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स्‍वस्‍थ होगा बिहार, मरीजों को नहीं पड़ेगी कहीं और जाने की दरकार

बिहार के लोगों को अब इलाज करवाने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में जो प्रयास हो रहे हैं वह आने वाले समय में तस्‍वीर बदल देंगे।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Wed, 06 Jun 2018 08:44 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jun 2018 11:31 AM (IST)
स्‍वस्‍थ होगा बिहार, मरीजों को नहीं पड़ेगी कहीं और जाने की दरकार
स्‍वस्‍थ होगा बिहार, मरीजों को नहीं पड़ेगी कहीं और जाने की दरकार

पटना [सौरभ पांडेय]। शिक्षा के बाद स्‍वास्‍थ्‍य सेवा हमारे जीवन के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण है। सुविधा और धन संपन्‍न लोग तो बड़े-बड़े निजी अस्‍पतालों में लाखों  खर्च कर अपना इलाज करा लेते हैं, लेकिन गरीब लोग या तो दूसरे राज्‍यों का रुख करते हैं या इलाज के अभाव में असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। भले ही बिहार के कुछ  जिलों या कस्‍बों से सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के बुरे हाल की खबरें सुनने को मिल रही हों, लेकिन वर्तमान में स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में जो प्रयास हो रहे हैं वह तस्‍वीर बदल देंगे।

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अपने पास दो-दो एम्‍स

केंद्र ने बिहार को एक नहीं दो-दो एम्‍स दिए हैं। पहला पटना में जहां मरीजों को इलाज शुरू हो गया है और दूसरा रोहतास में। गत वर्ष ही राज्‍य सरकार ने भी इस एम्‍स के जमीन देने की घोषणा कर दी है।  राज्य सरकार ने रोहतास में सौ एकड़ जमीन उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन को कहा है। सब कुछ ठीक रहा तो जल्‍द ही सूबे में दूसरे एम्‍स का निर्माण शुरू हो जाएगा। बड़ी बात है कि पड़ोसी राज्‍य उत्‍तर प्रदेश में पीजीआइ तो हैं, लेकिन एम्‍स नहीं। यह बिहारियों के लिए किसी गर्व से कम नहीं।

किडनी ट्रांसप्‍लांट जारी, अब लिवर ट्रांसप्‍लांट की तैयारी

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्‍थान (आइजीआइएमएस) ने विगत कुछ वर्षों में अपनी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में व्‍यापक सुधार किया है। एक साल पहले तक बिहार के  किडनी फेल मरीजों को ट्रांसप्‍लांट के लिए दूसरे राज्‍यों या निजी अस्‍पतालों की ओर भागना पड़ता था। निजी अस्‍पतालों में उनसे  मोटी रकम वसूली जाती थी। 

आइजीआइएमएस में शुरुआत में एम्‍स दिल्‍ली के यूरोलॉजी विभाग के वरीय चिकित्‍सकों की देखरेख में संस्‍थान के डॉक्‍टरों ने ट्रांसप्‍लांट  किया। अब संस्‍थान के डॉक्‍टर अपने बूते किडनी प्रत्‍यारोपण कर रहे रहे हैं। संस्‍थान में लिवर ट्रांसप्‍लांट की तैयारी जोर-शोर से चल रही है।

कैंसर से जंग

हाल ही में सीएम नीतीश कुमार ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के परिसर में पहले राज्य कैंसर संस्थान का  शिलान्यास किया है। 150 बेड वाले इस कैंसर संस्थान के निर्माण पर 138  करोड़ रुपये खर्च होंगे 18 माह में यह बन कर तैयार हो  जायेगा। बिहार में कैंसर मरीजों की संख्‍या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। अभी यहां के मरीजों को या तो निजी अस्‍पतालों के भरोसे रहना पड़ता है या फिर दूसरे राज्‍यों की दौड़ लगानी पड़ती है। स्‍टेट कैंसर निर्माण कैंसर मरीजों को आइजीआइएमएस में सस्‍ते में इलाज हो जाएगा।

वर्ल्‍ड क्‍लास होगा सबसे बड़ा सरकारी अस्‍पताल पीएमसीएच  

हाल में सूबे के सबसे  बड़े सरकारी अस्‍पताल पीएमसीएच को सुपर स्‍पेशियलिटी अस्‍पताल बनाने की तैयारी में राज्‍य सरकार जुट गई है। हाल में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने 5000 बेड वाले पीएमसीएच अस्‍पताल का पावर प्‍वाइंट प्रेजेंटेशन देखा। वर्तमान में पीएमसीएच की क्षमता 1,750 बेड की है, इसे 5000 बेड की क्षमता वाले अत्याधुनिक अस्पताल के रूप में विकसित करना है।

पीएमसीएच को तीन फेज में बहुमंजिला अत्याधुनिक अस्पताल बनाया जाना है। पहले चरण में 2,100 बेड की व्‍यवस्‍था होगी तो दूसरे चरण में 1,600 अतिरिक्त बेड जोड़े जाएंगे । वहीं तीसरे और अंतिम चरण में 1,300 और अतिरिक्त बेड जोड़े जाएंगे। इस तरह अस्‍पताल की क्षमता 5000 बेड की हो जाएगी। 4 स्टार रेटेड कॉम्पलेक्स होगा।

सोचिए जल्‍द ही सब हो जाए तो मरीजों को सिस्‍टम को कोसना नहीं पड़ेगा बल्कि सस्‍ता और बेहतर इलाज बिहार को स्‍वस्‍थ बनाएगा।


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