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अपने घर में ही मिल जाएगा सभी तीर्थों का फल, बक्‍सर में जियर स्‍वामी ने बताए ये उपाय

भक्ति मार्ग सरल है सुगम है सुलभ है सहज है। इसमें किसी की देने-लेने की बात नहीं है। हम जो भी करते हैं कर्म व्यवहार को परमात्मा के प्रति भावित करके समर्पित करके तब उस कर्मों को अपना मानना यही भक्ति योग है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 05:46 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 05:46 PM (IST)
अपने घर में ही मिल जाएगा सभी तीर्थों का फल, बक्‍सर में जियर स्‍वामी ने बताए ये उपाय
अपना घर ही बन जाएगा तीर्थ। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

बक्सर, जागरण संवाददाता। भक्ति मार्ग सरल है, सुगम है, सुलभ है, सहज है। इसमें किसी की देने-लेने की बात नहीं है। हम जो भी करते हैं कर्म, व्यवहार को परमात्मा के प्रति भावित करके, समर्पित करके तब उस कर्मों को अपना मानना यही भक्ति योग है। हम घर का बना भोजन भगवान को अर्पित करते हैं तो हमें तीर्थ करने जैसा फल मिलता है। उक्त बातें संत जीयर स्वामी जी महाराज ने कहीं। वे मंगलवार को सलेमपुर में एक सप्ताह से चल रहे भागवत कथा यज्ञ में पहुंचे हुए थे।

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भगवान का नाम लेकर रात को सोइए

स्वामी जी ने कहा कि सुंदर मकान बनवा कर जब उसमें सोते हैं तो भगवान का नाम लेकर, उनको याद करके सोइए कि भगवान आपने हमें सुंदर मकान दे दिया। मंदिर में दर्शन करने का जो फल है, वहीं फल घर में सोने से मिलेगा। घर में जो भोजन बनाते हैं उसमें तुलसी पत्र डाल करके भगवान को भोग लगाकर खाइए, आनंद रहेगा। नया कपड़ा पहनने के समय परमात्मा को याद करते हुए पहनिए। यही भक्ति मार्ग है। भक्ति मार्ग में घर, परिवार इत्यादि अनेक प्रकार के साधनों को त्यागा नहीं जाता है, बल्कि वस्तु, व्यवस्था, व्यवहार को परमात्मा में समर्पित किया जाता है।

पूरी दुनिया को जानने से अधिक जरूरी खुद को जानना

जीयर स्वामी ने कहा कि मानव को पांच अर्थ जानना चाहिए। अपने  स्वरूप के बारे में जानना चाहिए। पूरी दुनिया के स्वरूप के बारे में जानकारी हो गई, परंतु अपने स्वरूप को नहीं जानते हैं तो यह बड़ी कमी रह गई है। परस्वरूप, उपायस्वरूप, विरोधी स्वरूप, पुरूषार्थ स्वरूप, जीवन में विघ्न बाधा आने के बाद भी अपने कर्तव्य और कर्मों का त्याग नहीं करना, इसी का नाम पुरुषार्थ है।


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