Navratri 2020: शारदीय नवरात्र के आरंभ के साथ भक्तों के हृदय में विराजीं मां, राशि के अनुसार ऐसे करें पूजा
शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार से हो गया। 17 से 25 अक्टूबर तक श्रद्धालु हर रोज जगतजननी मां जगदंबा के अलग-अलग रूपों की पूजा कर खुद अपने परिवार घर गांव और समूची सृष्टि के लिए शक्ति बुद्धि स्वास्थ्य और ऐश्वर्य का वरदान मांगेंगे।
पटना, जेएनएन। वैश्विक महामारी के बीच शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार से हो गया। 17 से 25 अक्टूबर तक श्रद्धालु हर रोज जगतजननी मां जगदंबा के अलग-अलग रूपों की पूजा कर खुद, अपने परिवार, घर, गांव और समूची सृष्टि के लिए शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और ऐश्वर्य का वरदान मांगेंगे। पंडित राकेश झा ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना श्रेयस्कर होगा। यह मुहूर्त 11.36 से 12.24 बजे तक है। वैसे श्रद्धालु चाहें तो सुबह 5.50 से 7.16 बजे तक गुली काल मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं। इस दिन दोपहर 2.20 बजे तक चित्रा नक्षत्र है। जो श्रद्धालु उपर्युक्त दोनों मुहूर्त में मौका नहीं निकाल पाए, वे दोपहर 2.20 बजे के बाद कलश स्थापना कर सकते हैं। पहले दिन मां शैलपुत्री की अराधना करने का विधान है।
बन रहे कई दुर्लभ संयोग
पंडित राकेश झा ने बताया कि इस बार नवरात्र में कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। पहले दिन 17 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग, 18 को त्रिपुस्कर योग, 19 को सर्वार्थ सिद्धि योग, 20 एवं 21 अक्टूबर और 24 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।
अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र आरंभ
- 25 को ही मनेगी नवमी और विजयादशमी
- 23 की रात होगी महानिशा पूजन
- 24 को अष्टमी का व्रत करेंगे श्रद्धालु
कलश स्थापना के मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11.36 बजे से 12.24 बजे
गुली काल मुहूर्त : सुबह 5.50 बजे से 7.16 बजे
नवरात्र पर तीन सर्वार्थ सिद्धि योग, एक त्रिपुष्कर और दो रवि योग
अश्व पर माता का आगमन, महिष पर होगी विदाई
माता का आगमन घोड़े पर और विदाई भैंसा पर हो रही है। दोनों का फल आमजनों पर विपत्ति, रोग-शोक व असंतोष के रूप में लिया जाता है।
एक ही दिन नवमी-दशमी
वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार 25 अक्टूबर को सुबह 11.14 बजे तक नवमी है। इससे पहले ही नवमी का हवन आदि कर लेना होगा। इसके बाद 11.15 बजे दशमी तिथि आ जाएगी व विजयादशमी के अनुष्ठान किए जाएंगे। इससे पहले 23-24 की रात महानिशा पूजन और 24 को महाअष्टमी व्रत रखा जाएगा। वही नवरात्र का पारण 25 अक्टूबर को 11.14 बजे दिन के बाद दशमी तिथि में किया जाएगा। उदया तिथि के अनुसार 26 अक्टूबर को सुबह नवरात्र व्रत का पारण होगा। महाअष्टमी व्रत का पारण 25 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद होगा।
राशि के अनुसार करें मां की आराधना
मेष - रक्त चंदन, लाल पुष्प, सफेद मिष्ठान अर्पित करें। वृष - पंचमेवा, सुपारी, सफेद चंदन अर्पित करें। मिथुन - केला, पुष्प, धूप से पूजा करें। कर्क - बताशा, चावल, दही का अर्पण करें। सिंह - तांबे के पात्र में रोली, चंदन, केसर, कर्पूर के साथ आरती करें। कन्या - फल, पान पत्ता, गंगाजल को अर्पित करें। तुला - दूध, चावल, चुनरी चढ़ाए। वृश्चिक - लाल फूल, गुड़ अर्पित करें। धनु- हल्दी, केसर, तिल का तेल अर्पित करें। मकर - सरसों का तेल, पीला पुष्प अर्पित करें। कुंभ - पुष्प, कुमकुम, तेल का दीपक अर्पित करें। मीन - हल्दी, चावलख् पीले फूल अर्पित करें।