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हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और पटना नगर निगम से पूछा, दो साल में कितने पेड़ लगाए

एक लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने जानकारी मांगी है कि पटना को स्मार्ट बनाने के लिए कोई एक्शन प्लान है क्या

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 12:42 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 12:42 PM (IST)
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और पटना नगर निगम से पूछा, दो साल में कितने पेड़ लगाए
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और पटना नगर निगम से पूछा, दो साल में कितने पेड़ लगाए

पटना, जेएनएन। पटना हाई कोर्ट ने राजधानी में पिछले दो साल में लगाए गए पेड़ों की संख्या पर पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का राज्य सरकार व नगर निगम को निर्देश दिया है। सड़क निर्माण के दौरान सड़क किनारे के पेड़ों की हो रही कटाई, छंटाई, डिवाइडर पर पेड़ पौधे की कमी एवं वृक्षारोपण के अभाव में पटना शहर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दायर एक लोकहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व पटना नगर निगम से पूछा कि पटना में हरियाली लाने के लिए कोई एक्शन प्लान है क्या? अगर है तो उसे कोर्ट में पेश किया जाए।

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मंगलवार को ज्योति सरण व न्यायधीश अंजनी कुमार शरण की खंडपीठ ने गौरव कुमार सिंह की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह जानकारी मांगी। हाईकोर्ट ने सख्त अंदाज में पेड़ों की कटाई, नंबरिंग और पुन: वृक्षारोपण की कार्य योजना के बारे में जानकारी मांगी।

कहा कि शहर में धूल से होने वाला प्रदूषण खतरनाक स्तर पर आ चुका है। गर्मी में  फुटपाथ पर खड़ा रहना मुश्किल है क्योंकि बड़े वृक्ष काटे जा रहे हैं। राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट अंशुमान सिंह ने कोर्ट को बताया कि सरकार पेड़ लगाने की कार्य योजना कोर्ट को जल्द पेश करेगी। मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी। 

अस्पतालों की कुव्यवस्था पर मांगा जवाब

पीएमसीएच, एनएमसीएच, डीएमसीएच, बीएमसीएच समेत राज्य के सरकारी अस्पतालों में बिजली, पानी व साफ सफाई की उचित व्यवस्था के अभाव पर पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और बीएमएसआइसीएल से जवाब तलब किया हैं। विकास चन्द्र उर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर न्यायाधीश ज्योति सरन की दो सदस्यीय खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट को बताया गया था कि राज्य सरकार ने सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए बिहार मेडिकल सर्विसेज इंफ्रास्ट्रक्चर निगम लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) का गठन किया था। इसके गठन के बाद पूर्व में काम कर रही संस्थाओं ने काम करना बंद कर दिया,जबकि नवगठित निगम अभी कामकाज शुरू नहीं कर पाया है। इससे सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था चरमरा गयी हैं अमूमन राज्य में स्थित अन्य अस्पताल का भी यही हाल है। मामले में अगली सुनवाई एक मई को होगी।


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