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Bihar: विवि की लेटलतीफी से बीपीएससी में चयनित नहीं हो पाए कई युवा, आयोग ने कहा- उन्हें मौका दिया था

डिग्री समय से जमा नहीं होने पर चयन से वंचित अभ्यर्थियों की बीपीएससी से गुहार 64वीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा के अंतिम परिणाम में चयन से किए गए हैं वंचित विश्वविद्यालय की ओर से समय से जारी नहीं किया गया स्नातक का प्रमाणपत्र

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 10:54 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 10:54 AM (IST)
Bihar: विवि की लेटलतीफी से बीपीएससी में चयनित नहीं हो पाए कई युवा, आयोग ने कहा- उन्हें मौका दिया था
बिहार लोक सेवा आयोग से लगाई गुहार। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। स्नातक की डिग्री का प्रमाणपत्र परिणाम से पहले जमा नहीं करने के कारण बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 64वीं परीक्षा के अंतिम परिणाम में कुछ अभ्यर्थियों की उम्मीदवारी रद कर दी गई। इस कारण प्रभावित हुए तीन अभ्यर्थी रौशन कुमार, अर्पणा कुमारी एवं निकिता सिन्हा ने आयोग से गुहार लगाकर कहा है कि वे स्नातक की डिग्री का प्रमाणपत्र साक्षात्कार के समय डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान जमा नहीं कर सके थे। उस समय तक उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से मूल प्रमाणपत्र नहीं उपलब्ध कराया गया था।

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विश्वविद्यलाय ने मूल प्रमाणपत्र की जगह टेस्टिमोनियम सर्टिफिकेट दिया। इसके आधार पर उनका साक्षात्कार लिया गया। लेकिन, परिणाम से पूर्व प्रमाणपत्र जमा नहीं होने के कारण उम्मीदवारी रद कर दी गई। अभ्यर्थियों ने आयोग से गुहार लगाई है कि विश्वविद्यालय की गलती की सजा उन्हें नहीं दी जाए।  निकिता सिन्हा ने वर्ष 2013 में मगध विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद 2018 में मूल प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया। विश्वविद्यालय से समय से जारी नहीं होने के कारण वह प्रमाणपत्र जमा नहीं कर सकी।

अपर्णा कुमारी ने वर्ष 2017 में स्नातक करने के बाद सात अगस्त 2020 को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में मूल प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया। विश्वविद्यालय से प्रमाणपत्र समय से नहीं जारी होने के कारण इसे सत्यापन के समय प्रस्तुत नहीं किया जा सका। वहीं रौशन कुमार ने तिलकामांझी विवि भागलपुर से वर्ष 2015 में स्नातक किया। दिसंबर 2020 में स्नातक के मूल प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया। लेकिन समय पर प्रमाणपत्र नहीं मिला। इसके कारण बीपीएससी ने उसकी भी उम्मीदवारी रद कर दी।

इस संबंध में आयोग के सचिव केशव रंजन ने बताया कि आयोग ने अपने मूल विज्ञापन में भी स्पष्ट कर रखा है कि उन्हें सभी प्रमाणपत्र फार्म के साथ चाहिए। इसके बाद भी अभ्यर्थियों के पास तीन वर्ष का समय था। साक्षात्कार तक भी प्रमाणपत्र जमा होने पर आयोग विचार करता। प्रमाणपत्र नहीं रहने के कारण आयोग के नियमानुसार इनकी उम्मीदवारी रद की गई है। 


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