'3जी' से पुलिस तोड़ेगी नक्सलियों का नेटवर्क
पटना । झारखंड में जिस तर्ज पर नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है उसी तर्ज पर अब बिह
पटना । झारखंड में जिस तर्ज पर नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है उसी तर्ज पर अब बिहार में भी नकेल कसने की मुकम्मल योजना बनाई जा रही है। झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों से सटे जिलों में मोबाइल का नेटवर्क पूरी तरह ऑन रहे इसके लिए पर्याप्त संख्या में आधुनिक मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं। मोबाइल टावर 24 घंटे सक्रिय रहे इसके लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है। मूल उद्देश्य इलाके में नक्सली गतिविधियों पर निगाह रखना है।
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो नक्सली गतिविधियों पर नजर रखने के लिए औरंगाबाद, गया, नवादा, जमुई, बांका एवं सासाराम जिले में अभी तक ऐसे 184 मोबाइल टावर लगाए जा चुके हैं। 66 टावर लगाए जा रहे हैं। इस महीने के अंत तक 250 टावर नक्सली क्षेत्र में लगकर तैयार हो जाएंगे। सारे टावर 3जी के ही हैं। नक्सल प्रभावित जिलों में पहाड़ी क्षेत्र समेत कहीं भी बीएसएनएल का मोबाइल काम कर सके इसके लिए अभी और 1000 मोबाइल टावर लगाने का प्रस्ताव है। राज्य सरकार व बीएसएनएल में सहमति बन चुकी है। इसके बाद नक्सल क्षेत्र में कहीं भी मोबाइल का नेटवर्क नहीं टूटेगा। इतना ही नहीं इन क्षेत्रों में इंटरनेट भी पूरी तरह से काम करता रहेगा। इंटरनेट की गति को भी काफी तेज किया जा रहा है। इस क्षेत्र में जहां पहले जहां 2जी नेटवर्क भी मुश्किल से काम करता था अब 3जी नेटवर्क धड़ल्ले से काम करने लगेगा। इंटरनेट की गति पहले जहां 256 केबीपीएस के आसपास होती थी अब यह बढ़कर 4 एमबीपीएस से 22 एमबीपीएस तक पहुंच जाएगी। इससे इस क्षेत्र के विकास में भी काफी मदद मिलने की संभावना है। नेटवर्क मजबूत होने से विकास की गति तेज होगी। नक्सली गतिविधियों पर भी लगाम लगाने में काफी मदद मिलेगी। वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो नक्सलियों को भी इंटरनेट की तेज गति मिलने एवं मोबाइल नेटवर्क मजबूत होने का फायदा मिलेगा। हालांकि सुरक्षाकर्मी इन आशंकाओं को पूरी तरह नकारते हुए मान रहे हैं कि नेटवर्क मजबूत रहने से नक्सलियों की गतिविधियों पर आसानी से नजर रखी जा सकेगी। पुलिस का भी नेटवर्क काफी अंदर तक होने से उन्हें हर गतिविधि की जानकारी मिलती रहेगी।