पटना हाईकोर्ट ने दिया फैसला, भ्रष्टाचार के आधार पर पूरी पेंशन जब्त नहीं की जा सकती
हाईकोर्ट के फैसले से पूर्व खनिज विकास पदाधिकारी झकारी राम को मिली राहत । उनपर एक फरवरी 2014 में पूर्व खनन विकास पदाधिकारी पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी। 16753446 रुपये और चल-अचल संपत्ति को लेकर निगरानी ने एफआइआर की थी।
पटना, राज्य ब्यूरो । पटना हाईकोर्ट ने कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों के हित में एक आदेश पारित करते हुए कहा कि कदाचार के आरोपी की जिंदगी भर के लिए सारी पेंशन राज्य सरकार जब्त नहीं कर सकती। अदालत ने याचिकाकर्ता झकारी राम को जीवनपर्यंत कम से कम 50 फीसद पेंशन का भुगतान करने का निर्देश जारी किया। न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यदि निगरानी केस और विभागीय कार्यवाही में याचिकाकर्ता सफल हो जाते हैं तो उन्हेंं सौ फीसद पेंशन एरियर और अन्य प्रकार का लाभांश भी मिल जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार को एक महीने के भीतर सेवानिवृत्त लाभांश देना पड़ेगा।
भ्रष्टाचार का है आरोप
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अखिलेश दत्ता ने कहा कि खनन एवं भूतत्व विभाग ने पेंशन रूल की अवहेलना करते हुए पूर्व खनिज विकास पदाधिकारी की न केवल सारी पेंशन रोक दी, बल्कि इसे हमेशा के लिए बंद कर दिया, जबकि अभी तक यह साबित नहीं हो पाया है कि पूर्व खनन विकास पदाधिकारी ने सचमुच रिश्वत ली और आय से अधिक संपत्ति अर्जित कर ली थी।
बताते चलें कि एक फरवरी 2014 में पूर्व खनन विकास पदाधिकारी पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी। निगरानी ने अपनी जांच में इसे सही पाया था। इन्होंने पटना एवं शेखपुरा में रहकर एक करोड़ 67 लाख 53 हजार 446 रुपये की संपत्ति अर्जित कर ली।
ऐसे करते थे घपला
निगरानी ब्यूरो एवं आर्थिक अपराध इकाई के आरोपों के मुताबिक जब ये शेखपुरा जिला में कार्यरत थे तो स्टोन चिप्स, मेटल, बालू के चालान निर्गत करने में अनेक प्रकार की अनियमितता बरती। लीज की अवधि खत्म होने के छह माह बाद भी मनमाने तरीके से अवैध रूप से चालान निर्गत करते रहे।