सुशांत के साथ काम करने की इच्छा थी : नाना पाटेकर
नाना बोले- सुशांत राजपूत से सिर्फ एक बार मिला। नमस्कार के सिवाय उनसे कोई बात नहीं हुई..
पटना/आरा। सुशांत राजपूत से सिर्फ एक बार मिला। नमस्कार के सिवाय उनसे कोई बात नहीं हुई। लेकिन, उनकी तीन फिल्में देखी हैं। उससे पता चलता है वो किस तरह का इंसान होगा। मैं इस बच्चे के साथ काम करूंगा, ऐसा मन में आया था। कुछ लोग बिना मिले अपने से लगते हैं, उनमें से एक था वो। आपका दुख मैं समझ सकता हूं, भगवान हमेशा आपके साथ रहें। ये बातें रविवार को सुशांत सिंह राजपूत के घर पहुंचे सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर ने सुशांत के स्वजनों से कहीं।
नाना शनिवार को मोकामा के केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल स्थित ग्रुप केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। मोकामा से लौटने के दौरान वह पटना के राजीवनगर स्थित सुशांत के घर पहुंचे। उन्होंने सुशांत की फोटो को फूल-माला पहनाई और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। सुशांत के पिता से मिलकर उनका दुख बांटा और परिवार के लोगों से हमेशा उनके साथ खडे़ रहने की अपील की।
बुरे दिन जितना सिखाते हैं अच्छे दिन नहीं : नाना पाटेकर देर शाम सीआरपीएफ के 47 वें बटालियन केंद्र भोजपुर जिले के कोईलवर पहुंचे और कैंप परिसर में पौधारोपण किया। बटालियन के सभागार में उनको सीआरपीएफ के बिहार सेक्टर के आइजी बीवी गिरि प्रसाद ने मंच पर बुके व शॉल देकर सम्मानित किया। अपने संबोधन में नाना पाटेकर ने सैन्य बलों की सराहना की। उन्होंने सिने अभिनेता व आम इंसान में फर्क संबंधी सवाल के जवाब में कहा कि वह केवल कैमरा के सामने एक्टर होते हैं बाकी काम आम इंसान जैसा है। कहा कि वे एक अच्छे कुक भी हैं। उन्होंने जवानों से चिता और तनाव से दूर रहने को कहा। कोरोना से उत्पन्न बुरे व सख्त दिनों का नाम लिए बिना यह भी सीख दी कि बुरे दिन जितना सिखाते है, अच्छे दिन नहीं।