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इस एक बड़ी वजह से त्रस्त है पटना हाईकोर्ट, चीफ जस्टिस ने भी कहा-गजब है ये भाई...

पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब मैं पांच साल का था तो एक केस दर्ज हुआ था जो आज भी चल रहा है। आगे भी चलता रहेगा। बता दें कि पटना हाईकोर्ट इस समस्या से त्रस्त है जानिए

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 04:10 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 08:19 PM (IST)
इस एक बड़ी वजह से त्रस्त है पटना हाईकोर्ट, चीफ जस्टिस ने भी कहा-गजब है ये भाई...

पटना [निर्भय सिंह]। साल1964 से न्यायालय में लंबित एक मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एपी शाही ने कहा था कि जिस समय यह मुकदमा कोर्ट में दायर हुआ, उस समय वे महज पांच साल के थे l लेकिन इस बात संशय है कि मेरे कार्यकाल में भी यह मुकदमा निष्पादित भी हो पाएगा?

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मुख्य न्यायाधीश ने पटना हाईकोर्ट में लंबित मामले को लेकर  घोर चिंता जताई थी l आखिर हो भी क्यों नहीं? जिस हाई कोर्ट में एक लाख मामले सिर्फ आपराधिक और 60 हजार सिविल के मामले सुनवाई की प्रतीक्षा में हो l हर दिन उनसे पक्षकारों के वकील कहते नहीं थकते कि आखिर उनकी बारी कब आएगी? उनकी चिता वाजिब भी है l

एक नजर में हाईकोर्ट में लंबित मुक़दमे (31 जुलाई) - -

1,क्रिमिनल Miscellaneous 29,000

2,क्रिमिनल अपील 17500

3,क्रिमिनल रिलीजन 4000

5,क्रिमिनल रिट 3500

सिविल मामले-

1,सिविल रिट 54,000

2,फस्ट अपील 5000

3,सेकंड अपील 5500

4,सिविल रिलीजन 550

हर दिन दायर होते हैं 450 मामले

पटना हाईकोर्ट में हर दिन औसत 450 मामले दायर होते हैं l निपटारा यदि प्रतिदिन 200 भी हो जाय तो 250 केस सुनवाई के लिए बचे रह जाते हैं l हाई कोर्ट में केवल 5,500 बेल के मामले सुनवाई की प्रतीक्षा में है l यदि कोई  बिल्कुल ही गलत तरीके से फंस गया हो और निचली अदालत हाई कोर्ट के भय से बेल देने में इंकार कर दे तो उस व्यक्ति को अपने मामले की सुनवाई के लिए कम से कम एक महीने तक का इंतजार करना होगा l

29 जजों के कंधे पर 1, 60000 के सुनवाई का है जिम्मा

पटना हाई कोर्ट में 29 जजों के कंधे पर 1, 60000 के सुनवाई का जिम्मा है, अर्थात एक जज के ऊपर 5,517 मुकदमे की सुनने की जिम्मेदारी है l यह तो मौजूदा समय की बात है l फिर हर रोज दाखिल हो  रहे मुकदमे का भार अलग ही  है l

कभी थोक भाव में नियुक्ति ही नहीं हुई

80 जजों को नियुक्त किए जाने पर समस्याओं का हल संभव है l एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और बिहार स्टेट बार काउंसिल के सदस्य योगेश चंद्र वर्मा बताते हैं कि हाईकोर्ट में कुल 53 जजों के स्वीकृत पद हैं l लेकिन यहां कभी भी 53 जज नहीं रहे l कभी थोक भाव में नियुक्ति ही नहीं हुई l जबकि बिहार की जनसंख्या 11करोड़ 30 लाख पहुंच चुकी है l इसलिए यहां अब 53 नहीं 80 जजों की जरूरत हो गई है l  

इस साल 4 जजों की नियुक्ति हुई तो मुख्य न्यायाधीश सहित 31 जज हो गए थे l लेकिन 2 जज रिटायर भी हो गएl फिलहाल पटना हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सहित 29 जज हैं लेकिन साल से अंत तक 2 जज रिटायर हो जाएंगे  l एक 3 सितंबर को दूसरे जज 29 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो जाएगें l फिर स्थिति पहले की तरह हो जाएगी l

जजों की नियुक्ति के लिए सभी हैं चिन्तित

बार काउन्सिल ऑफ इंडिया  के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा कहते हैं कि जजों की नियुक्ति में न्यायापालिका, केंद्र सरकार और राज्य सरकार सब के सब चिंतित हैं लेकिन यह चिंता महज दिखावे का है l आपसी सहमति नहीं मिलने के कारण जजों की नियुक्ति नहीं हो पाती है l सबको मालूम है कि कौन जज कब सेवा निवृत होंगें बावजूद इसके नए जज नहीं लाए जाते हैं l

इतना ही कुछ का तबादला हो जाता है तो वह पद खाली रह जाता है l स्थिति ऎसी  ही रहीं तो पीड़ित पक्ष कोर्ट नहीं आकर खुद फ़रिया लेंगे l अदालत से लोंगों का विश्वास भी उठ जाएगा l

कहा-बार काउन्सिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन ने

"जजों की संख्या बढाने को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम में तालमेल ही नहीं है,  मुकदमे से पीड़ित पक्ष दो पाटों के बीच घसीटता जा रहा है l पक्षकार अदालत में आने घबराने लगे हैं" 

बार काउन्सिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा


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