जागरण संवाददाता, पटना: गहने, सामान से लेकर लोहे का पुल तक चोरी होने के बाद अब पटना में चोर मोबाइल टावर भी उड़ा रहे हैं। दो माह में पटना शहर में इस तरह की दूसरी वारदात सामने आ चुकी है, जिसमें अज्ञात लोगों के खिलाफ टावर और उपकरण चोरी की प्राथमिकी दर्ज की गई है। पहली घटना नवंबर 2022 के आखिरी सप्ताह में प्रकाश में आई और गर्दनीबाग थाने में इसकी शिकायत की गई। दूसरी घटना पीरबहोर थाना क्षेत्र की है, जब कंपनी ने मोबाइल टावर व उपकरण चोरी की जानकारी होने के चार माह बाद 16 जनवरी को केस किया। पीरबहोर थानेदार सबीह उल हक ने बताया कि टावर चोरी होने का केस तो किया गया है, लेकिन मामला पूरी तरह से संदेहास्पद है। टावर कौन खोलकर ले गया इसकी जांच की जा रही है।
31 अगस्त को मिला था गायब, 16 जनवरी को केस
जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी के एक्यूजिशन अफसर मो. शहनवाज अनवर ने पुलिस को बताया कि जीटीएल कंपनी का एक मोबाइल टावर पीरबहोर थाना क्षेत्र के वार्ड संख्या 28 में शाहीन कयाम के प्लाट में लगाया गया था। मोबाइल टावर साइट विगत कुछ वर्षों से बंद था। 31 अगस्त 2022 की शाम करीब चार बजे निरीक्षण के दौरान पाया गया कि उक्त मोबाइल टावर एवं अन्य उपकरण अज्ञात लोग उठा ले गए। इसकी कीमती करीब आठ लाख तीन हजार रुपये है। उस समय कंपनी ने चुप्पी साधे रखी। अब 16 जनवरी को इस संबंध में पीरबहोर थाने में लिखित आवेदन दिया तो पुलिस चोरी की प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन में जुट गई।
इसी तरह गर्दनीबाग थाना क्षेत्र के यारपुर में राजपूताना इलाके में स्वयं को मोबाइल कंपनी का कर्मी बताकर शातिर करीब 19 लाख रुपये का मोबाइल टावर खोलकर वाहन में लादकर चले गए थे। यह टावर भी एयरसेल कंपनी का था। एयरसेल बंद होने के बाद इसे दूसरी कंपनी ने ले लिया था।
नहीं मिल रहा था किराया, जनरेटर ले गई थी कंपनी
थानेदार की मानें तो एयरसेल से टावर जीटीएल कंपनी ने अधिग्रहित कर लिया था। पूछताछ में पता चला कि मकान मालिक को किराया भी नहीं मिल रहा था। उन्होंने कंपनी से यहां तक कह दिया था कि आप किराया दीजिए या मत दीजिए, बस छत खली कर दीजिए। बताया जा रहा है कि जनरेटर और आधा सामान हटा दिया गया था, लेकिन जब जीटीएल कंपनी निरीक्षण करने पहुंची तो सामान नहीं मिला। अब किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर टावर का सामान कौन ले गया? पुलिस सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है। इस बीच, कुछ लोग टावर मेंटेनेंस के लिए भी छत पर गए थे। वह छत पर क्या करते थे, किसी को कुछ पता नहीं।