एम्स में खुलेगा मदर मिल्क बैंक, मां के दूध को संरक्षित करने की होगी सुविधा
पटना एम्स में मां के दूध को संरक्षित एवं संग्रहित करने की आधुनिक सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।
By Edited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 08:43 AM (IST)
पटना, जेएनएन। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में जल्द ही मदर मिल्क बैंक की स्थापना की जाएगी। मां का दूध शिशुओं का बहुत सारे रोगों से बचाव करता है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए एम्स में जल्द ही मदर मिल्क बैंक खोलने का निर्णय लिया गया है। इसमें मां के दूध को संरक्षित एवं संग्रहित करने की आधुनिक सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। एम्स निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि ये सुविधा जल्द ही मिलने लगेगी।
गर्भावस्था में भोजन के साथ आयनर जरूरी
कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसीन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए चिकित्सकीय सुविधा के साथ बेहतर परामर्श भी अत्यावश्यक है। अलाइव एंड थ्राइव के कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिला को प्रतिदिन के भोजन में आयरन और फॉलिक एसिड की सही मात्रा लेना भी जरूरी है।
पहले एक हजार दिन बेहद महत्वपूर्ण
गर्भावस्था और जन्म के बाद के पहले एक हजार दिन नवजात के आरंभिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास रुक सकता है। छह महीने के बाद बच्चों को अनुपूरक आहार जरूरी प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि शिशुओं को छह माह के बाद अनुपूरक आहार देना जरूरी है। छह से आठ माह के शिशुओं को स्तनपान के साथ ही दिन में दो बार लगभग ढाई मिलीलीटर गाढ़ी दाल में एक चम्मच तेल या घी देना चाहिए।
नौ से 11 महीने के बच्चों को स्तनपान के साथ दिन में तीन बार लगभग 250 मिलीलीटर की आधी कटोरी अर्ध ठोस भोजन दिन में एक से दो बार देना चाहिए। इस दौरान महिला एवं प्रसूति विभाग की अध्यक्ष डॉ. हिमाली सिन्हा, कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन के डॉ. प्रज्ञा कुमार, डॉ. महताब आदि थे।
गर्भावस्था में भोजन के साथ आयनर जरूरी
कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसीन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए चिकित्सकीय सुविधा के साथ बेहतर परामर्श भी अत्यावश्यक है। अलाइव एंड थ्राइव के कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिला को प्रतिदिन के भोजन में आयरन और फॉलिक एसिड की सही मात्रा लेना भी जरूरी है।
पहले एक हजार दिन बेहद महत्वपूर्ण
गर्भावस्था और जन्म के बाद के पहले एक हजार दिन नवजात के आरंभिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास रुक सकता है। छह महीने के बाद बच्चों को अनुपूरक आहार जरूरी प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि शिशुओं को छह माह के बाद अनुपूरक आहार देना जरूरी है। छह से आठ माह के शिशुओं को स्तनपान के साथ ही दिन में दो बार लगभग ढाई मिलीलीटर गाढ़ी दाल में एक चम्मच तेल या घी देना चाहिए।
नौ से 11 महीने के बच्चों को स्तनपान के साथ दिन में तीन बार लगभग 250 मिलीलीटर की आधी कटोरी अर्ध ठोस भोजन दिन में एक से दो बार देना चाहिए। इस दौरान महिला एवं प्रसूति विभाग की अध्यक्ष डॉ. हिमाली सिन्हा, कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन के डॉ. प्रज्ञा कुमार, डॉ. महताब आदि थे।
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