के बाद इसे साफ पानी से धोकर घाट पर ले जाने के लिए दउरा सजाया जा रहा है। यह सारे काम करते समय भी महिलाएं छठ गीत गा रही हैं - कांच ही बांस के बहगिंया... ऊगली हे सुरुज देव...
पटना की छठ पूजा का विशेष महत्व
छठ महापर्व यूं तो भारत के अधिकांश राज्यों के साथ कई देशों में मनाया जाता है लेकिन पटना की छठ पूजा का अपना विशेष महत्व है। बिहार की राजधानी होने, गंगा के तट पर शहर के होने, बड़ी आबादी रहने के साथ ही वर्षों पुरानी परंपरा में श्रद्धा रखने वालों की अपार भक्ति की वजह पटना की छठ पूजा की चर्चा देश- दुनिया में होती रही है। ऐसा नहीं कि पटना की छठ पूजा हाल में चर्चा आई है, यहां कुछ वर्षों पूर्व से इसकी चर्चा हो रही है। इतिहास के पन्नों पर गौर करें तो सैकड़ों साल पूर्व से ही पटना की छठ पूजा चर्चा में रही है।
छठ का जारी किया स्टांप
एक दिन पूर्व भारतीय डाक विभाग की ओर से छठ महापर्व पर माय स्टांप जारी किया गया। इस स्टांप पर 1830 ई. में गंगा तट पर छठ करतीं महिलाओं के चित्र हैं। यह पेंटिंग लंदन स्थित विक्टोरिया अलबर्ट म्यूजियम में उपलब्ध थी। पटना कलम शैली की इस पेंटिंग के आधार पर ही माय स्टांप 19 नवंबर को डाक विभाग ने जारी किया। जाहिर है पटना की छठ पूजा सैकड़ों साल से जनमानस के साथ कलाकारों के लिए भी विशेष रही है।आबादी बढ़ने, और पटना में बड़े कलाकारों की ओर से छठ पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन से पटना की छठ पूजा की प्रसिद्धि और बढ़ी है।