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नए रूप में दिखेगी पटना पुलिस, दस दिन में पता चल जाएगा आरोप सही या गलत

अब अपराधियों की खैर नहीं। स्पीडी इंवेस्टिगेशन मिशन के तहत पुलिस अब काम करेगी। डीआइजी के निर्देश पर इसके लिए केस डायरी तैयार कर ली गई है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 01:35 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:35 PM (IST)
नए रूप में दिखेगी पटना पुलिस, दस दिन में पता चल जाएगा आरोप सही या गलत

पटना, जेएनएन। पटना और नालंदा जिलों में लंबित कांडों की बढ़ती संख्या पर बनी चिंताजनक स्थिति में सुधार लाने के लिए सेंट्रल रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआइजी) राजेश कुमार ने शनिवार को नई पहल की है। उन्होंने 'स्पीडी इंवेस्टिगेशन मिशन' के तहत कांडों के अनुसंधान को लेकर मातहतों को कई तरह के दिशा-निर्देश दिए हैं। साथ ही अनुसंधान के लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों की भूमिका के अनुसार अवधि भी निर्धारित कर दी है।

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अब केस रजिस्टर्ड होने के 10 दिन के अंदर संज्ञेय अपराध में एसडीपीओ और असंज्ञेय अपराध में इंस्पेक्टर को पर्यवेक्षण पूरा कर लेना होगा। मतलब, उन्हें बताना होगा कि वादी ने अभियुक्त पर जो आरोप लगाए हैं, वो सही हैं या नहीं? उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद एसपी 20 दिन के अंदर सुपरविजन रिपोर्ट (द्वितीय) जारी कर देंगे, ताकि 60 दिन के अंदर अभियुक्त के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट समर्पित कर दिया जाए। अगर वादी ने झूठे आरोप लगाए हैं तो इतने समय में अंतिम प्रपत्र कोर्ट में भेजा जाए। गौरतलब है कि पर्यवेक्षण और सुपरविजन रिपोर्ट-2 प्रेषित नहीं होने के कारण पटना जिले में 17 हजार से अधिक कांड लंबित हैं। पुलिस की सुस्ती के कारण पीडि़त पक्ष को इंसाफ नहीं मिल रहा है।

एफएसएल और सिविल सर्जन ऑफिस में होगी पुलिस प्रतिनियुक्ति

डीआइजी ने एसएसपी को निर्देशित किया है कि एफएसएल और सिविल सर्जन ऑफिस में पटना पुलिस के पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की जाए, ताकि समय पर रिपोर्ट उपलब्ध हो सके। दोनों ही कार्यालयों में एक दारोगा और एएसआइ तथा तीन साक्षर सिपाही की प्रतिनियुक्ति करने का आदेश दिया है। उनका काम रहेगा कि पटना पुलिस से एफएसएल अथवा सिविल सर्जन से मांगी गई रिपोर्ट को अविलंब तैयार करवाकर संबंधित थाने को मुहैया कराएंगे। वर्तमान में कई ऐसे कांड हैं, जिनमें घटना के कई साल बीतने के बाद भी एफएसएल की रिपोर्ट नहीं आई है।

कुछ इस तरह तैयार होनी चाहिए केस डायरी :

- 12 से 15 पन्नों के बीच होगी केस डायरी

- सात-आठ गवाहों से अधिक के बयान दर्ज करने की जरूरत नहीं।

- कांड की सत्यता और तकनीकी छानबीन का करना होगा जिक्र।

- पर्यवेक्षण टिप्पणी और रिपोर्ट-2 का निष्कर्ष लिखना अनिवार्य।

- एफएसएल, इंज्यूरी एवं पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, जब्ती सूची आदि पर थाने का स्टांप लगाकर केस डायरी में करेंगे संलग्न। डायरी में लिखेंगे केवल निष्कर्ष।

- एफआइआर का मुख्य भाग ही केस डायरी में लिखें। घटनास्थल का फोटोग्राफ अथवा स्केच देना अनिवार्य।

- मृतक अथवा अभियुक्त का सामाजिक परिप्रेक्ष्य एवं आपराधिक इतिहास लिखेंगे।

- घटनास्थल का समुचित विवरण देते हुए पर्यवेक्षी पदाधिकारी प्रत्येक कांड में अनुसंधानकर्ता से 15-20 प्रश्न करेंगे और उनके जवाब प्रश्नों का उल्लेख करते हुए केस डायरी में लिखना होगा।

- यदि प्रतिरक्षा साक्ष्य जैसी कोई बात प्रकाश में आती है तो उसे भी डायरी के एक पैरा में अंकित करें।


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