पटना की हवा मानक से पांच गुना अधिक खराब, कोरोना पाजिटिव हुए मरीजों के फेफड़े पर बुरा असर
पटना के लोग सर्दी -खांसी एलर्जी एवं सांस लेने की समस्या के शिकार होने लगे हैं। खासकर उन लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है जो लंबे समय तक कोरोना के दौरान फेफड़े के संक्रमण के शिकार रहे हैं।
नीरज कुमार , पटना: राजधानी की सड़कों पर पड़ा धूलकण, दीपावली में पटाखों से फैला धुआं एवं ठंड के कारण वातावरण में बढ़ रही नमी ने पटना के एयर क्वालिटी इंडेक्स को काफी खराब कर दिया है। इंडेक्स में आई खराबी का सीधा असर फेफड़े पर पड़ रहा है। लोग सर्दी -खांसी, एलर्जी एवं सांस लेने की समस्या के शिकार होने लगे हैं। खासकर उन लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है, जो लंबे समय तक कोरोना के दौरान फेफड़े के संक्रमण के शिकार रहे हैं। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डा.अशोक कुमार घोष का कहना है कि राजधानी की सड़कों पर पड़ा बालू का कण हवा में तैर रहा है। दीपावली की रात एवं छठ के दिन के छोड़े गए पटाखों से निकले धुआं ने वातावरण को काफी प्रभावित किया है। वातावरण में फैला धुआं एवं धूलकण नमी के कारण धरातल के आसपास मंडरा रहे है। वातावरण में धूलकण की एक परत बन गई है। नमी बढ़ने के कारण धूलकण एवं धुआं अधिक ऊपर नहीं जा रहा है।
230 पर पहुंचा राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स
वर्तमान में राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स 230 पर पहुंच गया है। यह मानक से लगभग पांच गुना ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी वातावरण का एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से नीचे रहे तो बहुत बेहतर माना जाता है। दीपावली के बाद से शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्सर 250 के आसपास रह रहा है।
प्रदेश के प्रमुख शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स
17 नवंबर
पटना : 230
मुजफ्फरपुर : 261
हाजीपुर : 242
दरभंगा : 237
मोतिहारी : 299
मुंगेर : 251
कमजोर फेफड़े पर चोट कर रहा प्रदूषण
पीएमसीएच के वरिष्ठ हार्ट रोड विशेषज्ञ डा.अशोक कुमार का कहना है कि वातावरण में फैला प्रदूषण कमजोर फेफड़े वाले मरीजों को ज्यादा परेशान कर रहा है। कोरोना के दौरान काफी लोग फेफड़े के संक्रमण के शिकार हुए थे। कई लोग लंबे समय तक पीड़ित रहे। अब उन्हें सांस लेने में ज्यादा परेशानी हो रही है। इसके अलावा वे बार-बार संक्रमण का शिकार हो रहे हैं।
सड़कों की नियमित सफाई से कम हो सकती प्रदूषण की मात्रा
विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी की सड़कों की नियमित सफाई की जाए तो राजधानी में प्रदूषण की मात्रा बहुतहद तक कम की जा सकती है। इसके अलावा भवन एवं सड़कों के निर्माण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। वहां पर ग्रीन चादर का उपयोग किया जाए। समय-समय पर पानी की छिड़काव होता रहे। कार्बनडाइ आक्साइड उगल रहे वाहनों पर भी रोक लगाने की जरूरत है।