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बिहार में रखी हुई है जायसी की पद्मावत! जो देती है प्रेम का संदेश, ना कि विवाद का

जायसी का हस्त लिखित पद्मावत आज भी पटना के मनेरशरीफ दरगाह में सुरक्षित है। इस बारे में दरगाह के सज्जानशीं ने सवाल किया कि जब पद्मावत को लेकर विवाद नहीं हुआ तो फिल्म को लेकर क्यों?

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 08:07 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2018 07:51 PM (IST)
बिहार में रखी हुई है जायसी की पद्मावत! जो देती है प्रेम का संदेश, ना कि विवाद का
बिहार में रखी हुई है जायसी की पद्मावत! जो देती है प्रेम का संदेश, ना कि विवाद का

पटना [काजल]। सूफी साहित्‍यकार मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित ‘पद्मावत’ पर बनी फिल्म को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को आदेश पारित करना पड़ा। फिल्म अब काफी काट-छांट के बाद 24 जनवरी को देश भर के सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज होने वाली है। लेकिन, कम लोग ही जानते हैं कि जायसी की एक हस्तलिखित 'पद्मावत' आज भी पटना के मनेरशरीफ दरगाह में सुरक्षित है। इस 'पद्मावत' का किसी विवाद से नाता नहीं।

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सज्जादानशीं और वमुत्वल्लि सैयद तारिक एनायतुल्लाह फिरदौसी का दावा है यह 'पद्मावत' जायसी की हस्‍तलिखित है, हालांकि , लेकिन इतिहासकारों के मुताबिक इसके प्रमाण तो नहीं मिलते। सज्जादानशीं बताते हैं कि यह 'पद्मावत' लॉकर में सुरक्षित है।

फिल्‍म 'पद्मावत' का जो लोग विरोध कर रहे हैं उनके बारे में मखदुम शाह दौलत मनेरी के सज्जादानशीं सैयद तारिक एनायतुल्लाह फिरदौसी ने कहा कि जिस पद्मावत की बात लोग कर रहे हैं और जिसकी पृष्ठभूमि पर यह फिल्म बनी है उसमें कुछ एेसा नहीं लिखा है जो विवादित हो। मोहब्बत की कहानी को लेकर इस कदर बवाल जो नफरत की भाषा बन गई है, वो ठीक नहीं।

उन्होंने कहा कि बिहार के मनेर खानकाह में ही हस्तलिखित पद्मावत मौजूद है, जिसे मलिक मोहम्मद जायसी के हाथों से फारसी में लिखा गया है। खानकाह में पद्मावत को हिफाजत से रखा गया है, लेकिन हस्तलिखित होने के कारण उसकी हालत जीर्ण-शीर्ण हो गयी है।

पद्मावत को यहां महत्वपूर्ण ग्रंथ की तरह संजो कर रखा गया है और उसे किसी खास मौके पर ही लोगों के सामने लाया जाता है। इसका दर्शन किसी जाति धर्म विशेष नहीं, बल्कि सभी लोग कर सकते हैं। लेकिन उसे पढ़ना तो अब किसी के वश की बात नहीं है।

हर साल सालाना उर्स के दौरान चंदायन और हजरत मखदुम शाह दौलत मनेरी की यादगारी वस्तुओं के साथ पद्मावत का भी लोग दर्शन करते हैं।

उन्होंने बताया कि कोई भी धर्म या मजहब नफरत नहीं सिखाता और पद्मावत तो प्यार की कहानी है इसमें नफरत के लिए जगह कहां है? अब फिल्म में क्या दिखाने की कोशिश की गई है ये तो हमें नहीं मालूम, लेकिन मोहब्बत से बड़ा कोई मजहब नहीं। इसके लिए इस कदर मार-पीट, उतारू होकर आपस में भिड़ना सही नहीं।

उन्होंने कहा हम सूफी मोहब्बत को सबसे बढ़कर मानते हैं। पद्मावत में लिखी बातें जब जायसी ने लिखी होंगी तो उस वक्त से लेकर आज तक किसी ने कोई विवाद नहीं किया तो फिर आज क्यों? पद्मावत हमारे लिए एेतिहासिक ग्रंथ है और फिल्म तो बस फिल्म होती है उसे इतिहास से जोड़कर उसपर इस तरह विवाद करना कहीं से सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि हमारा हिंदोस्तां आज भी मोहब्बत, प्रेम और भाईचारा की भाषा जानता है। हमारी एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। एेसे में लोगों को मनोरंजन और इतिहास को जोड़कर इस तरह से किसी मुद्दे को बनाकर आपस में लड़ना कहां की बुद्धिमानी है।

उनका कहना है कि ‘पद्मावत’ आज भी हम सूफी संप्रदाय के लोगों के लिए ऐतिहासिकता से अधिक नैतिक महत्व रखता है। हालांकि, इतिहासकारों का कहना है कि खानकाह में रखे पद्मावत को जायसी ने ही लिखा है इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' को 25 जनवरी को पूरे देश में रिलीज़ किये जाने का रास्ता साफ़ हो गया है, लेकिन बिहार में इसे लेकर अभी भी विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक ओर करणी सेना के लोगों ने मुजफ्फरपुर में तोड़-फोड़ की तो दूसरी ओर जदयू नेता भी इसपर रोक लगाने की मांग की है।

बिहार के मुजफ्फरपुर में फिल्म पद्मावत का विरोध करते हुए करणी सेना से जुड़े लोगों ने जम कर बवाल काटा। शहर के कार्निवल सिनेमा में 35-40 की संख्या में पहुंचे करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हॉल में लगे पोस्टर्स को फाड़ दिया। सिनेमा को रिलीज करने पर हॉल में आग तक लगाने की धमकी दी। कहा कि हम किसी भी कीमत पर सिनेमाघरों में ये फिल्म नहीं चलने देंगे।

बता दें कि पद्मावती का विरोध तब शुरू हुआ था जब सेंसर बोर्ड ने दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर अभिनीत और संजय लीला भंसाली निर्देशित इस फिल्म को 30 दिसंबर को यू/ए सर्टिफिकेट के साथ पास कर दिया था। लेकिन उसके बाद उपजे विवाद के बाद सेंसर बोर्ड ने साथ में पांच शर्ते भी दी थीं, जिसमें फिल्म का नाम बदल कर पद्मावती से पद्मावत करना और डिस्क्लेमर लगाना शामिल था।

लेकिन उसके बाद भी विरोध प्रदर्शन जारी है, जिसे करणी सेना ने फिल्म में दर्शाये गए दृश्यों और कहानी को अलग ढंग से पेश करने का आरोप लगाते हुए देश भर में विरोध किया है। उनका कहना है कि चित्तौड़ की महारानी रानी पद्मिनी का फिल्म में गलत चरित्र चित्रण किया गया है जिसकी वजह से वे खफा हैं और उसके बाद पूरे देश में फिल्म के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन आज भी जारी है।


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