फर्जी एफआइआर दिखा डेनमार्क की दवा कंपनी से ठग लिए 800 डॉलर
- ब्रांड प्रोटेक्शन कंपनी की आड़ में डेनमार्क की दवा कंपनी से ठगी का मामले सामने आया है। - अगमकुआं थाने
- ब्रांड प्रोटेक्शन कंपनी की आड़ में डेनमार्क की दवा कंपनी से की ठगी
- अगमकुआं थाने में पहले से दर्ज कांड संख्या 387/18 जो चोरी से संबंधित था की नकल कर उसी नंबर से दूसरा एफआइआर बनाकर कंपनी से ठग लिए 800 डॉलर
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जागरण संवाददाता, पटना : फर्जी एफआइआर द्वारा डेनमार्क की एक दवा कंपनी से ब्रांड प्रोटेक्शन कंपनी की आड़ में 800 डॉलर ठगी करने का मामला सामने आया है। फर्जीवाड़े की जानकारी मिलते ही मुंबई और दिल्ली स्थित कार्यालय के कंपनी के अधिकारी ने अपने वकील अभय पांडेय के साथ सोमवार को पटना एसएसपी मनु महाराज से मिलकर घटना की जानकारी दी। इसके बाद एसएसपी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ब्राड प्रोटेक्शन कंपनी के एमडी को गिरफ्तार करने के आदेश दिए। दरअसल इस पूरे घटना का मास्टर माइंड ब्रांड प्रोटेक्शन कंपनी की आड़ में गोरखधंधा करने वाला मुस्तफा हुसैन है। पटना और फुलवारी शरीफ इलाके में उसका ठिकाना है। दिल्ली में भी उसने अपना दफ्तर खोल रखा है। ठगी के शिकार हुए दवा कंपनी के अधिकारी और वकील ने एसएसपी को बताया कि मुस्तफा ने उसके कंपनी के ईमेल पर जुलाई महीने में एक संदेश भेजा था। जिसमें उसने लिखा था कि उनकी कंपनी के नाम पर डुप्लीकेट दवा का निर्माण राजधानी के पटना सिटी इलाके में किया जा रहा है। जिससे कंपनी को काफी नुकसान हो रहा है। कंपनी द्वारा सबूत मांगे जाने पर कुछ दिनों बाद उसने उनकी कंपनी द्वारा बनी दवा का एक सैंपल डेनमार्क भेजा था। लैब में जब सैंपल की जांच की गई तो वह नकली निकला। इसके बाद फिर इसने दवा कंपनी के अधिकारियों से ईमेल से संपर्क कर डुप्लीकेट दवा बनाने वाली फैक्ट्री पर पुलिस की रेड कराने के एवज में 800 सौ डॉलर की मांग की। इसके बाद कंपनी ने मुस्तफा के बैंक खाते में आठ सौ डॉलर डाल दिए। उसी दिन इसने पैसे निकाल लिए। दवा कंपनी द्वारा इससे पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआइआर और रेड से संबंधित कागजातों की मांग की तो इसने ईमेल से एफआइआर की कॉपी और एक फैक्ट्रीनुमा जगह की तस्वीर जहां पुलिस भी मौजूद थी भेज दी। एफआइआर पटना सिटी के अगमकुआं थाने में दर्ज की गई थी। जिसका कांड संख्या 387/18 दिनांक 4.7.18 था। फिर इसने कुछ दिन बाद पुलिस द्वारा चार्जसिट कराने के एवज में कंपनी से 200 डॉलर की मांग की। इसी बीच कंपनी के भारत में मौजूद अधिकारी इस पूरे मामले की तहकीकात करने में लगे थे। नेट से जब अगमकुआं थाने का नंबर लेकर उससे उपरोक्त कांड के बारे में जानकारी ली गई तो मामला फर्जी निकला। थाने की पुलिस द्वारा बताया गया कि उनके प्राथमिकी पर जो कांड संख्या अंकित है वह चोरी से संबंधित है। वह भी कोर्ट के आदेश पर थाने में जून महीने की पहली तारीख को दर्ज किया गया था। जबकि उनके एफआइआर पर 4 जुलाई की तारीख लिखी हुई है। पूरा मामला फर्जी पाये जाने पर सोमवार को कंपनी के अधिकारी और वकील पटना पहुंचकर अगमकुआं थाने गए। वहां पता चला कि उसके द्वारा एफआईआर पर लगे थाने के मोहर और थानाध्यक्ष के हस्ताक्षर भी फर्जी थे। इसके बाद वे लोग एसएसपी मनु महाराज से मिलकर पूरी घटना की जानकारी दी। एसएसपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इस पूरे खेल का मास्टर माइंड मुस्तफा हुसैन को गिरफ्तार करने के आदेश दिए। पुलिस की टीम उसे दबोचने के लिए छापेमारी कर रही है।