अधिक सीटें मिलने से बढ़ेगी LJP की परेशानी, पासवान परिवार में हलचल तेज
एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर ज्यादा सीटें मिलने की संभावना ने लोजपा सांसद चिराग पासवान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पासवान परिवार में टिकट लेेने के कई दावेदार हैं। जानिए...
पटना [अरुण अशेष]। लोकसभा चुनाव को लेकर एनडीए में अधिक सीटें मिलने की संभावना ने लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान का सरदर्द बढ़ा दिया है। उनका यह इरादा कमजोर पड़ सकता है कि लोकसभा में परिवार के नए सदस्यों का दाखिला नहीं होने देंगे।
पार्टी पर परिवारवाद का आरोप स्थायी है। इसके चलते लोजपा का कोई भी नेता दूसरे दलों के परिवारवाद पर नहीं बोल पाता है। चिराग ने इस आरोप से निजात पाने की कोशिश की थी।
विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को दो सीटों पर लडऩे से रोका था। बहनोई को भी टिकट देने पर नाराजगी जताई थी। बदली हालत में जब चिराग पार्टी में सबसे ताकतवर हो गए हैं, परिवार की दखलंदाजी को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। खबर है कि परिवार की बैठक में ऐलान भी कर दिया था कि नए सदस्य लोकसभा का चुनाव नहीं लडग़े।
लेकिन, यह बात उन दिनों की है, जब जदयू के एनडीए में शामिल होने के नाम पर लोजपा से सीटों की कुर्बानी मांगी जा रही थी। चिराग ने अपने चचेरे भाई प्रिंस राज को भी लोकसभा का टिकट देने से मना कर दिया था। तब चार सीट मिलने की संभावना थी।
चिराग चाहते थे कि दो सामान्य और दो सुरक्षित सीटें मिले। सुरक्षित सीट अपने लिए और दूसरी सांसद रामचंद्र पासवान के लिए। अब जबकि एनडीए में रालोसपा का खाता लगभग बंद होनेे के करीब है, लोजपा को चार से से अधिक सीट मिलने की गुंजाइश बन रही है।
बदली हालत में चिराग पर परिवार के नए दावेदारों का दबाव बढ़ रहा है। खुद उनकी मां रीना पासवान चुनाव में दिलचस्पी लेने लगी हैं। इसके अलावा पूर्व कांग्रेसी विधायक डा. ज्योति कतार में शामिल हो गई हैं। वह लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान की समधिन हैं। बहुत दिनों से किसी सदन की सदस्य नहीं हैं।
चिराग जमुई से और रामचंद्र समस्तीपुर से लडेंग़े। पासवान राज्यसभा में जाएंगे। ऐसे में उनके नाम का पर्याय हाजीपुर लोकसभा सीट पर किसी अपने की तलाश हो रही है।
रीना पासवान के बारे में बताया जा रहा है कि वह भी अनुसूचित जाति की हैं। हाजीपुर से चुनाव लडऩे में बाधा नहीं है। फिर भी एक पेंच फंस रहा है। पंजाब में उनकी बिरादरी अनुसूचित जाति की सूची में शामिल हो और बिहार की सूची में न हो तो सुरक्षित सीट पर उनका चुनाव लडऩा संभव नहीं हो सकता है।
एहतियात के तौर पर उनके लिए सामान्य सीट की भी खोज हो रही है। मंत्री पशुपति कुमार पारस लो प्रोफाइल में रहते हैं। उन्हें संगठन का अच्छा अनुभव है। कभी लोकसभा चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर नहीं की। लेकिन, हाजीपुर का गढ़ बचाने के नाम पर वह भी मैदान में कूद पड़ें तो हैरत की बात नहीं होगी।
जहां तक सामान्य सीटों का सवाल है, चिराग भूमिहार और राजपूत बिरादरी के लिए दो सीट चाहते हैं। मुंगेर की सांसद वीणा देवी को बेगूसराय के लिए राजी किया जा रहा है, जबकि वैशाली के सांसद रामा सिंह के विकल्प की खोज हो रही है।