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अगर पटना को बनाना है औद्योगिक हब तो सुचारू हो परिवहन

पटना में आज भी बहुत बड़े उद्योग नहीं हैं लेकिन स्टील और प्लास्टिक क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़े हैं।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 06:00 AM (IST)
अगर पटना को बनाना है औद्योगिक हब तो सुचारू हो परिवहन

पटना में गिनती के ऐसे उद्योग हैं, जिसकी हम चर्चा कर सकते हैं। करीब 60 साल पहले पाटलिपुत्र इंडस्ट्रियल एरिया पटना को मिला जरूर, लेकिन यहां के भी चुनिंदा उद्योग ही चर्चा में आए। हालांकि, करीब पंद्रह वर्षों से इस दिशा में लगातार सुधार हुआ है। नए उद्योग लगे। चेहरा बदला। अगर परिवहन को सुचारू बना दिया जाए तो ये बढ़ते उद्योग पटना को औद्योगिक हब बना देने की क्षमता रखते हैं।

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बिजली में सुधार के बाद बढ़े उद्योग
बिहार में बिजली की स्थिति दयनीय थी। अन्य जिलों की अपेक्षा पटना की स्थिति कुछ ठीक थी लेकिन उद्योगों के अनुकूल इसे नहीं कहा जा सकता था। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रामलाल खेतान कहते हैं-करीब 15 साल पूर्व बिजली में सुधार शुरू हुआ। साथ ही उद्योग जगत भी सक्रिय हुआ। इसके पहले उद्योगों को जेनरेटर से चलाया जाता था।

स्टील-प्लास्टिक क्षेत्र में बढ़े कदम
पटना में आज भी बहुत बड़े उद्योग नहीं हैं लेकिन स्टील और प्लास्टिक क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़े हैं। स्टील रोलिंग मिलें लगी हैं। कई प्लास्टिक इंडस्ट्रीज भी आईं हैं। प्लास्टिक पाइप, फर्नीचर, प्लास्टिक गुड्स पटना जिले में बनने शुरू हुए हैं। उद्यमी मनीष तिवारी कहते हैं-दोनों नये क्षेत्र हैं लेकिन यहां कामयाबी दिखाई दे रही है।

फूड प्रॉसेसिंग में अच्छे संकेत
पटना में माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंडस्ट्रीज की बहुलता है। माइक्रो और स्मॉल श्रेणी में फूड प्रॉसेस की संख्या सबसे ज्यादा है। पटना सिटी में राइस मिल, पटना के आसपास के इलाकों में फ्लावर मिल की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। नमकीन, भजिया जैसे उत्पादों का उत्पाद भी गतिशील है। बिहार महिला उद्योग संघ की अध्यक्ष उषा झा कहती हैं, पटना में तैयार नमकीन ब्रांडेड हो चुके हैं।

टेक्सटाइल उद्योग भी पटरी पर
पटना में गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज भी एक दशक में तेजी से आगे बढ़ा है। शर्ट, ट्राउजर, बच्चों के कपड़े , सलवार-कुर्ती सहित कई तरह के कपड़े तैयार हो रहे हैं। व्यवसाय बढ़ रहा है। बिहार टेक्सटाइल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महामंत्री रंजीत सिंह ने कहा कि पटना में कपड़े की करीब छोटी-बड़ी 150 यूनिटें हैं। संतोषजनक कारोबार हो रहा है।

थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है
कारोबारियों का कहना है कि बिजली मिल रही है। पटना में विभिन्न तरह के उत्पादों का उत्पादन भी हो रहा है। मुश्किल यह कि पटना से इन उत्पादों को बाहर भेजने और रॉ मटेरियल मंगाने में परेशानी अब भी बनी हुई है। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एकेपी सिन्हा कहते हैं- लिंक रोड ठीक है। स्टेट हाईवे भी ठीक है, लेकिन ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर को छोड़ दें तो अन्य एनएच की स्थिति ठीक नहीं है। इससे उत्पादों की ढुलाई में परेशानी आ रही है। गांधी सेतु को भी दुरुस्त करने की जरूरत है।

हाजीपुर-छपरा के बीच में चचरी पुल क्षतिग्रस्‍त है। इससे छपरा माल भेजने में दो से तीन दिन लग जा रहा है। दीघा ब्रिज बना है लेकिन इसके उत्तर में सड़कें ठीक नहीं हैं। लिंक रोड का अस्थायी निर्माण कामचलाऊ है। अगर रेल से माल ढुलाई की बात करें तो स्थिति और खराब है।

उत्तर बिहार के दो डिवीजन के लिए 1000 से ज्यादा रेक अभी भी नहीं मिली है। इससे नॉर्थ बिहार के कंस्ट्रक्शन का काम बाधित है। बीआइए (बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन) से जुड़े उद्यमी सुजय सौरव कहते हैं-माल ढुलाई में अधिक समय लगने से खर्च बढ़ जाता है जिससे उद्योगों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

उद्यमियों का कहना है कि अगर पटना और इसके आसपास के इलाकों तक रॉ मटेरियल लाने और उत्पादन को बाहर भेजने की समुचित व्यवस्था हो तो पटना औद्योगिक हब के रूप में विकसित हो सकता है।

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