Move to Jagran APP

एक ही पार्टी को समर्थन और उसी का विरोध पर न टिका रहे पूरा चुनाव

पटना के मतदाताओं का चुनाव को लेकर अलग-अलग विचार हैं। वे इस बार सरकार के पांच साल के काम को देखते हुए वोट डालेंगे। इसमें जीएसटी और नोटबंदी का महत्व अधिक होगा।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 09:29 AM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 09:29 AM (IST)
एक ही पार्टी को समर्थन और उसी का विरोध पर न टिका रहे पूरा चुनाव
एक ही पार्टी को समर्थन और उसी का विरोध पर न टिका रहे पूरा चुनाव

आशीष शुक्ल, नकी इमाम, पटना। लोकसभा चुनावों के लिए जनता के मूड को जानने के लिए सफर जारी है। ट्रेन की बोगियों में राजनीति की बात छेड़ते ही हर कोई खुद को उससे जोड़ लेता है। सबके पास अपने-अपने तर्क हैं। इस बार किस दल के वायदे क्या हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वर्तमान सरकार कैसी है, महागठबंधन की चुनौती क्या है, हर कोई अपनी राय रख रहा है।

loksabha election banner

जीएसटी और नोटबंदी को रखना होगा ध्यान

दोपहर के करीब 12 बजे हैं। पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर नौ पर हटिया-पटना एक्सप्रेस खड़ी है, जो जहानाबाद-गया-रांची होकर हटिया जाएगी। ट्रेन की बोगी में पैर रखने की जगह नहीं। दाएं-बाएं होकर सीट के पास पहुंचे। इतने में ट्रेन खुल गई। पांच मिनट बाद ही सीट के पास लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा छिड़ गई। खिड़की के पास बैठे रामभगवान सिंह बोलते हैं, यहां बैठिए और अब पूछिए, हम जवाब देंगे। कहते हैं सब छोड़िए, सारा चुनाव एक ही पार्टी के समर्थन और उसी के विरोध पर टिका है। इस बार भी वही जीत रहे हैं और वही ही हार भी रहे हैं।

इतने में ऊपर की सीट पर बैठा एक युवक खुद को रोक नहीं पाया। बैग लेकर नीचे की सीट पर आ गया। बोला, इस बार वर्तमान सरकार को जीएसटी और नोटबंदी की वजह से बहुमत नहीं मिलेगा। लेकिन, जोड़-तोड़ कर सरकार बन जाएगी। वैसे चुनाव है, कुछ भी हो सकता है।

चेहरा भी निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका

ट्रेन परसा बाजार पहुंच चुकी है। दो-चार यात्री बोगी से उतरते हैं तो 10 से अधिक लोग सवार होते हैं। लेकिन, चुनाव के मुद्दे पर आमने-सामने की सीट पर बैठे लोगों में बहस जारी है। जहानाबाद जा रही रिंकू देवी बोलती हैं- भाजपा और महागठबंधन मैदान में है। अब तक यह समझ में नहीं आया कि महागठबंधन में प्रधानमंत्री का चेहरा किसका होगा। कोई कह रहा महागठबंधन जीता तो ममता बनेंगी तो कोई बोल रहा है राहुल गांधी। महागठबंधन में शामिल अन्य दलों के लोगों का भी नाम सामने आ रहा है।

वायदे ने इरादे हों नेक

बहुत कनफ्यूजन है भाई। बगल की सीट पर बैठी नेहा नाजमीन चुप्पी तोड़ते हुए बताती हैं कि वह खो-खो की नेशनल खिलाड़ी हैं। जयपुर से खेल कर पटना आई हैं और कोडरमा जा रही हैं। कहती हैं- खेल को प्रोत्साहन की बात की जाती है। चुनाव में रोजगार मुहैया कराने के वायदे किए जाते हैं, लेकिन स्पोर्ट्स कोटा में भी नौकरी नहीं मिल रही है। वोट उसे ही देना है, जो विकास के साथ रोजगार उपलब्ध कराने की गारंटी दे, सिर्फ बयानबाजी नहीं।

बड़ा देश है बदलाव के लिए दें समय

चर्चा के बीच ट्रेन कब पुनपुन पहुंच गई, पता ही नहीं चला। रिपोर्टर ने स्टेशन पर बोगी बदल दी। दूसरी बोगी में सवार पूर्णिया से कोडरमा जा रहे शैलेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि इतने बड़े देश में कुछ करने के लिए टाइम चाहिए। एक मौका और मिलना चाहिए। एक हाथ में खीरा और दूसरे हाथ में झोला लिए एक व्यक्ति पीछे की सीट से उठकर पास आते हैं। कहते हैं नारियल देखा है। अगर नारियल तीन बार फोड़ने की कोशिश की, नहीं फूटा और चौथी बार में फूट गया, तो पहली तीन कोशिशें बेकार नहीं गईं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.