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सिपाही शहादत: शहीद की पत्नी का सवाल, क्या बाइक से अपराधियों को पकड़ा जाता है?

बाईपास पर अपराधियों ने मोर्चा लेने में शहीद मुकेश का शव जब पैतृक आवास पहुंचा तो पूरा गांव गमगीन हो गया। हर किसी की आंखों में आंसू थे। शहीद की पत्नी राखी रो-रो कर बेहोश हो जा रही थी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 02:06 PM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2018 02:06 PM (IST)
सिपाही शहादत: शहीद की पत्नी का सवाल, क्या बाइक से अपराधियों को पकड़ा जाता है?
सिपाही शहादत: शहीद की पत्नी का सवाल, क्या बाइक से अपराधियों को पकड़ा जाता है?

पटना, जेएनएन। बाईपास पर अपराधियों ने मोर्चा लेने में शहीद मुकेश की पत्नी राखी ने सिस्टम पर सवाल खड़ा किया है। राखी का कहना है कि क्या बाइक से अपराधी को पकड़ा जाता है? राखी ने बताया कि मुकेश को जब तब बुलाकर ड्यूटी कराई जाती थी। एक बजे रात में भी बुला लिया जाता था। मुकेश हर आदेश मानते थे। बावजूद इसके कार्रवाई के वक्त कोई साथ नहीं था। इसका सिला मुझे अपना सुहाग खोकर चुकाना पड़ा। कहा कि मेरे पति शेर थे। साजिश के तहत उन्हें मारा गया है। उन्हें कुछ नहीं चाहिए बस, पति लौटा दें। अंतिम विदाई में वरीय अफसरों के नहीं पहुंचने पर शहीद की पत्नी ने नाराजगी भी जताई।

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हमरा रजवा के लेआव लोग ., बोल फफक पड़ी राखी

शहीद जवान मुकेश के पार्थिव शरीर को देखकर पत्नी राखी देवी मंगलवार की दोपहर दहाड़ मारकर रो रही थी। उसके मुख से एक ही शब्द बार -बार निकल रहा था हमरा रजवा के लेआव लोग, पता ना कईसे सुतल बाड़े,.जगाव लोग..। आसपड़ोस के लोग ढांढस बंधाने में लगे थे। मां ततेरा कुंवर भी रो रोकर बोल रही थी कि बबुआ हमरा कहां बाड़े, अंखिया बनल रहे त देखे आइल रहन..। बड़ी बेटी नंदनी भी रो-रोकर अपने पापा को खोज रही थी। ससुर ददन पासवान व सास जानती देवी भी शव के पास करुणा विलाप कर रही थी तो कभी अपनी बेटी को संभाल रही थी। घर के दरवाजे के बाहर सैकड़ों की तदात में जनसमूह खड़ा था। पत्नी का करुणा विलाप देखकर सबका कलेजा फटा जा रहा था।

गाड़ी की आवाज सुन गेट पर भाग आता था बेटा

बदमाश की गोली से शहीद मुकेश सोमवार दोपहर घर से बेटे को प्यार कर निकला था। मौत की सूचना पर भाई, बहन, रिश्तेदार सब पहाड़पुर स्थित घर पहुंच गए। मोहल्ले में भी गम का माहौल था। सब मुकेश की चर्चा कर रहे थे। महिलाएं आपस में बात कर रही थीं कि बेटा आयुष अपने पिता के बिना नहीं रह पाता था। गाड़ी की आवाज सुनकर गेट पर दौड़ आता था। सोमवार सुबह पांच बजे जब उसकी आंख खुली तो उसने सबसे पहले पापा को खोजा। बेटे की इस पुकार पर मां उसे गले लगाकर रोने लगी।


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