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बाढ का कहर : गंगा के रौद्र रूप के बीच जारी है जिंदगी की जिद्दोजहद....

बिहार में बाढ की विपदा ने जहां लोगों का जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है वहीं एनडीआरएफ की टीमें भगवान बनकर जहां लोगों की मदद कर रही हैं वहीं पानी में घिरे पशुओं को भी बाहर निकाला है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 23 Aug 2016 02:09 PM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 11:16 PM (IST)
बाढ का कहर : गंगा के रौद्र रूप के बीच जारी है जिंदगी की जिद्दोजहद....
बाढ का कहर : गंगा के रौद्र रूप के बीच जारी है जिंदगी की जिद्दोजहद....

पटना [काजल]। एक ओर जहां बिहार में बाढ़ ने कहर मचा रखा है। नदियां तबाही मचाने पर उतारू हैं। गंगा ने गुस्से से विकराल रूप धारण कर लिया है तो उसका साथ देने के लिए सोन ने भी हाथ मिला लिया है। पानी का रौद्र रूप देखकर इंद्र भी रह-रह बिहार वासियों पर अपना प्रकोप दिखा रहे हैं। बाढ़ का रूप अब भयावह हो गया है।
पटना सहित बिहार के कई जिलों के हजारों गांवों में बाढ़ ने उत्पात मचा रखा है। कई गांव तो जलमग्न हो गए हैं और गांव के लोग अपनी जान बचाकर जहां-तहां शरण लिए हुए हैं। भूखे-प्यासे लोग जिनतक सरकार द्वारा दी जा रही राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही उनका जीना दूभर हो गया है।
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इस प्राकृतिक विपदा से इंसान ही नहीं बेजुबान जानवर भी बेहाल हैं। लेकिन वो अपना दर्द बता भी नहींं सकते। उनके खुराक को नदियां लील गई हैं। वे भी अपनी जान को बचाना ज्यादा जरूरी समझ रहे हैं और भूखे प्यासे अपने मालिक के साथ उनकी ही छत्र छाया की उम्मीद में बैठे हैं।
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जहां चारों ओर पानी ही पानी है और मुश्किल मे जिंदगानी है, वहां जो लोग अब भी गांवों में पानी से घिरे राहत की उम्मीद में बैठे हैं उनतक एनडीआरएफ की टीम पहुंचकर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जा रही है। एनडीआरएफ की 16 टीमों ने बिहार में अबतक करीब 5000 लोगों को बाढ से सुरक्षित बाहर निकाल लिया है।

जो लोग बच गए हैं उन्हें निकालने का काम जारी है। जो लोग बोल सकते हैं कि हमें बचा लो, यहां से निकालकर ले चलो उन्हें तो मदद मिल रही है, लेकिन जो बेजुबान है अपना दर्द बता नहीं सकते वे भी इस विपदा की घड़ी में जीवन की जंग लड़ रहे हैं। गंगा में बह रही एक गाय जो भगवान को गुहार लगा रही कि हे भगवान! किसी तरह बचा लो....

डूब रही इस गाय ने तमाम उपक्रम कर खुद की सांस को बचाए रखा लेकिन नदी की तेज धार भी उसे बहा ले जाने को आतुर थी, गाय को लगा कि अब तो बच नहीं पाएगी लेकिन भगवान ने उसकी पुकार सुन ली और एनडीआरएफ के दस्ते की नजर गाय पर पड़ गई, दस्ता नदी की धार को चीरकर गाय के पास पहुंचने की कोशिश की। गाय ने भी देख लिया कि मुझे कोई बचाने आ रहा है तो उसने भी अपनी कोशिश जारी रखी।

अाखिरकार हिम्मत और धैर्य की जीत हुई और बाढ की विभीषिका और तेज लहरों से जंग लड़ती हुई गाय एनडीआरएफ की नाव तक पहुंच गई। टीम ने भगवान बनकर प्राकृतिक विपदा से लड़ती हुई गाय को भी जीवन दान दिया और नाव में बैठाकर नदी तट पर ले आई।

चारों ओर पानी ही पानी और बीच में मिट्टी का टीला उसपर तीन दिनों से फंसे नीलगाय का जोड़ा...चारों ओर अपनी नजरें दौड़ाता कि कोई हमें भी बचा ले। कभी धंसती जमीन का डर तो कभी गंगा की खतरनाक लहरों का भय, जीवन की आस हर किसी को आखिरी समय तक रहती है। तीन दिन-तीन रातें बिताने के बाद इस जोड़े को एनडीआरएफ ने सुरक्षित निकाल लिया और राहत कैंप तक पहुंचा दिया है।

वहीं दूसरी ओर एक बकरी अपने मालिक की चहेती, इस संकट की घड़ी में भी मालिक ने ना उसका साथ छोड़ा है ना उसने अपने मालिक का साथ छोड़ा है। मालिक के साथ ही उसके बच्चे की तरह बाढ के पानी से डरकर नदी की लहरों से बची हुई धरती को चादर बनाकर आसमान ओढकर सो रहे मालिक के साथ वो भी चैन की सांस ले रही....

सांप ले रहे हैं शहर में शरण
बाढ़ के चलते सबसे अधिक परेशानी पशुओं को हो रही है। जंगलों और खेतों में पानी भरने के बाद सांप शहरों और गांव के घरों में शरण ले रहे हैं। आदमी को देखते भी जान बचाकर भागने वाले नीलगाय भी एनडीआरएफ की नाव की तरफ तैरकर आ रहे हैं ताकि जान बचाई जा सके। जवानों ने भी इंसानियत का परिचय देते हुए पशुओं की जान बचाई है।
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