दलितों एवं अतिपिछड़ों की गोलबंदी को गति देगी नमो की रैली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गया में रविवार को होने जा रही परिवर्तन रैली के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। रैली में कहीं कोई कसर न रह जाए इसके लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शनिवार रात ही गया पहुंच गए।
पटना [सुभाष पांडेय]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गया में रविवार को होने जा रही परिवर्तन रैली के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। रैली में कहीं कोई कसर न रह जाए इसके लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शनिवार रात ही गया पहुंच गए।
मुजफ्फरपुर में 25 जुलाई को पहली परिवर्तन रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनने उमड़ी भीड़ से भाजपा में उत्साह है। गया की रैली मुजफ्फरपुर से कमजोर साबित न हो इसके लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी शनिवार को दिन भर गया शहर में रोड शो करके लोगों को प्रधानमंत्री की रैली में आने की अपील करते रहे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और रामकृपाल यादव पिछले दस दिन से इस रैली की तैयारी में लगे हैं।
अमूमन पटना में होने वाली रैलियों के लिए गया और जहानाबाद से बड़ी संख्या में लोग आते थे। पहली बार किसी रैली के लिए पटना से लोगों के गया पहुंचने की खबर है। बाढ़ और मोकामा तक से बड़ी संख्या में लोग नमो की रैली में भाग लेने पहुंच रहे हैं।
पटना से गया तक के बीच करीब 120 किलोमीटर का समूचा रास्ता भाजपा के नारों वाले पोस्टर और बैनरों से सज गया है। जहानाबाद और गया शहर नरेंद्र मोदी के बड़े बड़े होर्डिंग से पट गया है। भाजपा नेताओं का दावा है कि मुजफ्फरपुर में हुई परिवर्तन रैली की अपेक्षा मगध क्षेत्र में हो रही इस रैली का इलाका छोटा है, लेकिन भीड़ उससे ज्यादा जुटाने की कोशिश है।
गया बिहार में अनुसूचित जाति की सर्वाधिक आबादी वाला जिला है। यहां की 28 फीसद आबादी दलित है। पार्टी नमो की इस परिवर्तन रैली के माध्यम से दलितों और अत्यंत पिछड़ी जातियों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश में है।
रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा से भाजपा का गठबंधन रहने की वजह से वैसे ही दलितों का झुकाव इस बार भाजपा की ओर दिखाई पड़ रहा है। भाजपा इसे और पुख्ता करने में लगी है।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी इसी इलाके से आते हैं। स्वाभाविक है कि उनकी भी प्रतिष्ठा इस रैली की सफलता से काफी हद तक जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि स्वयं मांझी एक सप्ताह से इस रैली की सफलता के लिए तैयारी में जुटे हैं।