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गिनीज बुक में दर्ज होना था इन मिथिला पेन्टर्स का नाम, पर लटक गई गिरफ्तारी की तलवार

गंदगी का पर्याय बन चुके मधुबनी रेलवे स्टेशन को मिथिला पेंटिंग कर जिन कलाकारों ने जीवंत कर दिया था और जिनका नाम गिनीज बुक में दर्ज होना था। अब उन कलाकारों को पुलिस तलाश रही है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 02:49 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 10:54 AM (IST)
गिनीज बुक में दर्ज होना था इन मिथिला पेन्टर्स का नाम, पर लटक गई गिरफ्तारी की तलवार
गिनीज बुक में दर्ज होना था इन मिथिला पेन्टर्स का नाम, पर लटक गई गिरफ्तारी की तलवार

जेएनएन, मधुबनी/दरभंगा। मधुबनी स्टेशन को मिथिला पेंटिंग से सजा कर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने का सपना देखने वाले कलाकारों को गिरफ्तार करने के लिए रेल पुलिस छापेमारी कर रही। कलाकारों के खिलाफ रेल कोर्ट से वारंट निर्गत है। आरपीएफ लगातार कार्रवाई में जुटी है। वारंट निर्गत होने की बात तेजी से फैली है। कार्रवाई से कलाकार भी हतप्रभ हैं।

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जिन कलाकारों को रेलवे की ओर से इनाम मिलना चाहिए उसे रेल पुलिस गिरफ्तार करने के लिए तलाश रही है, यह किसी को यकीन नहीं हो रहा है। इधर, दरभंगा आरपीएफ इंस्पेक्टर विनोद कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि चार नामजद सहित 60 अज्ञात पर वारंट निर्गत है। लेकिन, जो नामजद हैं वे कलाकार नहीं है। वे बाहरी लोग हैं।

जानकारी के अनुसार, मिथिला पेंटिंग के दर्जनों कलाकारों ने श्रमदान से रात-दिन मेहनत कर देश के सबसे गंदे स्टेशन को पेंटिंग की बदौलत गिनीज बुक के करीब तक कामयाबी को पहुंचाया। मधुबनी रेलवे स्टेशन को देश भर के सुंदर स्टेशनों की सूची में दूसरा पुरस्कार मिला। इसमें पांच लाख रुपये का पुरस्कार भी था। लेकिन, कलाकारों को कोई राशि नहीं दी गई।

मात्र पांच कलाकारों को दिल्ली बुलाकर रेल मंत्री के हाथों सम्मानित कराया गया। इसके बाद कलाकारों में आक्रोश पनपा। सभी कलाकारों को सम्मानित करने की मांग उठी। 21 जुलाई 2018 को कलाकारों ने दिल्ली जाने वाले स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन को 14.41 से 16.10 बजे तक रोके रखा।

मामले को लेकर स्टेशन अधीक्षक के बयान पर आरपीएफ में कांड संख्या 373/18 दर्ज किया गया। जबकि कलाकारों का कहना है कि आंदोलन की सूचना विधिवत पूरे महकमा दी गई थी। 

बावजूद मोटीवेटर राकेश झा, सोनू निशांत, विकास पासवान सहित चार कलाकारों को नामजद कर पांच दर्जन अज्ञात लोगों को आरोपित बना दिया गया। इन लोगों का कहना था कि हमने बस यही मांग की थी कि पुरस्कृत करने में भेदभाव अपनाया गया और कलाकारों को उचित सम्मान नहीं दिया।

इसकी जांच एक कमेटी बनाकर कर लें। लेकिन, उलटा मुकदमा ही कर दिया गया और अब जेल भेजने की तैयारी है। इधर, समस्तीपुर रेल मंडल के सुरक्षा आयुक्त अंशुमान त्रिपाठी ने कहा कि मामला छह माह पुराना है। एक सप्ताह पूर्व चार कलाकारों के विरुद्ध रेलवे कोर्ट ने वारंट निर्गत किया था। 


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