Move to Jagran APP

मिलों को सुविधाएं और किसानों को दिलाएंगे कीमत : गन्ना उद्योग मंत्री

नीतीश मंत्रिमंडल में खुर्शीद उर्फ फिरोज आलम को पहली बार शामिल किया गया है। उन्हें गन्ना उद्योग विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गन्ना किसानों को समय पर उचित मूल्य दिलाने के साथ-साथ उन्हें बिचौलियों से छुटकारा दिलाना उनकी प्राथमिकता है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2015 12:55 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2015 01:05 PM (IST)
मिलों को सुविधाएं और किसानों को दिलाएंगे कीमत : गन्ना उद्योग मंत्री

पटना [एसए शाद]। नीतीश मंत्रिमंडल में खुर्शीद उर्फ फिरोज आलम को पहली बार शामिल किया गया है। उन्हें गन्ना उद्योग विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दूसरी बार विधायक बने खुर्शीद अहमद 2006 में पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से पटना और 2012 में मैनाटांड़ से पटना तक की पदयात्रा कर चुके हैं।

loksabha election banner

उन्हें जनता के बीच रहना अधिक पसंद है और फोन काल भी खुद ही अटेंड करते हैं। उनके मुताबिक, पश्चिम चंपारण गन्ना किसानों का 'नैहर' है और वहां के निवासी होने के कारण गन्ना किसानों की हर समस्या से अवगत हैं।

मुख्यमंत्री ने उन्हें कुछ सोच कर ही यह विभाग सौंपा है। गन्ना किसानों को समय पर उचित मूल्य दिलाने के साथ-साथ उन्हें बिचौलियों से छुटकारा दिलाना उनकी प्राथमिकता है। बंद चीनी मिलों को चालू कराने की दिशा में वह नए सिरे से प्रयास करेंगे। पेश है उनकी विशेष बातचीत के प्रमुख अंश...

प्रश्न : प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या प्रयास होंगे?

उत्तर : मार्केट में चीनी का उचित दाम नहीं मिल रहा, यह चीनी मिलों की एक समस्या है। हम गन्ना किसानों और चीनी मिलों के बीच की कड़ी है। हमारा चीनी मिलों को बेहतर सुविधाएं देना हमारा प्रयास होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों का ही नतीजा है कि प्रदेश में चीनी मिलें चल रही हैं।

राज्य सरकार ने चीनी मिल मालिकों को ब्याज मुक्त 203 करोड़ के ऋण उपलब्ध कराए हैं, ताकि वे समय पर गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान कर सकें। गन्ना किसानों को गन्ने का भुगतान 14 दिनों के अंदर हो जाना है। हम इस व्यवस्था को सख्ती से लागू कराएंगे। बेहतर नतीजे के लिए हम गन्ना किसानों और चीनी मिलों के बीच बेहतर समन्वय बनाने का प्रयास करेंगे।

प्रश्न : बंद चीनी मिलों के लिए सरकार क्या सोच रही है?

उत्तर : कई बंद चीनी मिलों को निजी हाथों को सौंप कर उन्हें चालू कराया गया है। कुछ और बंद हैं जिसके लिए निविदा निकाली जा रही है। समस्या यह है कि इनके लिए कोई बिड नहीं आ रहा।

मोतीपुर चीनी मिल के लिए अबतक चार बार निविदा निकाली जा चुकी है। हम नए सिरे से प्रयास करेंगे ताकि इन बंद चीनी मिलों को भी दोबारा उत्पादन में लाया जा सके।

प्रश्न : चीनी मिलों से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?

उत्तर : कई चीनी मिल बिजली का उत्पादन भी कर रहीं हैं। साथ ही इनमें छोआ का भी उत्पादन होता है। हरिनगर, नरकटियागंज, सिद्धवालिया एवं हसनपुर चीनी मिलें इनमें शामिल हैं।

इन मिलों में जैविक खाद भी बन रहे। जैविक खाद के 50 किलोग्राम के एक बैग 120 रुपये में बेचे जाते हैं। चीनी मिलों में हो रहे इन अतिरिक्त उत्पादनों का लाभ भी राज्य सरकार को अतिरिक्त राजस्व के रूप में होना चाहिए।

प्रश्न : चीनी का रिकवरी प्रतिशत बढ़ाने के लिए क्या उपाय होंगे?

उत्तर : चीनी मिल आधुनिकीकरण की दिशा में पहले ही पहल कर चुके हैं। यह आवश्यक है कि गन्ना किसानों को अच्छे किस्म के बीज उपलब्ध कराए जाएं। विभाग द्वारा इसके लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

पुरानी किस्मों की जगह नई विकसित की गई किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। गन्ना किसानों को प्रोत्साहन के लिए 5 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनुदान भी दिए जा रहे हैं।

2014-15 में 554 करोड़ रुपये के अनुदान दिए गए थे। हमारी कोशिश बिचौलियों से किसानों को बचाने की है। अनुदान की राशि हम सीधे गन्ना किसानों के खाते में डालेंगे। बिचौलियों से छुटकारा पाकर ही किसान अपनी आर्थिक स्थिति दुरूस्त कर सकेंगे और आधुनिक ढंग से खेती कर पाएंगे। बिचौलियों को किसानों की राशि का हम बंदरबांट नहीं करने देंगे।

प्रश्न : किसान गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

उत्तर : जल्द ही न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया जाएगा, हालांकि इस तय करना विभाग की जिम्मेदारी नहीं है लेकिन कोशिश होगी कि गन्ना किसानों को उचित मूल्य मिले। पिछले सीजन में निम्न कोटि के गन्ना के लिए 245 रुपये, सामान्य कोटि के लिए 255 रुपये और उच्च कोटि के लिए 265 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किए गए थे, जबकि केंद्र सरकार ने 230 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था।

प्रश्न : गन्ना उद्योग की विभिन्न योजनाओं के लिए राशि की उपलब्धता की स्थिति कैसी है?

उत्तर : राशि कोई समस्या नहीं है। गन्ना किसानों के लिए चलने वाली कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर ढंग से चलाया जाएगा। अनुपूरक बजट में विभाग को 55.63 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.