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600 मोबाइल टॉवर के 'अंडर करंट' में पटना, सहूलियत की जगह स्वास्थ्य को नुकसान

राजधानी पटना के लोगों की सेेहत पर मोबाइल टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार पटना में करीब 600 टॉवर हैं, जो लोगों को बीमार बना रहे हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 02:09 PM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 10:41 PM (IST)
600 मोबाइल टॉवर के 'अंडर करंट' में पटना, सहूलियत की जगह स्वास्थ्य को नुकसान
600 मोबाइल टॉवर के 'अंडर करंट' में पटना, सहूलियत की जगह स्वास्थ्य को नुकसान

पटना [जेएनएन]। राजधानी पटना मोबाइल टॉवर की कैद में है। घनी आबादी में भी नियमों को ताक पर रखकर मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं। टॉवर लगाने के एवज में मिलने वाली राशि की वजह से लोग खुद अपने स्वास्थ्य के दुश्मन बन बैठे हैं। सिर्फ राजधानी पटना की नई बसावट में 200 से अधिक मोबाइल टॉवर लगाए हैं। पटना के मोहल्लों में लगे मोबाइल टॉवर व मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहे हैं।

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आपको जानकर हैरानी होगी कि पटना में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार करीब 600 टॉवर हैं। गैरकानूनी रूप से ये आंकड़ा इससे भी भयावह होगा। यानी पूरा पटना सैंकड़ों मोबाइल टॉवर की कैद में है। आप अपने घर की छत पर खड़े होकर, जहां भी नजर दौड़ाएंगे, वहां आपको मोबाइल टॉवर दिख जाएंगे। मोबाइल टेलीकॉम कंपनियों ने नियम को ताक पर रखकर घनी आबादी में मोबाइल टॉवर लगा दिए हैं।

पर्यावरणविद् बताते हैं, मोबाइल टॉवर ने हमारी जिंदगी की कितनी बदली है, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कुछ साल पहले तक हमारे घर की बालकनी में चें-चें करने वाली गौरैया अब गायब हो गई है। शहरों से मधुमक्खी की आबादी भी पलायन कर चुकी है।

नूतन राजधानी में 215 व बांकीपुर में 142 टॉवर

पिछले दो दशक में राजधानी पटना की नई बसावट यानी नूतन राजधानी में 215 मोबाइल टॉवर हैं। वहीं नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार कंकड़बाग इलाके में 65 मोबाइल टॉवर हैं। राजधानी के बांकीपुर इलाके में 142 मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं। पटना सिटी इलाका भी मोबाइल रेडिएशन की मार से अछूता नहीं है। यहां करीब 166 मोबाइल टॉवर हैं। अन्य को जोड़ते हुए शहर में कुल मिलाकर 600 मोबाइल टॉवर हैं। जो संभव है कि लोगों को मोबाइल पर बात करने व इंटरनेट आदि के इस्तेमाल में सहूलियत प्रदान करता हो, मगर इसका अंडर करंट लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है।

टॉवर और मोबाइल दोनों रेडिएशन स्वीट प्वाइजन

अपने मोहल्ले में तने मोबाइल टॉवर को देखकर हम भले ही खुश हो लें कि हमारा इलाका तरक्की कर रहा है, मगर सच्चाई तो यही है कि टॉवर और मोबाइल दोनों के रेडिएशन स्वीट प्वाइजन की तरह हैं। ये ऊपर-ऊपर भले ही नहीं दिखते हों, मगर स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते हैं। जेनरल फिजिशयन डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा बताते हैं, शहर में कुकरमुत्ते की तरह लगे रहे मोबाइल टॉवर तेजी से ध्वनि प्रदूषण बढ़ा रहा है। इस वजह से लोगों में कान से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। यदि इसी तरह मोबाइल टॉवर तेजी से बढ़ता रहा तो और भी परेशानियां कम नहीं होने वाली हैं।

केस- 1

मयंक चौधरी (बदला नाम)। पटेल नगर निवासी हैं। कुछ दिनों पहले डॉ. गोपाल प्रसाद के यहां इलाजरत थे। इन्हें मोबाइल मेनिया हो गया था। यानी मोबाइल के बिना के वे एक पल नहीं रह सकते थे। इस वजह से रात को नींद तक नहीं आती थी। सोते वक्त भी सीने से मोबाइल चिपका कर रखते थे। घर वालों को जब परेशानी समझ में आई तो वे डॉ. गोपाल प्रसाद के पास ले गए। करीब छह महीने तक इलाज होने के बाद अब मयंक पूरी तरह से स्वस्थ हैं। अब उनकी जिंदगी मोबाइल के बिना चंगी है।

केस- 2

राहुल राज (बदला नाम)। कंकड़बाग इलाके के निवासी हैं। नवमी क्लास के छात्र हैं। आठवीं क्लास तक अपने स्कूल के टॉप छात्रों में इनकी गिनती की जाती थी, मगर नवमी क्लास में इनका प्रदर्शन एकदम से नीचे लुढ़क गया। घर वालों ने देखा की उनका लाल हमेशा मोबाइल में चिपका रहता है। वे मनोचिकित्सक डॉ. समीधा पांडे के पास लेकर गए। वहां डॉ. पांडे ने समझाया कि स्मार्ट फोन के अधिक इस्तेमाल से राहुल की एकाग्रता पर अधिक असर पड़ा है। उसका फोकस गड़बड़ हो गया है। आज काउंसलिंग व इलाज के बाद राहुल फिर से सामान्य हो गया है।

सड़क से अधिक घर और ऑफिस में पहुंचा रहा नुकसान

मोबाइल फोन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, इससे तो सभी वाकिफ हैं। अब नया तथ्य सामने आया है कि यह सड़क से अधिक घर और दफ्तर में नुकसान पहुंचा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और मोबाइल का रेडिएशन मिलकर शरीर पर दोगुना नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अध्ययन में यह बात सामने आई है।

एक्सपर्ट कमेंट

मोबाइल टॉवर और मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन की वजह से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। मोबाइल फोन ने युवाओं के व्यक्तित्व व चरित्र को प्रभावित किया है। किशोरों को लगता है कि अब उन्हें पढऩे की जरूरत नहीं, सबकुछ मोबाइल में ही मिल जाएगा। इस वजह से युवा तेजी से डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं।

डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा, चिकित्सक

मोबाइल फोन व मोबाइल टॉवर से निकलने वाले इलक्ट्रो मैगनेटिक रे की वजह से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पर रहा है। इस वजह से बच्चों की याददाशत पर गहरा असर पड़ा है। मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से युवाओं के ब्रेन के अंदर न्यूरो सेल को नुकसान हो रहा है। मोबाइल टॉवर व मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडियेशन की वजह से बच्चों व युवाओं की समझने की क्षमता भी प्रभावित हुई है।

डॉ. समीधा पांडे, मनोचिकित्सक


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