Navratri 2022 कलश स्थापना के लिए ये मुहूर्त सबसे खास, शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना पूरे नौ दिन होगी
Navratri 2022 Kalash Sthapna Muhurt सोमवार को मूल नक्षत्र में माता का धरा धाम पर होगा अवतरण। कलश स्थापना के साथ शुरू होगी मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना। इस बार शक्ति अराधना के होंगे पूरे नौ दिन भक्तों में उत्साह
उदवंंतनगर (आरा), संवाद सूत्र। Navratri 2022 Shubh Muhurta: शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का महापर्व दुर्गा पूजा या शारदीय नवरात्र सोमवार से शुरू हो रहा है। शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मनाई जाती है। इस बार तिथि का क्षय नहीं होने से नवरात्र पूरे नौ दिनों का होगा। नवमी और दशमी एक ही दिन मनाया जाएगा, लेकिन जहां पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, वहां 10वें दिन सुबह विसर्जन किया जाएगा।
सुबह 6.15 बजे से सबसे उपयुक्त मुहूर्त
आचार्य विवेकानंद पांडे ने बताया कि इस वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि की शुरुआत सोमवार को सुबह 3:22 बजे से हो रही है और 27 सितंबर सुबह 3:08 बजे तक रहेगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह 6:17 बजे से 10:19 बजे तक है, जिसमें 6:17 बजे से 7:55 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग है। इसकी अवधि एक घंटा 38 मिनट है।
घट स्थापना के लिए दोपहर में भी मुहूर्त
घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:54 बजे से 12:42 बजे तक है। इसकी अवधि 48 मिनट है। इस वर्ष प्रतिपदा तिथि में चित्रा और वैधृति योग की व्याप्ति होने से 26 सितंबर को पूरे दिन कलश स्थापना किया जाएगा। मध्यान्ह काल में अभिजीत मुहूर्त है।
एक अक्टूबर को बिल्वाभि मंत्रण
कलश स्थापना के बाद भगवती दुर्गा की विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना शुरू कर दी जाएगी। एक अक्टूबर 2022 को षष्ठी तिथि में बिल्वाभि मंत्रण किया जाएगा। उसी दिन रात्रि में 3:54 बजे पर मूल नक्षत्र का आगमन हो रहा है जो रविवार को पूरे दिन रहेगा।
दो अक्टूबर को पंडालों में विराजेंगी मां दुर्गा
दो अक्टूबर को सप्तमी तिथि में सरस्वती आह्वान, पत्रिका प्रवेश तथा देवी देवताओं की पंडालों में प्रतिष्ठा पूजन के साथ साथ महानिशा पूजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मां दुर्गा का आवाहन मूल नक्षत्र में तथा विसर्जन श्रवणा नक्षत्र में होता है। इसलिए, उसी दिन माता का आगमन होगा और पट खुलेगा। 3 अक्टूबर को महा अष्टमी है मनाई जाएगी। 4 अक्टूबर को नवमी के दिन हवन के साथ विसर्जन होगा।
पांच अक्टूबर की सुबह होगा विसर्जन
पंडालों में रखी प्रतिमाओं का विसर्जन श्रवणा नक्षत्र में 5 अक्टूबर की सुबह किया जाएगा। नवमी तिथि दिन मंगलवार को दिन में 1:33 तक नवमी है इसलिए 1:30 के भीतर ही हवन कार्य संपन्न कराना होगा। माता का आगमन और प्रस्थान दोनों हाथी पर होगा जो सर्वार्थ सिद्धि योग है और भक्तों को सुख समृद्धि और शांति प्रदान करने वाला है।
नवरात्र के शुभ मुहूर्त
- 26 सितंबर दिन सोमवार को कलश स्थापना (पूरे दिन)
- सुबह 6.17- 10.19 बजे तक जिसमें 6.17-7.55 बजे -सर्वाथ सिद्धि योग, अवधि 1.38 घंटा
- अभिजीत मुहूर्त - 11.54-12.42 बजे तक
- 2 अक्टूबर - सरस्वती आह्वान, पत्रिका पूजन,देवी देवताओं की पंडालों में प्रतिष्ठा पूजन, महानिशा पूजा
- 3 अक्टूबर - महाअष्टमी
- 4 अक्टूबर - नवमी व दशमी। दिन में 1.33 बजे तक नवमी। इसी अवधि में हवन
- 5 अक्टूबर - पंडालों में प्रतिमा विसर्जन व विजयादशमी के विभिन्न अनुष्ठान।
हाथी पर आगमन व प्रस्थान
इस वर्ष शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा का आगमन व प्रस्थान गज यानी हाथी पर होगा, जो सुख-समृद्धि व ऐश्वर्य का प्रतीक है। पंडित विवेकानंद पाण्डेय ने बताया कि मां का हाथी पर आना संसार के लिए शुभ संकेत है। मां दुर्गा के आगमन व प्रस्थान की सवारी लोगों के जीवन में शुभ अशुभ का प्रभाव डालता है। माता रानी अपने भक्तों धनधान्य व समृद्धि प्रदान करेंगी।
नवमी और दशमी एक दिन मनाई जाएगी
पंडित विवेकानंद पाण्डेय ने बताया कि इस वर्ष नवमी व दशमी तिथि एक ही दिन मनाया जायेगा।4 अक्टूबर को दिन में 1.33 बजे तक नवमी तिथि है। उसके बाद विजयादशमी के अनुष्ठान शुरू हो जायेंगे। अपराह्न 1.33 बजे के बाद कालिक दशमी मिलने से विजयादशमी इस दिन मनाई जाएगी।