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न सूचक जीवित न आरोपित, बिहार के नालंदा में जज ने 52 वर्ष पुराने मामले में सुना दिया यह फैसला

किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने अपने कार्यकाल में मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखकर कई चर्चित फैसले दिए हैं। एसीजेएम पंचम के पद पर योगदान देने के हफ्ते भर के भीतर ही मिश्र ने चार से पांच दशक पुराने दो मामलों का निष्पादन कर दिया है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 02:44 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 02:44 PM (IST)
न सूचक जीवित न आरोपित, बिहार के नालंदा में जज ने 52 वर्ष पुराने मामले में सुना दिया यह फैसला
52 वर्ष पुराने मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला। सांकेतिक तस्‍वीर

बिहारशरीफ, जागरण संवाददाता। किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने अपने कार्यकाल में मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखकर कई चर्चित फैसले दिए हैं। एसीजेएम पंचम के पद पर योगदान देने के हफ्ते भर के भीतर ही मिश्र ने चार से पांच दशक पुराने दो मामलों का निष्पादन कर दिया है। एक मामला 1970 और दूसरा 1978 से चल रहा है। सूचक और आरोपी दोनों की मौत के बाद इन दोनों मामलों का निष्पादन हुआ है। इनमें से एक मामला तो नालंदा जिले के गठन से पहले का है।

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1970 में दर्ज हुआ था पहला मामला

नालंदा जिला का गठन के पहले वर्तमान के पटना जिला के परसा निवासी स्व. सीता गोप पर 1970 में सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगा था। उस समय नालंदा पटना जिला में ही शामिल था। तब फतुहा थाना में यह मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद जब नालंदा जिला का गठन हुआ तो यह मामला ट्रांसफर होकर नालंदा जिला में आ गया। तब से यह मामला यहां के न्यायालय में ही लंबित चल रहा था। न्याय का इंतजार में इस मामले के सूचक और प्रतिवादी दोनों की ही मृत्यु हो चुकी है। एसीजेएम 5 का पद संभालने के बाद जज मानवेन्द्र मिश्रा ने दोनों की मृत्यु होने का सत्यापन कर शनिवार को मामले का निष्पादन कर दिया। 52 वर्ष बाद इस मामले 25/सी 1970 का निष्पादन हुआ।

1978 में थाना प्रभारी थे देवराज सिंह, मौत के बाद मिली मुक्ति

1978 में रोहतास जिले के काराकाट निवासी देवराज सिंह हरनौत के थाना प्रभारी थे। थाना प्रभारी के पद पर रहने के दौरान ही उन पर कुछ स्थानीय लोगों ने मामला दर्ज करा दिया था। कांड संख्या 1544/78 अभी तक लंबित चला आ रहा था। जज मिश्र ने इसे भी प्राथमिकता से लेते हुए संबंधित थाने से देवराज सिंह के जीवित या मृत रहने की पुष्टि करायी। बेटे ने भी पिता की मृत्यु की पुष्टि की। जिसके बाद उन्होंने मामले का निष्पादन कर दिया।


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