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FIR से पहले ही गिरफ्तारी कर लेने पर पटना हाईकोर्ट ने बिहार पुलिस को लगाया 5 लाख का जुर्माना

बिहार पुलिस ने मेरठ से मिल्‍क टैंकर लेकर आए ड्राइवर को एक आदमी को धक्‍का मारने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद एफआइआर दर्ज नहीं किया था। कोर्ट ने इस अवैध मानते हुए पुलिस पर कार्रवाई और जुर्माना का आदेश सुनाया है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 06:49 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 06:49 PM (IST)
FIR से पहले ही  गिरफ्तारी कर लेने पर पटना हाईकोर्ट ने बिहार पुलिस को  लगाया 5 लाख का जुर्माना
पुलिस दोषी को गिरफ्तार करती हुई, सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । लॉकडाउन के दौरान सारण पुलिस ने एक  मिल्क टैंकर के ड्राइवर को अवैध तरीके से गिरफ्तार कर बंदी बनाया था। इस मामले में पटना हाई कोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने और पांच लाख रुपये का मुआवजा  देने का आदेश बिहार पुलिस को दिया है ।  

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15 मई को गिरफ्तारी, 3 जून को एफआइआर

सुमित कुमार  की  बंदी प्रत्यक्षीकरण  याचिका को निष्पादित करते हुए  मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की खण्डपीठ ने यह फैसला सुनाया । 18 सितम्बर को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया गया था । सारण पुलिस ने मई महीने में बिना एफआईआर दर्ज किए  ही ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया था । ड्राइवर का कोई अता - पता नही होने पर ,15 मई को ईमेल के जरिये यह याचिका हाई कोर्ट को भेजी गई । हाई कोर्ट को हैरानी इस बात की हुई कि 15 मई के पहले  जिस गिरफ्तारी  की पुष्टि सारण पुलिस ने किया , उस मामले में 3 जून को एफआइआरदर्ज किया गया था l

बिना एफआइआर के गिरफ्तारी अवैध

विदित हो कि उक्त ड्राइवर का नाम  जितेंद्र कुमार है , जो यूपी के बस्ती ज़िला का निवासी था ।  मेरठ में स्थित अन्नपूर्णा इंटरप्राइजेस का कर्मचारी दूध का टैंकर लेकर बिहार आया था । 29 अप्रैल 2020 को लॉकडाउन के दौरान सारण जिले से गुजरते वक्‍त उसकी गाड़ी से किसी आदमी को धक्का लग गया l जिसके बाद वो टैंकर लेकर भाग गया l बाद में दरियापुर  थाने के पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और परसा थाना को सौंपा दिया । अन्नपूर्णा कम्पनी की तरफ से याचिकाकर्ता सुमित कुमार ने 15 मई को ईमेल के जरिये पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते  हुए दावा किया कि  पुलिस ने बिना किसी  एफआइआर के ही जितेंद्र की गिरफ्तारी कर ली । 4 जून को इसी मामले की सुनवाई में परसा थाना के थानेदार की रिपोर्ट  पेश हुई थी l जिसमें इस बात जानकारी दी थी कि उक्त मामले में 3 जून को एफआईआर दर्ज किया गया है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि 29 अप्रैल को हुई गिरफ्तारी बिना किसी एफआइआर के थी इसलिए अवैध थी ।


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