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Bihar: 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट सख्त, BPSC से किया जवाब तलब

पटना हाईकोर्ट ने 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बीपीएससी से जवाब तलब किया है। आरोप है कि मुख्य परीक्षा में कट आफ से कम मिलने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में ज्यादा अंक देकर उन्हें योग्य घोषित किया गया।

By Sunil RajEdited By: Aditi ChoudharyPublished: Mon, 06 Feb 2023 10:25 PM (IST)Updated: Mon, 06 Feb 2023 10:25 PM (IST)
Bihar: 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट सख्त, BPSC से किया जवाब तलब
31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी के मामले पर बीपीएससी से जवाब तलब

पटना, राज्य ब्यूरो। पटना हाईकोर्ट ने 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए परीक्षा में उत्तीर्ण 214 सिविल जज (जूनियर डिवीजन)- सह- न्यायिक दंडाधिकारी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले में बीपीएससी से जवाब तलब किया है। जस्टिस पीबी बजनथ्री ऐवं जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ऋषभ रंजन एवं अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया है ।

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याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता शानू ने खंडपीठ को बताया कि बिहार न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली 1955 में नियमों की अनदेखी कर आयोग ने वैसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जिनका मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में न्यूनतम कट आफ अंक से 12 फीसदी कम था। नियम आयोग को न्यूनतम कटआफ अंक में 5 प्रतिशत की छूट देने की अनुमति देता है, लेकिन आयोग ने कई आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से न्यूनतम अंक में 12 प्रतिशत तक की छूट देकर इंटरव्यू में बुलाया।

कम अंक वाले अभ्यर्थियों को योग्य घोषित करने का आरोप

याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी आरोप लगाया गया है कि इंटरव्यू में वैसे अभ्यार्थी, जिन्हें मुख्य परीक्षा में कट आफ से 12 प्रतिशत कम मिले, उन्हें साक्षात्कार का अंक 80 से 85 प्रतिशत देते हुए पूरी परीक्षा में योग्य घोषित किया गया। वहीं, याचिकाकर्ता, जिन्हें मुख्य परीक्षा में न्यूनतम कट आफ से 80 प्रतिशत अधिक अंक आया था, उन्हें इंटरव्यू में महज 10 से 30 फ़ीसदी अंक देकर अयोग्य घोषित किया गया।

याचिकाकर्ताओं ने दुबारा साक्षात्कार कराने की मांग की

याचिकाकर्ताओं ने इस परीक्षा के परिणाम को निरस्त करने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि नए सिरे से सूची तैयार कर फिर से साक्षात्कार कराया जाए। न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्तियां इस याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगी। इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।


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