सीएम नीतीश ने पीएम मोदी की इस योजना को किया ख़ारिज, जानिए वजह
बिहार कैबिनेट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को खारिज कर मंगलवार को हुई बैठ क में ‘ बिहार राज्य फसल सहायता योजना’ को मंजूरी दी है। इससे राज्य के किसानों को ज्यादा फायदा होगा।
पटना [जेएनएन]। बिहार कैबिनेट ने प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना को ख़ारिज कर दिया है और इसके बदले एक नई योजना को मंज़ूरी दी गई है। बिहार कैबिनेट ने राज्य के किसानों को फसल क्षति पर आर्थिक सहायता देने के लिए ‘ बिहार राज्य फसल सहायता योजना’ को मंजूरी दी है।
सहकारी विभाग के प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद ने संवाददाताओं को बताया कि यह नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जगह आई है और यह खरीफ फसलों के समय में 2018 से लागू किया जाएगा। उन्होंने किसानों को स्पष्ट किया कि यह आर्थिक सहायता योजना है न कि बीमा योजना। यह दोनों तरह के किसानों - रैयत और गैर रैयत - के लिए है। बता दें कि बिहार में फ़िलहाल कृषि मंत्री भाजपा के प्रेम कुमार हैं।
किसानों को क्या होगा फायदा
प्रसाद ने बताया कि कोई भी किसान जो इस योजना के तहत पंजीकृत रहेंगे उन्हें प्रीमियम जमा नहीं करना होगा बल्कि प्राकृतिक कारणों की वजह से फसलों को पहुंची क्षति मामले में इसका लाभ लेने के हकदार होंगे।उन्होंने बताया कि पहले वाली योजना में किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचा।
प्रसाद ने बताया कि राज्य सरकार को बीमा योजना के तहत वह राशि भी नहीं मिली जिसे उसने फसलों के बीमा के लिए प्रीमियम राशि (495 करोड़) के तौर पर जमा किया था।
बिहार सरकार ने क्यों विरोध किया...
नीतीश के विरोध का मुख्य आधार यही रहा है कि वर्तमान स्वरूप में केंद्र की योजना का मुख्य लाभ किसानों से ज़्यादा बीमा कम्पनियों को होता है। केंद्र की योजना में जहां राज्य और केंद्र को 49-49 प्रतिशत राशि का वहन करना होती है वहीं बाकी की दो प्रतिशत राशि किसानों से ली जाती है। लेकिन बिहार सरकार की नई योजना में किसानों को एक भी पैसा प्रीमियम के नाम पर नहीं देना होगा।
क्या है बिहार सरकार की योजना
बिहार सरकार की नई योजना इस वर्ष की ख़रीफ़ फ़सल के सीजन से लागू हो जाएगी। इसके तहत वास्तविक उपज में 20 प्रतिशत तक की कमी होने पर प्रति हेक्टेयर 7500 रुपये की राशि दी जाएगी। इसके अलावा दो हेक्टेयर तक पंद्रह हज़ार रुपये तक दिए जाएंगे। इसके अलावा वास्तविक उपज में बीस प्रतिशत से अधिक कमी आने पर दस हज़ार रुपये प्रति हेक्टेयर और अधिकतम बीस हज़ार तक दिए जाएंगे।