Patna Air Quality: टॉप-10 शहरों में राजधानी का भी नाम, दमा मरीजों के लिए जहरीली है ये हवा Patna News
देश के प्रदूषित शहरों में पटना का नाम टॉप-10 में शामिल हो गया है। इससे दमा के मरीजों के लिए परेशानी बढ़ गई है।
पटना, जेएनएन। दिल्ली ही क्यों पटना की हवा में जहर है। यहां भी दम घुटा देने वाली हवा चल रही है। देश के प्रदूषित शहरों में बिहार की राजधानी टॉप-10 में आ गई है। इससे दमा के मरीजों के लिए परेशानी बढ़ गई है। दमा के मरीजों में सांस फूलने की शिकायत काफी आ रही है। इसके अलावा आम लोग भी गले में खरास, सर्दी-खांसी, एलर्जी सहित अन्य संक्रमित बीमारियों के शिकार बन रहे हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार सोमवार को पटना में पीएम2.5 का स्तर 382 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉर्ड किया गया। मुजफ्फरपुर में पीएम2.5 का स्तर 369 माइक्रोग्राम और गया में 294 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा।
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. एमपी सिंह ने कहा कि राजधानी में मानक से कई गुणा ज्यादा प्रदूषण बढ़ गया है। सामान्यत: वातावरण में सूक्ष्म तत्वों की मात्र प्रति घनमीटर 50 के आसपास होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में वातावरण में सूक्ष्म तत्वों की मात्र 400 से अधिक हो गई है। ऐसे में सांस संबंधी बीमारियों का प्रकोप 30 से 40 फीसदी बढ़ गया है। प्रदूषण की सबसे ज्यादा मार दमा के मरीजों पर दिखाई दे रही है। उनमें दम फूलने की समस्या काफी बढ़ गई है। अगर जल्द प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो, यह जानलेवा साबित हो सकता है।
सर्दी-खांसी की समस्या भी हो गई गंभीर
वातावरण में प्रदूषण की समस्या गंभीर होने पर सर्दी-खांसी और एलर्जी की समस्या भी काफी बढ़ गई है। धूलकण व धुएं से फैलने वाली एलर्जी लोगों को काफी परेशान कर रही है। कई लोगों को तो गले में खरास होने के कारण खांसने से सीने में दर्द की शिकायत होने लगी है।
बुजुर्गो पर विशेष ध्यान देने की जरूरत: डॉक्टरों का कहना है कि वर्तमान में बुजुर्गो पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वृद्धजनों में सांस संबंधी ज्यादा समस्या होती है। वातावरण में धूलकण ज्यादा बढ़ने पर वह एलर्जी की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। किसी व्यक्ति को एलर्जी होने पर उसे फेफड़े के संक्रमण सहित कई बीमारियां जकड़ लेती हैं।
धूलकण पर नियंत्रण के लिए ठोस कार्रवाई की जरूरत
चिकित्सकों का कहना है कि राजधानी में धूलकण पर नियंत्रण के लिए ठोस कार्रवाई की जरूरत है। छठ के बहाने शहर की सफाई हो चुकी है। ऐसे में धूलकण को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है, इसके लिए सड़कों की नियमित सफाई हो।
आइजीआइएमएस में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी
राजधानी की हवा में प्रदूषण बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में सांस से संबंधित मरीजों की कतारें बढ़ने लगी हैं। आइजीआइएमएस में सोमवार को 31 सौ मरीज इलाज कराने पहुंचे। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि सोमवार को ओपीडी में 250 नये मरीजों ने पल्मोनरी विभाग में निबंधन कराया। जबकि दो सौ से अधिक पुराने मरीज भी इलाज कराने पहुंचे। इनमें अधिकांश मरीज सांस की समस्या लेकर पहुंचे थे।