एनएमसीएच में दूसरे दिन भी जूनियर डॉक्टर रहे हड़ताल पर
सूबे के दूसरे बड़े नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गुरुवार को दूसरे दिन भी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर रहे।
पटना सिटी। नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गुरुवार को दूसरे दिन भी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर रहे। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण केंद्रीय व शिशु इमरजेंसी में दोपहर तक नए मरीज भर्ती नहीं हुए। पूर्व से भर्ती मरीजों का इलाज सीनियर डॉक्टरों ने किया। रविवार को एसडीओ राजेश रौशन एनएमसीएच पहुंचकर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के संबंध में प्रभारी अधीक्षक से पूरी जानकारी ली। जूनियर डॉक्टर अपनी मागों पर अड़े रहे।
उधर हड़ताली जूनियर डॉक्टर बैठक कर अगली योजना की रणनीति बनाते रहे। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन रमण व सचिव राहुल शेखर ने बताया कि आंदोलन की मांग को लेकर एसोसिएशन ने आंदोलन का समर्थन किया है। हड़ताल के कारण अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। हड़ताल के कारण कुछ मरीज पलायन कर रहे हैं। एनएमसीएच के प्रभारी अधीक्षक डॉ. गोपाल कृष्ण ने बताया कि भर्ती मरीजों का बेहतर उपचार जारी है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय कुमार गुप्ता ने एनएमसीएच में चिकित्सा व्यवस्था सुचारू रखने के लिए सिविल सर्जन को पत्र भेजकर 30 डॉक्टरों को प्रतिनियुक्त करने की मांग की हैं। नालंदा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि मरीजों के इलाज में कोई बाधा नहीं आएगी। ओपीडी व ऑपरेशन समेत अन्य चिकित्सीय कार्य समय पर होगा। हालांकि शिशु विभाग में रविवार को सन्नाटा पसरा रहा। शिशु रोग विभाग में भर्ती मरीज पलायन कर गए। शनिवार को शिशु इमरजेंसी में 14 मरीज भर्ती थे। बवाल के बाद सभी चले गए। ड्यूटी पर तैनात डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि आज एक भी नया मरीज नहीं भर्ती हुआ है। दूसरे वार्ड के मरीजों ने बताया कि एक बार राउंड लगाकर चिकित्सक गए तो दुबारा नहीं आए। रविवार के कारण ओपीडी व जेनरल विभाग बंद था। इमरजेंसी में ही मरीजों का उपचार हुआ।
-मरीजों व परिजनों में आक्रोश, खड़े किए सवाल
डॉक्टरों की हड़ताल से एनएमसीएच की ठप पड़ी चिकित्सा व्यवस्था से आक्रोशित मरीज के परिजनों ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों ने भी किशोर के परिजनों के साथ पुलिस के समक्ष मारपीट की थीं। भर्ती मरीजों ने हड़ताल को जिदगी और मौत से जुड़ा मामला बताते हुए पटना उच्च न्यायालय से मामले में हस्तक्षेप कर ठोस कदम उठाए जाने की गुहार लगाई। तकलीफ वाले मरीजों का कहना था कि उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। दूर-दराज से मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे परिजनों का कहना था कि मजदूरी व काम छोड़ कर सैकड़ों रुपया किराया खर्च कर यहां पहुंचे हैं। मरीजों ने कहा कहा कि जिस डॉक्टर को हम लोग भगवान का दर्जा देते हैं वह हमारा इलाज करने को तैयार नहीं है। कई परिजनों ने माना की डॉक्टर पर किया गया हमला व मारपीट की घटना निदनीय है। इसके आरोपित को जरूर सजा मिनी चाहिए लेकिन जिस मरीज का कोई कसूर नहीं है उसे डॉक्टर क्यों सजा दे रहे हैं? फिर तो डॉक्टर और उनके साथ बदसलूकी करने वाले बदमाश में कोई अंतर ही नहीं रहा। इलाज के लिए कोई रास्ता नहीं निकलता देख परिजन मरीज को लेकर अस्पताल से बाहर जाते रहे।
क्या था मामला : खुसरूपुर निवासी किशोर में डेंगू के लक्षण पाए जाने पर परिजनों ने एनएमसीएच में भर्ती कराया था। जिसकी इलाज के दौरान शनिवार को मौत हो गई थी। इससे आक्रोशित परिजनों ने हंगामा किया था। परिजन और जूनियर डॉक्टरों के बीच हाथापाई भी हुई थी।