बिहार में आधे से अधिक किशोर-किशोरी छुपाते शारीरिक बदलाव, जानिए कारण
बिहार के पचास फीसदी किशोर-किशोरी शरीर में आए बदलाव को छुपाते हैं। पांच जिलों में हुए अध्ययन में ये डरावने आंकड़े सामने आये हैं।
पटना [जेएनएन]। बिहार के 50 फीसद से अधिक किशोर-किशोरी शरीर में आए बदलाव को छुपाते हैं। बिहार के पांच जिलों में हुए अध्ययन में ये डरावने आंकड़े सामने आये हैं। सूचना क्रांति के इस दौर में बिहार में यह हाल है कि वे अधकचरी जानकारियों से अपने शरीर की स्थिति को जानने-समझने का प्रयास करते हैं और इसी दौरान अन्य बीमारियां घर करती हैं।
शुक्रवार को द वाईपी फाउंडेशन के तहत एक होटल में अायोजित सेमिनार में यह तथ्य रखे गये। विशेषज्ञों ने कहा युवाओं को पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। शिक्षकों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि वे विद्यार्थियों के मनोविज्ञान को समझ सकें और युवाओं की समस्या को समझने के तरीके से छात्रों के साथ संवाद करने के बारे में जान सकें।
राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के अंतर्गत एइपी की प्रमुख बीर कुमारी कुजुर ने कहा कि इस मौके पर बिहार के कई तकनीकी संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं व सरकारी प्रतिनिधियों के अलावा बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
फाउंडेशन पिछले दो सालों से बिहार के पांच जिलों बेगुसराय, जमुई, रोहतास, बक्सर और पटना मे युवाओं के यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य पर अपने साथी संस्था सेंटर फॉर सोशल इक्विटी एंड इन्क्लुजन के साथ जुड़कर कार्यशालाओं व अभियान चला रहा है। राज्य स्तरीय इस आयोजन का लक्ष्य किशोर/किशोरियों एवं युवाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा के प्रति जागरूक करने का था।
संवाद के मुख्य उद्देश्य
आयोजन में अपनी बात रखते हुए वक्ताओं ने बिहार में युवाओं के यौन एवं प्रजनन स्वस्थ व अधिकार के वर्तमान परिपेक्ष्य पर सामूहिक समझ बनाने, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, किशोर शिक्षा कार्यक्रम व शरीर अपना अधिकार अपने जैसे यौन और प्रजनन स्वास्थ्य व अधिकार पर चल रहे सक्रिय कार्यक्रमों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए आने वाले चुनौतियों, क्षमताओं और अवसरों के परिक्षण करने व युवाओं के स्वास्थ्य व उससे जुड़े अधिकारों को अग्रसर करने के लिए विभिन्न हितगामियों के लिए अनुसंशाओं को तैयार करने पर जोर दिया।
आयोजन को संबोधित करते हुए किशोर स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर प्रभुदास कर्सुन्कल ने कहा कि स्थानीय स्तर के प्रशासनिक निकायों में प्रवेश के माध्यम से युवा लोगों को कार्यक्रम क्रियान्वयन और नीति में हस्तक्षेप करने की सुविधा है।