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मिथिला की लोक संस्कृति से गुलजार हुआ मिलर स्कूल

जय-जय भैरवि असुर भयाउनि पशुपति भामिनी माया

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 01:16 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 06:28 AM (IST)
मिथिला की लोक संस्कृति से गुलजार हुआ मिलर स्कूल

पटना। जय-जय भैरवि असुर भयाउनि पशुपति भामिनी माया, मीता रे सीता के नैहर देखैले मिथिला आबिहें जरूर .. आदि एक से बढ़कर एक विद्यापति एवं मिथिला लोक गीतों की प्रस्तुति से पूरा सभागार गूंज रहा था। सोमवार को मिलर हाई स्कूल में कुछ ऐसा ही नजारा चेतना समिति की ओर से आयोजित विद्यापति स्मृति पर्व के मौके पर देखने को मिला। हाई स्कूल का परिसर मिथिला लोक संस्कृति से सराबोर था। तीन दिवसीय विद्यापति स्मृति पर्व के दूसरे दिन जहां एक ओर मिथिला लोक गीत व नृत्य की प्रस्तुति देखने को मिली, वही दूसरी तरफ मिथिला का खान-पान, साहित्य और लोक कला भी साकार हुई। पर्व के दूसरे दिन कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, सूचना एवं जन संपर्क विभाग मंत्री नीरज कुमार, पीएचडी मंत्री विनोद नारायण झा, एमएलसी विजय कुमार मिश्र, चेतना समिति के अध्यक्ष विवेकानंद झा एवं सचिव उमेश मिश्र ने किया।

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25 साल बाद मिलर हाई स्कूल में विद्यापति पर्व -

समारोह के दौरान बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 25 सालों बाद मिलर हाई स्कूल में विद्यापति पर्व मनाया जा रहा है। उन्होंने अगले वर्ष गांधी मैदान में पर्व के आयोजन पर बल दिया। इमरजेंसी के दौरान आपबीती बताते हुए कहा कि उस दौरान उन्हें दरभंगा जेल में छह माह के लिए बंद कर दिया गया था। जहां पर मिथिला की लोक संस्कृति से रूबरू होने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से विद्यापति भवन के जीर्णोद्धार के लिए डेढ़ करोड़ रुपये दिए गए। अगले वर्ष विद्यापति राजकीय समारोह का आयोजन विद्यापति भवन में करने की बात कही। मिथिला की धरती पर मिथिला चित्रकला प्रशिक्षण संस्थान की नींव रखी गई है। इसके लिए 27 करोड़ रुपये की लागत से प्रशिक्षण संस्थान बन रहा है। जहां पर छह मास के लिए सर्टिफिकेट कोर्स और डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई होगी। छह माह कोर्स करने वाले प्रतिभागी को सरकार की ओर से प्रतिमाह एक हजार रुपये एवं डिप्लोमा कोर्स करने वाले प्रतिभागी को 1500 रुपये प्रतिमाह मिलेगा। वही मिथिला की धरती पर मिथिला ललित कला संस्थान एवं संग्रहालय के निर्माण के लिए सरकार 41 करोड़ रुपये खर्च की है। दरभंगा में बन रहे एयरपोर्ट से दिल्ली, बंगलोर एवं मुंबई के लिए हवाई सेवा जल्द आरंभ हो जाएगी।

विद्यापति भवन का मिथिला की धरती पर हो रहा निर्माण -

विद्यापति पर्व के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि मिथिला की धरती मां सीता, विद्यापति की धरती है। यहां का मिठास पूरे विश्व में फैली है। उन्होंने कहा कि मिथिला की धरती पर रेल मंत्रालय की जमीन पर सांसद निधि से 'विद्यापति भवन' का निर्माण हो रहा है। वही बिहार का पहला रेलवे स्टेशन 'विद्यापति धाम' पूरे देश के आदर्श स्टेशन में से एक है। अयोध्या में रामलला मंदिर के निर्माण पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मिथिला का मान रखा है। मिथिला के विकास में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का भी योगदान रहा। उन्होंने भी वर्ष 2003 में मिथिला भाषा को अष्टम सूची में नाम दर्ज कराकर मिथिला का मान बढ़ाया। मिथिला की लोक संस्कृति हमेशा बनी रहे, इसके लिए सभी का योगदान जरूरी है।

महाकवि विद्यापति पर लघु फिल्म के निर्माण में सरकार करेगी मदद -

सूचना जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि सरकार की ओर से विद्यापति स्मृति पर्व का आयोजन वर्ष 2012 में किया गया था। वही विद्यापति के जीवन पर आधारित डाक्यूमेंट्री का निर्माण में सरकार की ओर से हर संभव प्रयास होगा। मंत्री ने चेतना समिति द्वारा प्रकाशित स्मारिका के बारे में कहा कि अगले वित्तीय वर्ष में पत्रिका को सूचना जनसंपर्क विभाग की ओर से सुविधा मिलेगी। साथ ही मिथिला की मिट्टी से जुड़े रंगमंच के कलाकारों को सूचीबद्ध करने की बात उन्होंने कही।

पत्रिका में मिले मिथिला के पूर्वजों का भी स्थान -

एमएलसी विजय कुमार मिश्र ने कहा कि चेतना समिति की ओर से पत्रिका का प्रकाशन होता है। ऐसे में मिथिला के पूर्वजों जिन्होंने साहित्य, राजनीति, रंगमंच आदि में उल्लेखनीय कार्य किया हो उनके व्यक्तित्व को तस्वीर के साथ पत्रिका में स्थान दें। पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि समिति की ओर से 65 साल से विद्यापति स्मृति पर्व मना रही है। उन्होंने कहा कि महाकवि विद्यापति पर वर्ष 1937 में बांग्ला फिल्म बनी थी, जिसमें अभिनेता पृथ्वी राज कपूर ने अभिनय किया था। यह फिल्म कोलकाता के सिनेमाघरों में खूब चली थी।

गीत संगीत से गुलजार हुआ परिसर -

विद्यापति पर्व के मौके पर कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से चार-चांद लगा दी। समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए उभरती गायिका मैथिली ठाकुर ने विद्यापति एवं लोक गीतों की प्रस्तुति दी। ठाकुर ने 'शिव हो उतरब पार कऔने विधि ना' 'उगना रे मोर कतेय गेला' गीतों को पेश कर चार -चांद लगा दिया। गीतों को जीवंत बनाने में संगत कलाकारों में नाल पर अर्जुन चौधरी, तबला पर संजय ठाकुर, बांसुरी पर सरफुद्दीन ने उम्दा प्रस्तुति दी। ठाकुर ने कहा कि कुछ समय बाद वो पंकज उदास के साथ एक एलबम गीतों पर अपना सहयोग देंगी। वही समारोह के दौरान सुरेंद्र नारायण यादव ने 'मीता रे सीता के नैहर देखैले' गीतों को पेश किया। जाह्नवी, शांभवी प्रिया, रीमा कुमारी, वंशिका राज ने गोसाउनिक गीत को पेश किया। समारोह का धन्यवाद ज्ञापन प्रेमलता मिश्र 'प्रेम' ने किया।

इन्हें किया गया सम्मानित -

डॉ. गणपति मिश्र साहित्य सम्मान - डॉ. शिवशंकर श्री निवास

भाग्य नारायण झा पत्रकारिता सम्मान - प्रशांत कांत

पुरातत्व वैज्ञानिक डॉ. विजय कांत मिश्र सम्मान - प्रो. अयोध्या नाथ झा

ज्योत्सना सम्मान - डॉ. विभा कुमारी


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