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बिहार में जमीन के सवा लाख रजिस्ट्री दस्तावेज स्वाहा, निबंधन के बाद मूल कापी लेने नहीं आ रहे मालिक

निबंधन कार्यालयों में लंबे समय से लावारिस दस्तावेज पड़े हैं। यानी निबंधन होने के कई साल बाद भी मूल कापी लेने इनके मालिक नहीं आए। इसके बाद जिला निबंधन कार्यालयों की ओर से संबंधित पक्षकारों को एक महीने की सार्वजनिक नोटिस दी गई जिसकी समयसीमा 15 जनवरी थी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 08:48 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 08:48 PM (IST)
बिहार में जमीन के सवा लाख रजिस्ट्री दस्तावेज स्वाहा, निबंधन के बाद मूल कापी लेने नहीं आ रहे मालिक
बिहार में लावारिस पड़े करीब सवा लाख से अधिक निबंधित दस्तावेज नष्ट कर दिए गए हैं। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: राज्य भर के निबंधन कार्यालयों में लावारिस पड़े करीब सवा लाख से अधिक निबंधित दस्तावेज को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसमें 1990 से लेकर 2019 तक के वास्तविक निबंधित दस्तावेज शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात कि इसमें 80-85 प्रतिशत दस्तावेज सिर्फ कटिहार जिले के हैं। इसके बाद पटना में 10 हजार से अधिक दस्तावेज को नष्ट किया गया है।

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मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने समीक्षा के क्रम में पाया कि निबंधन कार्यालयों में लंबे समय से लावारिस दस्तावेज पड़े हैं। यानी निबंधन होने के कई साल बाद भी मूल कापी लेने इनके मालिक नहीं आए। इसके बाद जिला निबंधन कार्यालयों की ओर से संबंधित पक्षकारों को एक महीने की सार्वजनिक नोटिस दी गई जिसकी समयसीमा 15 जनवरी थी। 

सिर्फ कटिहार में 97 हजार दस्तावेज 

निबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, लावारिस दस्तावेजों में सबसे बड़ी संख्या कटिहार जिले की है। यहां 97 हजार 318 मूल दस्तावेजों को नष्ट किया गया है। इसका बड़ा कारण यह है कि यहां करीब 25 सालों से अधिक समय के मूल दस्तावेज पड़े थे। इसके बाद पटना में 10 हजार से अधिक दस्तावेज नष्ट किए गए। इसमें पटना शहर में 9,261 जबकि पटना सिटी इलाके में 1212 मूल दस्तावेज थे। इसके अलावा मुजफ्फरपुर में 2435, सीतामढ़ी में 583, बेगूसराय में 467, वैशाली में 360, शेखपुरा में 194, जहानाबाद में 147 और पूर्णिया में 164 दस्तावेजों को नष्ट करने का निर्देश दिया गया है। 

पांच दिनों में ले सकते हैं मूल कापी 

निबंधन अधिकारियों के अनुसार, निबंधन कार्यालयों में दस्तावेज की रजिस्ट्री के बाद पांच दिनों के अंदर अधिकृत व्यक्ति को इसकी मूल कापी प्रदान कर दी जाती है। ऐसा न होने पर अधिकतम दो साल तक ही मूल दस्तावेज सुरक्षित रखने की परंपरा है। इसके बाद मूल दस्तावेज की हार्ड कापी को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। विलंब से दस्तावेज ले जाने पर निश्चित राशि देनी होती है। 


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