रफी ने भोजपुरी गानों को भी दी आवाज, तब सबकी जुबान पर चढ़ गए थे 'गोरकी पतरकी' के बोल
मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव में हुआ था। 31 जुलाई 1980 को उनका निधन हो गया। आइए नजर डालते हैं उनके कुछ भोजपुरी गानों पर।
By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 10:59 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 09:58 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। भोजपुरी फिल्मों के गानों पर आजकल भले ही चलताऊ होने के आरोप लगते हों, लेकिन कई गाने ऐसे भी हैं जिन्हें सुनकर आप गुनगुनाए बिना नहीं रह पाएंगे। इसमें पार्श्वगायक मो. रफी का भी योगदान रहा है। भोजपुरी की पहली फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ को रफी ने अपनी सुरीली आवाज से संवारा है। फिल्म ‘बलम परेदेासिया’ में रफी का गाया ‘गोरकी पतरकी रे...' तो तब सबी जुबान पर चढ़ गया था। पुण्यतिथि के अवसर पर मो. रफी के सदाबहार भोजपुरी गीतों पर आइए डालते हैं नजर...
गंगा मैया तोहे पीयरी चढ़ाईबो : सोनवा के पिंजरा में बंद भइल हाय राम
भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत साल 1960 के दशक में हुई। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रदेश के आग्रह पर नाजिर हुसैन ने 1963 में पहली भोजपुरी फिल्म 'गंगा मैया तोहे पीयरी चढ़ाईबो' बनाई। इसमें रफी का गाना 'सोनवा के पिंजरा में बंद भइल हाय राम...' हिट रहा। शैलेंद्र के लिखे इस गीत को चित्रगुप्त ने संगीत दिया है।
बलम परदेसिया: गोरकी पतरकी रे
बीते जमाने की फिल्म 'बलम परदेसिया' का गीत 'गोरकी पतरकी रे...' कौन भूल सकता है? इस गीत को स्वर दिया है आशा भोंसले व मो.रफी ने। अंजान के fलिखे इस गीत के भी चित्रगुप्त ने संगीत दिया है।
'हम गरीबन से भइल प्यार...'
रफी के कुछ गीत समय की गर्द के नीचं भी दब गए हैं। ऐसा ही एक गीत है-'हम गरीबन से भइल प्यार बलम कैसे कह...', तो भोजपुरी में है।
गंगा जमुना: नैन लड़ जइीें त मनवा मा कसक होइबे करी.
हिंदी फिल्म 'गंगा जमुना' का गाना 'नैन लड़ जइीें त मनवा मा कसक होइबे करी...' को रफी ने अपनी आवाज से संवारा है। शकील बदायूनी के लिखे इस गीत को संगीत कदयाहै नौशाद ने।
गोदान: पीपरा के पतवा सरीके डोले मनवा
हिंदी फिल्मों में रफी के भोजपुरी गानों की चर्चा हो तो फिल्म 'गोदान' के पीपरा के पतवा सरीके डोले मनवा...' का उल्लेख भना कैसे न होगा।
गंगा मैया तोहे पीयरी चढ़ाईबो : सोनवा के पिंजरा में बंद भइल हाय राम
भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत साल 1960 के दशक में हुई। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रदेश के आग्रह पर नाजिर हुसैन ने 1963 में पहली भोजपुरी फिल्म 'गंगा मैया तोहे पीयरी चढ़ाईबो' बनाई। इसमें रफी का गाना 'सोनवा के पिंजरा में बंद भइल हाय राम...' हिट रहा। शैलेंद्र के लिखे इस गीत को चित्रगुप्त ने संगीत दिया है।
बलम परदेसिया: गोरकी पतरकी रे
बीते जमाने की फिल्म 'बलम परदेसिया' का गीत 'गोरकी पतरकी रे...' कौन भूल सकता है? इस गीत को स्वर दिया है आशा भोंसले व मो.रफी ने। अंजान के fलिखे इस गीत के भी चित्रगुप्त ने संगीत दिया है।
'हम गरीबन से भइल प्यार...'
रफी के कुछ गीत समय की गर्द के नीचं भी दब गए हैं। ऐसा ही एक गीत है-'हम गरीबन से भइल प्यार बलम कैसे कह...', तो भोजपुरी में है।
गंगा जमुना: नैन लड़ जइीें त मनवा मा कसक होइबे करी.
हिंदी फिल्म 'गंगा जमुना' का गाना 'नैन लड़ जइीें त मनवा मा कसक होइबे करी...' को रफी ने अपनी आवाज से संवारा है। शकील बदायूनी के लिखे इस गीत को संगीत कदयाहै नौशाद ने।
गोदान: पीपरा के पतवा सरीके डोले मनवा
हिंदी फिल्मों में रफी के भोजपुरी गानों की चर्चा हो तो फिल्म 'गोदान' के पीपरा के पतवा सरीके डोले मनवा...' का उल्लेख भना कैसे न होगा।
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