गोपालगंज व मुजफ्फरपुर की रैलियों में आक्रमकता के चरम पर दिखे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बाकायदा फेहरिश्त पढ़कर आरोप लगाया कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने पिछले 25 सालों के शासनकाल में चारा घोटाला के अलावा करीब ढाई दर्जन बड़े घोटाले किए। मोदी गोपालगंज और मुजफ्फरपुर में रैलियों को संबोधित करते हुए आक्रामकता के चरम पर दिखे।
पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बाकायदा फेहरिश्त पढ़कर आरोप लगाया कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने पिछले 25 सालों के शासनकाल में चारा घोटाला के अलावा करीब ढाई दर्जन बड़े घोटाले किए। मोदी ने दस्तावेज लहराते हुए कहा कि 24 अगस्त, 2005 को नीतीश कुमार ने लोकसभा में दलितों-पिछड़ों का पांच फीसद आरक्षण काटकर सांप्रदायिक आधार पर अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिए जाने की पैरवी की थी। पीएम ने नीतीश को इन सवालों के जवाब देने की चुनौती दी।
बिहार विधानसभा चुनाव में चौथे चरण के प्रचार के अंतिम दिन मोदी गोपालगंज और मुजफ्फरपुर में रैलियों को संबोधित करते हुए आक्रामकता के चरम पर दिखे। उन्होंने कहा कि लालू-नीतीश मेरी रैलियों में आ रही भारी भीड़ को पैसे से खरीदी गई भीड़ बताकर बिहारियों का अपमान कर रहे हैं। बिहार के लोग इस अपमान का बदला उन्हें चुनाव में धूल चटाकर लेंगे। उन्होंने कहा कि उनके 16 महीने के शासनकाल में भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा, जबकि इससे पहले रोज लाखों करोड़ रुपये के घोटाले सामने आ रहे थे।
आरक्षण पर : जब मैं विकास की बात कर रहा था तब वे आरक्षण-आरक्षण चिल्ला रहे थे। अब मैंने पोल खोल दी, तो बोलती बंद हैं। मेरे हाथ में (लहराते हुए) नीतीश बाबू के 24 अगस्त 2005 को लोकसभा में दिए गए भाषण की कॉपी है। हिम्मत है तो जवाब दें कि संसद में दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ोंं के कोटे से पांच-पांच प्रतिशत कटौती करके अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने की वकालत की थी या नहीं? नीतीश कुमार में हिम्मत है तो इसे झूठा साबित करके दिखाएं।
भ्रष्टाचार पर : मोदी के मुताबिक नीतीश ने कहा था कि भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जब्त करके स्कूल खुलवाएंगे। सबसे बड़ा भ्रष्टाचार तो चारा घोटाले के रूप में लालू ने किया। अदालत ने उन्हें जेल भी भेजा। मैं पूछता हूं कि क्या लालू की संपत्ति जब्त हुई? उनके घर में स्कूल खुला? कैमरे पर नीतीश के मंत्री घूस लेते पकड़े गए। लाखों रुपये घूस लेना अपराध है या नहीं? अभी आपकी ही सरकार है। क्या इन मंत्रियों के घरों में स्कूल खुले?
लालू-नीतीश सरकार के 25 साल के शासन में घोटालों की लंबी फेहरिश्त है। अलकतरा घोटाला, दवा खरीद घोटाला, ट्रांसफॉर्मर घोटाला, इंजीनियरिंग कॉलेज घोटाला, मस्टर रोल घोटाला, शराब घोटाला, सिपाही नियुक्ति घोटाला, इंदिरा आवास घोटाला, मनरेगा घोटाला, मिड-डे मील घोटाला, मेधा घोटाला, पथ निर्माण घोटाला, पुल निर्माण घोटाला, कंबल खरीद घोटाला, परिवहन घोटाला और स्टीमेट घोटाला। जिस चारा घोटाले में लालू को सजा हुई, उसका तो जिक्र ही नहीं कर रहा हूं। बड़े भाई और छोटे भाई ने 25 साल घोटाला छोड़कर कुछ और नहीं किया। अगर किया होता तो बिहार की आज यह स्थिति नहीं होती।
बिहारियों के अपमान पर : बकौल मोदी, चुनाव में हार-जीत होती रहती है, लेकिन 'महास्वार्थबंधन' के लोग आपा खो रहे हैं। गालियों पर उतर आए हैं। मोदी को गाली देते-देते थक गए तो अब बिहारियों को गाली देने लगे हैं। आरोप लगा रहे हैं कि मोदी की रैली में लोग पैसे लेकर आ रहे हैं। क्या बिहार के लोग बिकाऊ होते हैं? नीतीश कुमार को बिहारियों का यह अपमान महंगा पड़ जाएगा। लेने के देने पड़ जाएंगे। अब बिहार का मिजाज बदल गया है। लोग 25 सालों का हिसाब मांग रहे हैं, तो दोनों भाई बौखला रहे हैं।
लालू की जन्मभूमि में : गोपालगंज लालू की जन्मभूमि है, लेकिन यहां के लोगों को क्या मिला? जंगलराज में इसे मिनी चंबल कहा जाता था। यहां गोलियां चलती थीं। बिहार में सबसे ज्यादा पलायन गोपालगंज से ही हुआ। दुबई में लेबर कॉलोनी में यहां के सबसे ज्यादा लोग हैं। मैं पूछता हूं कि बिहारियों को मजदूरी करने के लिए मजबूर किसने किया? बिहारियों को बाहरी किसने बनाया?
लालू के परिवारवाद पर : लालू को अपने नेताओं पर भी भरोसा नहीं है। जेल गए तो बीवी को सत्ता सौंप गए। अब दोबारा जेल जाना है तो बेटों को तैयार कर रहे हैं। क्या ऐसे परिवार को सत्ता सौंपनी चाहिए? विकास ही बिहार को बर्बादी से बचा सकता है।
पुराने दिन लौटाने पर : नीतीश बाबू कहते हैं पुराने दिन लौटा दीजिए। दलितों पर जुल्म होता था, क्या वे पुराने दिन वापस चाहिए? दिनदहाड़े अपहरण की घटनाएं होती थीं, मां-बहनों की इज्जत लूटी जाती थी, क्या फिर वहीं जंगलराज के दिन चाहते हैं? बिहार के लोगों को वे पुराने दिन अब मंजूर नहीं हैं।
अपनी उपलब्धियों पर : आखिर सरकारें होती किस लिए हैं? मौज-मस्ती के लिए? भाई-भतीजावाद के लिए? अमीरों के लिए सरकार नहीं होती। अमीरों के घर बच्चों को पढ़ाने के टीचर लाइन लगाए रहते हैं। गरीबों के बच्चों को स्कूल चाहिए। अस्पताल चाहिए। गरीब अपने पैरों पर खड़ा हो सके, रोजगार शुरू कर सके, इसके लिए हमने मुद्रा बैंक योजना शुरू की, ताकि छोटे-छोटे काम धंधा करने वालों को साहूकारों के यहां अपनी संपत्ति गिरवी न रखनी पड़े।