पटना के अस्पतालों में सांस के ऐसे मरीज भी, जिनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव, पर ऑक्सीजन लेवल कम
Bihar Coronavirus Update News कोरोना टेस्ट में निगेटिव फिर भी कम हो रही ऑक्सीजन पटना के युवाओं में दिख रहे ऐसे लक्षण दमा व ब्रोंकाइटिस पीडि़त पहुंच रहे आइसीयू में एम्स पटना व आइजीआइएमएस में पहुंच रहे ऐसे मरीज
पटना, पवन कुमार मिश्र। एम्स पटना और आइजीआइएमएस जैसे संस्थानों में ऐसे युवा मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनकी आरटी-पीसीआर व एंटीजन रैपिड कोरोना टेस्ट रिपोर्ट तो लगातार निगेटिव आ रही है, लेकिन उनके खून में ऑक्सीजन की मात्रा घटती जा रही है। दमा व ब्रोंकाइटिस पीडि़त युवाओं को अचानक आइसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है। रिपोर्ट निगेटिव आने से कोविड अस्पताल उन्हें भर्ती नहीं करते हैं। ऐसे में उनकी परेशानी बढ़ जाती है।
हर दिन आ रहे ऐसे चार से पांच मरीज
एम्स के कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि हर दिन ऐसे चार से पांच मरीज आते हैं जिनकी बार-बार आरटीपीसीआर जांच कराने पर भी रिपोर्ट निगेटिव आती है। अस्पताल कोविड डेडिकेटेड है, ऐसे में यदि वे ओपीडी के लायक होते हैं तो वहां, अन्यथा जिन केंद्रों में सस्पेक्टेड मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड होता है, वहां रेफर किया जाता है।
15 बेड का आइसोलेशन बेड बनकर तैयार
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के चिकित्साधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि हमारे यहां आजकल पांच प्रतिशत के आसपास मरीज ऐसे होते हैं जिनकी आरटीपीसीआर व एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आती है लेकिन शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम होता है। ऐसे लोगों के लिए हमने 15 बेड का अलग आइसोलेशन वार्ड बनाया है। इन रोगियों को वहां रखकर इलाज किया जाता है।
पीएमसीएच में 50 फीसद मरीजों को सांस की शिकायत
पीएमसीएच के कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ. अरुण अजय और मुख्य आकस्मिकी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अभिजीत सिंह ने बताया कि हमारे यहां सांस फूलने वाले रोगियों की संख्या 50 फीसद है। हालांकि, इनमें से अधिकतर लोग पोस्ट कोविड मरीज होते हैं। युवाओं की बड़ी संख्या है। इनके लिए 50 बेड का आइसोलेशन टाटा वार्ड बनाया है। जरूरत होने पर रोगियों को मेडिकल आइसीयू में भर्ती किया जाता है।
अचानक ऑक्सीजन का स्तर आ जाता 80 पर
कोरोना का यह ऐसा लक्षण है जिसमें न तो सांस फूलती है और न ही अधिक थकान या कमजोरी का अहसास होता है। वायरस चुपचाप काम करता रहता है और अचानक खून में ऑक्सीजन का स्तर 95 से घटकर सीधे 80 पर पहुंच जाता है। इसका किडनी, दिल और दिमाग पर घातक दुष्प्रभाव होता है।