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राजद की रैली में गौण रहे राष्‍ट्रीय मुद्दे, केवल बिहार से भाजपा को भगाते दिखे लालू

लालू यादव की रैली में काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे लेकिन इस रैली में राष्ट्रीय मुद्दे गौण रहे और लालू की फैमिली, नीतीश और पीएम मोदी मुख्य मुद्दे बन गए।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 28 Aug 2017 11:31 AM (IST)Updated: Mon, 28 Aug 2017 11:59 PM (IST)
राजद की रैली में गौण रहे राष्‍ट्रीय मुद्दे, केवल बिहार से भाजपा को भगाते  दिखे लालू
राजद की रैली में गौण रहे राष्‍ट्रीय मुद्दे, केवल बिहार से भाजपा को भगाते दिखे लालू

पटना [जेएनएन]। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने 'भाजपा भगाओ, देश बचाओ' रैली का आयोजन पूरे देश में महागठबंधन बनाने के उद्देश्य से किया था, लेकिन लालू की रैली बिहार की राजनीति तक ही सिमटती दिखी। जहां रैली में लालू ने अपने परिवार पर हो रहे हमले का बचाव किया, वहीं बाकी नेताओं ने आरजेडी को इस लड़ाई में अपना समर्थन दिया।

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इस रैली में सभी दलों के नेताओं ने आम सहमति भी जताई कि 2019 में एनडीए सरकार के खिलाफ महागठबंधन बनेगा, लेकिन अधिक बातें बिहार, लालू प्रसाद के परिवार, नीतीश कुमार और मोदी सरकार के इर्द-गिर्द ही घूमती रहीं। रैली में शामिल विपक्षी नेताओं ने महागठबंधन के स्वरूप पर खुलकर बात तक नहीं की।

लेकिन, इस रैली में झारखंड के पूर्व सीएम जेएमएम के हेमंत सोरेन और पूर्व सीएम बाबू लाल मरांडी ने एक साथ मंच शेयर किया। इन दोनों ने कांग्रेस और आरजेडी के साथ राज्य में महागठबंधन बनाने का संकेत दिया। अगर इन चारों दल का महागठबंधन बनता है तो झारखंड में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी।

अखिलेश और ममता ने भरी हुंकार

अखिलेश यादव और ममता बनर्जी ने रैली में अपने अगले राजनीतिक कदम पर बात करने की जगह मोदी सरकार की विफलता पर अधिक फोकस रखा। 2019 की योजनाओं के बारे में साफ-साफ बात नहीं की, लेकिन विपक्षी दलों को एक होने की जरूरत पर संकेतों में जरूर बल दिया।

दरअसल अंतिम समय में बीएसपी के रैली से अलग होने के कारण यूपी में विपक्षी एकता की कोशिशों को झटका लगा। उसका असर अखिलेश यादव के भाषण पर दिखा और वह इस मुद्दे पर साफ बात करने से बचते रहे। वहीं कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने रैली से खुद को अलग रखकर संकेत दे दिया था कि वह इस रैली का फोकस बिहार तक ही मानती हैं।

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हालांकि पार्टी की ओर से गए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी प्रियंका के बीमार होने के कारण रैली में नहीं आईं। उन्होंने सोनिया का रिकॉर्डेड संदेश सुनाया, लेकिन सूत्रों के अनुसार कांग्रेस लालू प्रसाद का उपयोग बिहार तक ही करना चाहती है और पार्टी की यही मंशा रैली में भी दिखी।

तेजप्रताप में दिखी लालू की छवि

लालू के बड़े बेटे और नीतीश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे तेज प्रताप यादव ने लालू के अंदाज में बात कर तालियां बटोरीं। चुटीले अंदाज में तेज प्रताप यादव ने कहा कि वे पिताजी की तरह भाषण दे रहे हैं। हालांकि तेजप्रताप ने तेजस्वी को लड़ाई का अर्जुन बताकर संदेश देने की कोशिश की कि वह भी उन्हें नेता मान चुके हैं। रैली में लड़ाई की शुरुआत बताते हुए तेजप्रताप ने खुद शंख भी बजाया। वहीं तेजस्वी ने लंबा भाषण देकर अपनी अगली राजनीति पर खुलकर बात की।

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जदयू की चेतावनी से नहीं डरे शरद, खूब की बयानबाजी 

इस रैली में सबसे अधिक नजर शरद यादव पर थी। इस रैली के साथ ही शरद यादव बनाम जेडीयू की लड़ाई और तीखी हो गई है। सूत्रों के अनुसार अब जेडीयू उन्हें पार्टी से हटाकर उनकी सदस्यता खत्म करने की कवायद तेजद करेगी। पार्टी के सीनियर नेता केसी त्यागी ने कहा कि संविधान के अनुसार, शरद यादव राज्यसभा सांसद नहीं रह पाएंगे। 

रैली में शराबबंदी और सृजन पर रहा जोर

इस रैली में नीतीश कुमार पर सबसे अधिक हमला सृजन घोटाले को लेकर किया गया। आरजेडी ने साफ संकेत दे दिया कि वह इस घोटाले पर सियासत जारी रखेंगे, लेकिन सबसे हैरानी लालू के शराबबंदी पर हमले से हुई। पहली बार लालू ने यह कहकर शराबबंदी का विरोध किया कि इस कारण 40 हजार गरीबों को जेल भेजा गया।


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