प्याज कटने से पहले काट रहा जेब, एक सप्ताह के अंदर 10 रुपये प्रति किलो महंगा
प्याज के भाव फिर से आसमान छूने लगे हैं। अब प्याज कटने से पहले लोगों की जेेब काट रहा है। एक सप्ताह के अंदर दाम में 10 रूपये प्रति किलो महंगा हो गया है।
पटना [जेएनएन]। प्याज के भाव फिर आसमानी हो गए हैं। एक सप्ताह के अंदर 10 रुपये प्रति किलो की तेजी आने से खरीदार खासे परेशान हैं। थोक में अब प्याज 45 रुपये और खुदरा में 50 रुपये बिकने लगा है।
एक सप्ताह के अंदर भारी तेजी
एक सप्ताह पहले प्याज का थोक भाव 26 से 30 रुपये किलो था। खुदरा में यह 36 से 40 रुपये किलो बिक रहा था। अब थोक भाव 45 से 46 रुपये, और खुदरा भाव 50 रुपये किलो हो गया है। मोहल्लों के विक्रेता 52 से 55 रुपये भी वसूलने लगे हैं।
अचानक क्यों बढ़े भाव
नासिक में दो दिन जबरदस्त बारिश हुई। मीठापुर सब्जी मंडी के थोक विक्रेता संजय कुमार ने कहा कि इससे प्याज की नई फसल को खेतों से निकासी रूक गई है। नतीजा यह कि पुरानी फसल ही आ रही है। नई फसल की कुछ पैदावार राजस्थान से भी आ रही है। बिहार में अभी फसल तैयार नहीं है। पत्ता प्याज बिहारशरीफ-आरा, समस्तीपुर से मामूली तौर पर आ रहा है।
आमद और खपत
पटना में नासिक से 22 एवं 23 नवंबर को रेल से प्याज की करीब 320 टन आमद हुई। एक रेक में 160 टन प्याज आता है। दो दिनों में दो रेक प्याज आया था। अलावा, ट्रकों से भी कुछ आमद होती है। थोक विक्रेताओं के मुताबिक औसतन प्रतिदिन 100 से 150 टन प्याज की पटना में आमद महाराष्ट्र और राजस्थान से हो रही है।
खपत की बात करें तो मीठापुर और बाजार समिति में थोक मंडी है। दोनों मंडियों से प्रतिदिन 120 टन के आसपास उठाव होता है। इस तरह देखें तो फिलहाल आपूर्ति पटरी पर है लेकिन आमद प्रतिदिन नहीं होने से आपूर्ति और खपत में अंतर बढ़ जाता है।
बाजार में दो किस्म की प्याज
बाजार में नासिक का गुलाबी प्याज है, और लाल प्याज भी है। गुलाबी प्याज बड़े साइज में है और इसकी तुलना में छोटे साइज का लाल प्याज लोग अधिक पसंद करते हैं। यह गुलाबी प्याज से एक रुपये महंगा है।
कीमतों में आ सकती है नरमी
प्याज की बढ़ती कीमत को लेकर सरकार भी सक्रिय हो गई है। प्याज की महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने इसका न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय कर दिया है। यह एमईपी 850 डॉलर प्रति टन होगा। इस कदम से घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति बढ़ेगी।
23 नवंबर को वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के मुताबिक यह न्यूनतम निर्यात मूल्य 31 दिसंबर तक लागू रहेगा। एमईपी वह कीमत है जिससे कम पर कोई निर्यातक किसी जिंस को निर्यात नहीं कर सकता है।
इसके अलावा, स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि नासिक में मौसम साफ होते ही प्याज की नई पैदावार की आमद बढ़ जाएगी। इससे भी कीमतों में नरमी आएगी।