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जाति आधारित जनगणना के मसले पर जदयू ने तेजस्‍वी पर कसा तंज, संजय सिंह बोले- नीतीश की बराबरी नहीं कर सकते

संजय ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हमेशा गलतफहमी के शिकार हो जाते हैं। उन्हें यह लगता है कि जो काम उन्होंने किया वह कोई और नहीं कर सकता। सामाजिक समानता और उसके विकास को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच के करीब भी नहीं पहुंच सकते तेजस्वी।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 07:21 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 07:21 AM (IST)
जाति आधारित जनगणना के मसले पर जदयू ने तेजस्‍वी पर कसा तंज, संजय सिंह बोले- नीतीश की बराबरी नहीं कर सकते
तेजस्‍वी यादव और नीतीश कुमार। फाइल फोटो

पटना, राज्य ब्यूरो। जातीय जनगणना के मसले पर राजद और जदयू की राय लगभग एक जैसी है, लेकिन दोनों दलों इसे लेकर एक-दूसरे पर हमवलार हैं। राजद विधायक और नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने जातीय जनगणना नहीं किए जाने के फैसले पर सवाल उठाया है तो दूसरी तरफ प्रदेश जदयू उपाध्यक्ष संजय सिंह ने गुरुवार को कहा कि जातीय जनगणना जदयू की पुरानी मांग रही है। इससे पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। बिहार विधानमंडल से जातीय जनगणना को लेकर जो प्रस्ताव पारित किया गया, उसकी पहल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही की थी।

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जाति आधारित जनगणना के लिए जदयू कृतसंकल्पित

संजय ने कहा कि जदयू न केवल जातीय जनगणना का समर्थन करता है बल्कि इसके लिए कृतसंकल्पित भी है। जातीय जनगणना का प्रकाशन बहुत जरूरी है। जनगणना में जाति का कालम होना ही चाहिए। किसी भी योजना को तैयार करने का आधार जनसंख्या ही है।

तेजस्‍वी यादव पर जदयू नेता ने जड़ा आरोप

संजय ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हमेशा गलतफहमी के शिकार हो जाते हैं। उन्हें यह लगता है कि जो काम उन्होंने किया वह कोई और नहीं कर सकता, जबकि हकीकत यह है कि सामाजिक समानता और उसके विकास को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच के करीब भी नहीं पहुंच सकते तेजस्वी। यह सामाजिक न्याय के नाम पर छलावे का दौर नहीं है। अब समाज के आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक भी सरकार की विकास योजनाओं का लाभ पहुंचता है।

तेजस्‍वी और उनकी पार्टी ने उठाए थे सवाल

तेजस्‍वी और उनकी पार्टी के अन्‍य नेताओं में जनगणना में जाति का कालम नहीं शामिल किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाए थे। उन्‍होंने इसके लिए बीजेपी के साथ ही एनडीए सरकार में शामिल दलों को भी घेरा था। उनका कहना है कि जब चीज-सामान और जानवरों तक की गिनती हो सकती है तो जाति आधारित जनगणना से क्‍या परेशानी हो सकती है।


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