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बिहार के 98 फीसद घरों को मिल रहा पीने का साफ पानी, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में दावा

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार बिहार के 98 फीसद घरों में पहुंच रहा है पीने का साफ पानी इसमें हर घर नल का जल योजना की बड़ी भूमिका इस योजना से 95 फीसद घरों में पहुंच गया नल का जल चंडीगढ़ और पंजाब क्रमश पहले-दूसरे नम्बर पर

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Mon, 28 Jun 2021 06:05 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jun 2021 06:05 PM (IST)
पेयजल उपलब्‍धता पर आधारित रिपोर्ट में बिहार की बेहतर स्थिति। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। यह बिहार के लिए बड़ी उपलब्धि है। राज्य के 98 फीसद घरों में पेयजल का स्वतंत्र स्रोत है। इसके जरिए आपूर्ति होने वाला पानी साफ और पीने के योग्य है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की वेबसाइट पर जिन पांच राज्यों को इस मोर्चे पर शीर्ष में रखा गया है, उसमें बिहार का तीसरा स्थान है। राहत की बात यह है कि उसके ऊपर पंजाब है। आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से यह बिहार से छोटा है। शीर्ष पर चंडीगढ़ है। यह केंद्र शासित है। राज्यों की तुलना करें तो बिहार का दूसरा नंबर है। आबादी के हिसाब से देखें तो बड़े राज्यों की कतार में बिहार अव्वल है। यह रैंकिंग नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आधार पर है।

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सिक्किम तीसरे नंबर पर है

शीर्ष के पांच राज्यों में सिक्किम तीसरे नम्बर पर है। आबादी के हिसाब से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का नम्बर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच पांचवां है। पंजाब के 99 फीसद घरों में नल जल की सुविधा है। बिहार के 98, सिक्किम के 97.5 और उत्तर प्रदेश 96 फीसद घरों में साफ पेयजल की सुविधा है। इस रिपोर्ट के अनुसार कम घरों तक साफ पानी पहुंचाने के मामले में सबसे बुरी हालत मणिपुर की है। उसके बाद मेघालय, आंध्र प्रदेश, दादर एंड नागर हवेली और तेलांगना का नम्बर आता है।

हर घर नल का जल

बिहार को यह उपलब्धि मुख्यमंत्री हर घर नल जल योजना से हासिल हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग और पंचायती राज विभाग एवं शहरी क्षेत्रों में नगर विकास विभाग की ओर से इस योजना का संचालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जून के दूसरे सप्ताह में इस योजना की समीक्षा की थी। उन्हें तीनों विभागों की ओर से बताया गया कि 95 फीसद घरों में इस योजना के तहत पेयजल पहुंचाया जा रहा है। आंकड़े में उन घरों को भी शामिल किया गया है, जिनके पास स्वच्छ पेयजल के अपने स्रोत हैं।


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