पटना को लगाई आदत हेलमेट पहनने की तो लड़कियों को सिखाई आत्मरक्षा
शालिन ने शहर में बिना हेलमेट बाइक-स्कूटी, लहरिया कट और ट्रिपलिंग करने वालों के खिलाफ अभियान चलाया। अभियान की मॉनीटरिंग खुद की।
2001 बैच के बिहार कैडर के आइपीएस अधिकारी शालिन की पहचान उनके काम से होती है। पटना में सड़क सुरक्षा से लेकर अपराधियों पर लगाम लगाने तक उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जिसे आज भी याद किया जाता है। पंजाब के गुरदासपुर जिले के मूल निवासी शालिन ने आईआईटी रुड़की से केमिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की है। वर्ष 2008 से 2014 तक प्रधानमंत्री के सुरक्षा दस्ते एसपीजी में रहे। बिहार आने के बाद गया के डीआईजी बने। साल 2015 में पटना सेंट्रल रेंज के डीआईजी की कमान संभाली।
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पांच दिसंबर 2015 की सुबह शालिन नालंदा के लिए निकले थे। इस बीच रास्ते में टोल प्लाजा के पास सड़क किनारे दो घायल स्कूली छात्रों पर उनकी नजर पड़ी। दोनों के सिर से खून निकल रहा था। दोनों को गाड़ी में सवार कर उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के दौरान एक छात्र की मौत हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि अगर छात्र हेलमेट में होता तो शायद जान बच जाती।
अगले ही दिन उन्होंने एसएसपी, एसपी और ट्रैफिक एसपी के साथ मीटिंग की और शहर में बिना हेलमेट बाइक-स्कूटी, लहरिया कट और ट्रिपलिंग करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई का निर्देश दिया। अभियान की मॉनीटरिंग खुद की। जमकर चालान काटा। लापरवाह 80 पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी तो 50 से अधिक को पुरस्कार मिला। लोगों में यह मैसेज जा चुका था कि इसमें किसी की पैरवी नहीं चलने वाली, क्योंकि 100 से अधिक पुलिसकर्मियों का भी चालान कट चुका था। अभियान सफल रहा। दोपहिया वाहन पर बैठने वाले दोनों लोग हेलमेट पहनने लगे।
जालसाज बिल्डर से भू-माफिया तक नकेल
हेलमेट अभियान सफल हुआ कि उनकी नजर ऐसे बिल्डर और भू-माफिया पर पड़ी जिनके खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज थी, लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी। हरेक थाने में दर्ज बिल्डरों और भू-माफियाओं की लिस्ट मांगी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आधा दर्जन बिल्डरों को जेल भेज दिया।
बिल्डर से लेकर भू-माफिया में हड़कंप मच गया। बिल्डर गिरफ्तारी की डर से घर पहुंचकर पीड़ित को पैसा वापस करने लगे। मामले में एक ही दिन में एक दर्जन थानेदार सस्पेंड किए गए थे, जो बिल्डरों पर शिकंजा कसने में नाकाम रहे। शालिन की मानें तो साक्ष्य मिलने पर दोषी पर सीधी कार्रवाई करनी चाहिए। दोषियों में डर भी पैदा होता है और लोगों में अच्छा संदेश भी जाता है।
आत्मरक्षा के गुर से लेकर आत्मविश्वास बढ़ाने की बात
घटना तीन अगस्त 2016 की है। बख्तियापुर में सुबह साढ़े छह बजे स्कूल जा रही छात्रा से छेड़खानी हो जाती है। लड़कियों ने डर से स्कूल जाना बंद कर दिया। खबर डीआईजी तक पहुंची। फिर वह खुद बख्तियारपुर सरकारी स्कूल में पहुंचे। वहां मौजूद छात्राओं से सीधे बात की।
शिकायत मिली कि पुलिस छेड़खानी की शिकायत पर कार्रवाई नहीं करती। तब उन्होंने वहां छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर से लेकर उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हुए अपना मोबाइल नंबर दिया। शाम को ऑफिस पहुंचे और एसएसपी, एसपी के साथ बैठक कर निर्देश दिया कि छात्राएं अगर छेड़खानी की शिकायत कर रही हैं तो उसे गंभीरता से लिया जाए और उनका नाम गुप्त रखकर तुंरत कार्रवाई की जाए।
इसके साथ ही वह हर सप्ताह एक सरकारी स्कूल और कोचिंग में पहुंचकर छात्राओं से सीधे रूबरू होते थे। उनकी शिकायत सुनते थे और इलाके में गश्ती बढ़ाने के साथ असमाजिक तत्वों पर कार्रवाई का निर्देश देते। इस दौरान तीन सौ से अधिक लोगों पर कार्रवाई हुई और फुटेज में छेड़खानी करते मिले 50 से अधिक लोग जेल भेजे गए।
महिलाओं की सुरक्षा को दें प्राथमिकता, बने अभिभावक
फिलहाल एनएसजी में डीआइजी शालिन की मानें तो आज सबसे बड़ी समस्या महिलाओं की सुरक्षा को लेकर है। अधिकांश लड़कियां और महिलाएं बदनामी के डर से थाने में नहीं जातीं तो कहीं शिकायत मिलने के बाद पुलिस उसे हल्के में लेती है। ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। बहू-बेटियों के साथ बदतमीजी और छेड़खानी करने वालों में कानून का भय पैदा करें।
फब्तियां या कहीं भी छेड़खानी की बात आए तो पुलिस को छात्राओं से लिखित शिकायत लेनी चाहिए और उनमें यह विश्वास बनाए रखें की उनकी पहचान गोपनीय रखकर पुलिस कार्रवाई करेगी। बेटियों के सामने अभिभावक की तरफ पेश आना चाहिए। संसाधन और मैन पॉवर की कमी को दरकिनार कर पुलिस अपने विवेक से काम करे तो अधिकांश पीड़ितों को इंसाफ मिलेगा। सिर्फ ईमानदार ही नहीं उसके साथ सख्त होना भी जरूरी है।
शालिन, डीआईजी, एनएसजी
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