पटना हाईकोर्ट में डेढ़ हजार नियुक्तियों का रास्ता साफ, कोराना फाइटर्स के किट व दस्ताने को लेकर भी पूछे सवाल
Patna High Court News पटना हाईकोर्ट ने अपने डेढ़ हजार पदों पर नियुक्तियों का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने नियुक्ति की सेवा-शर्तों की नियमावली को 24 साल बाद संशोधित किया है। कोर्ट ने कोराना फाइटर्स व स्वास्थ्यकर्मियों के किट-दस्ताने को लेकर भी सरकार से सवाल पूछे हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने स्टाफ एंड ऑफिसर्स सर्विस रूल्स की संशोधित नियमावली को शत-प्रतिशत लागू कर दिया है। नियमावली से हाईकोर्ट कर्मियों की नियुक्ति व प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट में वर्षों से करीब डेढ़ हजार पद रिक्त हैं। न्यायालय के अफसरों एवं कर्मचारियों की सेवा-शर्तों को निर्धारित करने वाली नियमावली को 24 साल बाद संशोधित कर नया रूप दिया गया है। एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से कोरोना फाइटर्स एवं मेडिकल कर्मियों के दस्ताने, पीपीई किट एवं अन्य मेडिकल वेस्ट वगैरह के नियम-सम्मत सुरक्षित डिस्पोजल को लेकर सवाल किया है।
हाईकोर्ट प्रशासन ने तैयार की नई नियमावली, बहाली का रास्ता साफ
मालूम हो कि मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के आदेश पर हाईकोर्ट प्रशासन ने नई नियमावली को तैयार किया है। इसके तहत पटना हाईकोर्ट के विभिन्न कैडर के लिए अलग-अलग पद सोपान सुनिश्चित किया गया है। हाईकोर्ट के निर्देश और राज्य सरकार की तरफ से स्वीकृति के बाद कोर्ट में 1469 रिक्त पदों पर बहाली व प्रोन्नति का रास्ता साफ हो गया है।
कोरोना फाइटर्स के दस्ताने व किट व मेडिकल को ले किया सवाल
उधर, कोरोना संक्रमण के एक मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि प्रदेश में कोरोना फाइटर्स एवं मेडिकल कर्मियों के दस्ताने, पीपीई किट एवं अन्य मेडिकल वेस्ट वगैरह का डिस्पोजल, बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल कानून के तहत होता है या नहीं? मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश अनिल कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक की लोकहित याचिका को सुनवाई करते हुए पटना, गया व दरभंगा के नगर निगम से भी पूछा है कि इन तीनो जगहों के हवाई अड्डों से निकलने वाले यात्रियों की कोरोना सुरक्षा कवर एवं पर्दे आदि का डिस्पोजल कैसे किया जा रहा है? मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।
मामले में सरकार के साथ-साथ तीनों नगर निगमों का पक्ष जानेगी कोर्ट
गौरतलब है कि लॉ की छात्रा शिवानी कौशिक ने अपनी याचिका पर खंडपीठ के समक्ष खुद अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार से अनुरोध किया कि वे इस पूरे मामले में राज्य सरकार के साथ-साथ तीनों नगर निगमों का पक्ष रखें। अदालत ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस बात पर चिंता जाहिर कि पूरे राज्य में सिर्फ दो जगह पटना और मुजफ्फरपुर में ही बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल प्रणाली काम कर रही है।