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बोले मनोज मुंतशिर- शेर-ओ-शायरी को भी अब फिल्मों में छिपकर लगानी पड़ती है आवाज Patna News

तेरी गलियां गीत फेम मनोज मुंतशिर का मानना है कि यंग जेनरेशन पोएट्री की ओर रुझान दिखा रही है। शेर-ओ-शायरी का दौर लौट रहा है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 08:53 AM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 08:53 AM (IST)
बोले मनोज मुंतशिर- शेर-ओ-शायरी को भी अब फिल्मों में छिपकर लगानी पड़ती है आवाज Patna News
बोले मनोज मुंतशिर- शेर-ओ-शायरी को भी अब फिल्मों में छिपकर लगानी पड़ती है आवाज Patna News

श्रवण कुमार, पटना। फिल्म एक विलेन के चर्चित गाने तेरी गलियां.. और मेरे रश्के कमर तूने पहली नजर..से आइफा के विजेता बने वर्तमान दौर के मशहूर गीतकार मनोज मुंतशिर ने मानते हैं कि शेर-ओ-शायरी का दौर लौट रहा है। वे कहते हैं कि आज फिल्मी गीतों में शायरी या पोएट्री ऐसे डालनी होती है कि पोएट्री का पता भी न चले और पोएट्री हो भी जाए। ये सही है कि चुनौतियां पहले भी थीं, पर आज हमारे सामने ज्यादा मुश्किल है। एक तरह से शेर ओ शायरी को भी अब छिपकर फिल्मों में आवाज लगानी होती है।

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उम्दा शायरी से गाने हो जाते थे लोकप्रिय

दैनिक जागरण से खास बातचीत में मुंतशिर ने कहा कि पहले जब शैलेंद्र, साहिर लुधियानवी, शकील वदायनी जैसे गीतकारों का दौर था, शायरी की बड़ी इज्जत थी और शायरी करने-सुनने वाले बहुत लोग थे। तब फिल्मी गीतों में शायरी डालना मुश्किल नहीं था। लोकप्रिय भी हो जाते थे वे गाने, जिसमें उम्दा शायरी डाली जाती थी।

सब्र की जीच है कविता

मुंतशिर ने कहा कि आज हम ऐसे दौर में खड़े हैं जब फिल्मों में शायरी या पोएट्री को लोग सुनना पसंद ही नहीं करते। तो ऐसे में पर्दे तक शायरी का पहुंचना ही मुश्किल हो जाता है। मुंतशिर का मानना है कि इसकी वजह समाज में आया बदलाव है। कविता सब्र की चीज है। इसके साथ थोड़ा वक्त गुजारना पड़ता है, ताकि हम उसके अंदर तक जाएं। उसको समझें। पर जो बदलाव आया है, उसमें समाज के पास अब सब्र नहीं है।

गानों की लाइनें समझें

मनोज कहते हैं, चलो इक बार फिर से अजनबी हो जाएं हम दोनों..जैसे गाने उस दौर में इसलिए हिट हुए कि लोग उसे आराम से, आहिस्ता से सुनते थे। अब वक्त है कि लोग एफएम पर गाना सुनते हैं और पहली लाइन समझ में नहीं आया तो चैनल बदल देते हैं। टीवी के सामने रिमोट लेकर बैठे हैं और तुरंत चैनल बदल दिया। यूट्यूब पर गाना सुन रहे हैं तो पांच सेकेंड में अप्रूव कर लिया या रिजेक्ट कर दिया। आज वो आडियंस ही नहीं है जो बैठेगी आपके गानों को समझकर सुनने के लिए।

रफ्तार पकड़ी पर गहराई हुई कम

मुंतशिर ने कहा कि इस दौर में ये हादसा हुआ है कि हमने रफ्तार बहुत पकड़ ली है, लेकिन गहराई कम हो गई है। रफ्तार और गहराई में जंग चल रही है। ये सही है कि फिलहाल तो इस जंग में रफ्तार जीत रही है, पर अब युवा गहराई की ओर लौटने लगे हैं। यही वजह है कि तेरी मिट्टी.. तेरी गलियां.. फिर भी तुझको चाहूंगा.. या कौन तुझको प्यार करेगा..जैसे मेरे जो भी गाने हैं, हिट रहे हैं। ये गाने पूरी तरह पोएट्री से लबरेज हैं। मेरे जैसे कई और लोग हैं जो यंग जेनरेशन को खींच रहे हैं पोएट्री की ओर।

चकाचौंध से न हों आकर्षित

नए गीतकारों या गायकों को सलाह देते हुए मुंतशिर कहते हैं कि चकाचौंध, नाम और शोहरत से आकर्षित होकर बालीवुड के दरवाजे न खटखटाएं। बॉलीवुड में आने की आपके पास एकमात्र वजह यह होना चाहिए कि आपके पास कहने को कुछ है और उसे बड़ा कैनवास चाहिए। अगर आपको लगता है कि आपकी बातों में, आपके संगीत में, आपकी आवाज में, कलम में, शब्दों में इतना दम है कि बड़े कैनवास पर पहुंचने से लोगों में असर डालेंगे, तभी बॉलीवुड का रुख करें ।

अजय देवगन के साथ कर रहे काम

मनोज ने बताया कि फिलहाल वो अजय देवगन के साथ गिरीश पांडे की फिल्म चाणक्या के लिए काम कर रहे हैं। इसके संवाद और गाने लिख रहे हैं। इसके साथ ही च्भुजज् फिल्म के लिए भी काम कर रहे हैं। ये इंडिया की सबसे बड़ी वार फिल्म होगी, जो 1971 की युद्ध पर आधारित होगी। ये फिल्म भी अजय देवगन के साथ होगी।


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