नगर निकाय चुनावः भाजपा सरकार आरक्षण के खिलाफ, निर्णायक आंदोलन होगा करनाः मुकेश सहनी
मुकेश सहनी ने कहा है कि देश के अतिपिछड़ा एवं पिछड़ा समाज को भाजपा सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन करना होगा। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय के कारण बिहार सरकार अब कई मामलों में अतिपिछड़ों एवं पिछड़ों को आरक्षण नहीं दे पाएगी।
जागरण टीम, पटना। पूर्व मंत्री व विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा है कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा सुनाया गया फैसला अतिपिछड़ा वर्ग और पिछड़ा को दी जा रही संपूर्ण आरक्षण पूर्व, वर्तमान, भविष्य पर प्रश्न चिह्न लगता है। देश के अतिपिछड़ा एवं पिछड़ा समाज को भाजपा सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन करना होगा, क्योंकि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है तब से आरक्षण पर लगातार हमले हो रहे हैं।
सहनी ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट से कहा गया है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव वर्तमान पैटर्न पर करने के लिए 'तीन टेस्ट' से गुजरना होगा:- पहला-स्थानीय स्तर पर पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की समसामयिक जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना करना। दूसरा- आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकाय-वार चुनाव किए जाने के लिए आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि नीचे न गिरे। तीसरा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नही होना चाहिए। इसका दुर्गामी परिणाम होगा।
भाजपा, बिहार सरकार से अलग हुई तो ऐसा क्यों हुआ?
सहनी ने कहा कि इस निर्णय के कारण बिहार सरकार अब कई मामलों में अतिपिछड़ों एवं पिछड़ों को आरक्षण नहीं दे पाएगी। इसके पहले भी वर्तमान पैटर्न पर चुनाव हुआ तब कोर्ट ने रोक नहीं लगाई या रोक लगाने की कोशिश नहीं हुई। आखिर जब भाजपा, बिहार सरकार से अलग हुई तो ऐसा क्यों हुआ?
साजिश की बू आ रही
50 प्रतिशत आरक्षण की उच्च सीमा और तीन टेस्ट का सवाल कभी 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर कभी नहीं आया, लेकिन ओबीसी, इबीसी और एससी के केस में आता है, क्यों? देश में इंडियन जुडिशियरी सर्विस की शुरुआत होनी चाहिए। अधिवक्ता जनरल, बिहार एवं अन्य विधिय सलाहकार के सलाह पर भी पुनर्विचार करना होगा कि ऐसी नौबत ही क्यों आई? उन्होंने कहा कि इसमें साजिश की बू आ रही है।
शीघ्र ही निर्णायक आंदोलन होगा
सहनी ने कहा कि इस निर्णय में सभी पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग की सीटों का ओपन करने की बात कही गई है जब तक कि तीनों टेस्ट के आधार पर आरक्षण की संख्या नीयत नहीं हो जाती है। जिसमें वर्षों लगेंगे। तुरंत नगर निकाय चुनाव कराने की भी बात की गई है अर्थात, इस बार बिहार में नगर-निकाय चुनाव बिना आरक्षण का ही होगा। कमंडल की राजनीति के खिलाफ आपसी सभी मतभेद भुलाकर 2024 के पहले सभी अतिपिछड़ों, पिछड़ों, दलितों एवं आदिवासियों को एक होना होगा। बिहार में नगर निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण पर रोक को लेकर शीघ्र ही निर्णायक आंदोलन होगा।